राजस्थान

राजस्थान में आचार संहिता से पहले बड़ा दांव… होगा जातिगत सर्वे: दिन में सीएम ने मंशा जताई, देर रात सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग के आदेश

जयपुर डेस्क :

राजस्थान सरकार ने भी जातिगत सर्वे कराने का फैसला किया है। सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग ने इस संबंध में शनिवार देर रात आदेश जारी कर दिए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार शाम एक कार्यक्रम में सर्वे कराने की बात कही थी। आचार संहिता से पहले सरकार का यह बड़ा दांव माना जा रहा है। सर्वे में नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्तर के संबंध में जानकारी एवं आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे।

इन आंकड़ों का अध्ययन कर समाजों के पिछड़ेपन का आकलन किया जाएगा। उसके अनुसार ही सुधार की योजनाएं बनाई जाएंगी। सरकार का दावा है कि इस प्रकार की योजनाओं से ऐसे पिछड़े वर्गों के जीवन स्तर में सुधार हो सकेगा। राज्य मंत्रिमंडल ने इस संबंध में फैसला किया था। इसके बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव डॉ. समित शर्मा ने आदेश जारी किए।

आयोजना विभाग ही नोडल विभाग

सर्वेक्षण कार्य आयोजना विभाग नोडल विभाग होगा। कलेक्टर सर्वे के लिए नगर पालिका, नगर परिषद, निगम, ग्राम एवं पंचायत स्तर पर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की सेवाएं ले सकेंगे। नोडल विभाग ही प्रश्नावली तैयार करेगा। इसमें उन विषयों का उल्लेख होगा, जिससे प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्तर की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

ऑनलाइन एकत्रित होंगी सूचनाएं

सूचनाएं एवं आंकड़े ऑनलाइन फीड किए जाएंगे। डीओआईटी द्वारा इसके लिए अलग से विशेष सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप भी बनाया जाएगा। सूचनाएं विभाग सुरक्षित रखेगा। फिलहाल, इसके शुरू होने में वक्त लगेगा।

राजनीति से नौकरियों में पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी बढ़ेगी

  • जातिगत जनगणना से राजनीति से लेकर नौकरियों-तमाम संसाधनों पर पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। नीतियां बनाने में इसका ज्यादा ध्यान होगा। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 21 प्रतिशत है। इसे बढ़ाने को लेकर लगातार मांग उठ रही है।
  • प्रदेश में 1931 की जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक जाट, ब्राह्मण, राजपूत, मीणा, गुर्जर, माली, कुम्हार ज्यादा जनसंख्या वाली टॉप-10 जातियों में ​थे। राजपूताना एजेंसी और अजमेर-मेरवाड़ा को मिलाकर जाट 10.72 लाख, ब्राह्मण 8.81 लाख, चर्मकार 7.82 लाख, भील 6.64 लाख, राजपूत 6.60 लाख, मीणा 6.12 लाख, गुर्जर 5.61 लाख, माली 3.83 लाख और कुम्हार 3.73 लाख थे।
  • उदयपुर महामंथन में तय हुआ था कि पिछड़ी जातियों की गणना कराई जाए।
  • ओडिशा ने एक मई को 208 पिछड़ी जातियों और कर्नाटक में 2013 में कांग्रेस सरकार ने भी सर्वे कराया था। फिलहाल, रिपोर्ट जारी नहीं हुई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!