विदिशा के कालादेव का अनोखा पत्थर मार युद्ध दशहरा: 20 पत्थर बाजों ने राम सैनिकों पर गोफान से बरसाए 4 क्वांटल से अधिक पत्थर, एक भी पत्थर नहीं छू सका राम सैनिकों को
आनंदपुर डेस्क : सीताराम वाघेला
विदिशा जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर लटेरी तहसील के ग्राम कालादेव में अनोखा दशहरा मनाया गया। शनिवार को दशहरे पर पत्थर मार युद्ध का आयोजन किया गया। एक और राम सेना के सैनिक बीच मैदान में ध्वज की परिक्रमा लगाने दौड़कर जा रहे थे तो दूसरी तरफ रावण दल के सैनिक गोफन से पत्थर बरसा रहे थे। इस दौरान राम सैनिकों पर रावण दल के सैनिकों ने लगभग चार क्वांटल पत्थर गोपन से बरसाए।
करीब दो घंटे तक यह नजारा चला। खासबात ये रही कि अचूक निशाने के बाद भी रावण दल के सैनिकों का पत्थर राम सैनिकों को नहीं लगा। सरपंच पति रामेश्वर शर्मा ने बताया कि सदियों पहले मिट्टी की रावण प्रतिमा बनाकर पत्थर मार युद्ध का आयोजन किया जाता था। साल 1993-94 में लक्ष्मीकांत शर्मा जब पहली बार विधानसभा चुनाव जीते तो उन्होंने रावण की प्रतिमा बनवाई थी। तभी से दशहरे के अवसर पर यहां बड़े स्तर पर आयोजन किया जाने लगा। और इस बार रावण की प्रतिमा का जीव उधर ग्राम पंचायत काला देव ने कराया है।
सदियों पुरानी है परंपरा
सरपंच पति रामेश्वर शर्मा ने बताया कि यह परंपरा हम अपने जन्म से ही देखते आए हैं हमारे बुजुर्ग बताते हैं कि टोंक रियासत के नवाब ने इस अनोखे पत्थर मार युद्ध दशहरे को रोकने का बहुत प्रयास किए थे और कहा था कि तुम लोग जानबूझकर पत्थर नहीं मारते मेरे सैनिक गोली से निशाना साधेंगे यदि किसी को गोली लग गई तो आज से ही यह दशहरा बंद हो जाएगा और यदि किसी को गोली नहीं लगी तो आप लोग खुलकर इसी तरह दशहरा मनाते रहना तब नवाब में गोली चलवाई लेकिन किसी भी राम सैनिक को गोली छुए नहीं सकी तब से ही यह दशहरा मनाया जाता।
सबसे पहले पीर बाबा की दरगाह पर चढ़ाई जाती है चादर
इस अनोखे पत्थर मार युद्ध शुरू होने से पहले ग्राम के पटेल ग्रामीण जनों के साथ पीर बाबा की दरगाह पर चादर और निशान लेकर पूजा अर्चना करते हैं इसके उपरांत भगवान राम का रथ ठाकुर जी के मंदिर पहुंचता हैं वह ठाकुर जी से अनुमति लेकर दशहरे मैदान में प्रवेश करता है जहां लगभग 2 घंटे से अधिक पत्थर मार युद्ध दशहरे का आयोजन किया जाता है।
राम सेना में स्थानीय और रावण सेना में भील, बंजारे होते हैं शामिल-
राम सेना में स्थानीय ग्राम कालादेव के नागरिक शामिल हुए और वहीं रावण सेना में दूसरे गांव के भील, बंजारे समाज के लोग सम्मिलित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि धोखे से कोई बाहर का व्यक्ति राम दल में शामिल होकर ध्वज की परिक्रमा लगाने जाता है तो उसको पत्थर लगता है।
एक पत्थर का वजन होता है 300 ग्राम तक, निशाना भी अचूक
रावण दल में शामिल वीरेंद्र सिंह नायक जलसेना नैना, गोपाल जारसेना, शंकर, रामवीर देवीपुरा, भोपा जरसेना के बद्री भील, नारायणपुर के सौदान सिंह आदि ने बताया कि हम लोग लगभग 12 से 15 वर्षों से इस पत्थर मार युद्ध में सम्मिलित हो रहे हैं एक सप्ताह से इन पत्थरों को चुन-चुन कर तरासते हैं। गोफन से पत्थर फेंकने के लिए पहले चिकना करते हैं। हम गोफन से इन पत्थरों को लगभग 200 मीटर से अधिक दूरी तक फेंक सकते हैं। इस बार हमारे साथ 20 लोग रावण दल में शामिल हुए। जरसेना के वीरन सिंह नायक ने बताया कि हमारा निशान अचूक रहता है। हम पेड़ पर बैठी हुई चिड़िया को भी एक बार में मार कर नीचे गिरा सकते हैं लेकिन राम सेना सैनिकों को कोई पत्थर नहीं लगता। जब राम सेना में बाहर का व्यक्ति बाहर का सम्मिलित होता है तो उसको जरूर पत्थर लग जाता है।
एक पत्थर बाज गोदान से एक राउंड में लगभग 30 से 35 पत्थर राम सैनिकों पर बरसा देता है इस हिसाब से 5 राउंड पत्थर मार युद्ध के होते हैं जिसमें 20 पत्थर बाज लगभग चार क्वांटल से अधिक पत्थर राम सैनिकों पर बरसा देते हैं।
20000 से अधिक दर्शन बने पत्थर मार युद्ध के साक्षी
इस अनोखे पत्थर मार युद्ध को देखने के लिए लगभग 20000 से अधिक लोग साक्षी बने। पेड़ों और मकान की छतों पर चढ़कर देखा नजारा
पत्थर मार युद्ध का नजारा देखने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। गुना, राजगढ़, विदिशा के जिलों के हजारों लोग पहुंचे। पत्थर मार युद्ध का नजारा लोगों ने घर की छतों, पेड़ों और टीनशेड पर पर चढ़कर देखा।
चाक चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था
प्रदेश घर में विजयदशमी के दिन मनाया जाने वाला दशहरी पर कहीं रावण को जलाया जाता है लेकिन काला देव एकमात्र ऐसा गांव है जहां रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि यह पर राम रावण की सेवा में पत्थर मार युद्ध होता हैं इस अनोखे पत्थर मार युद्ध दशहरे का आयोजन ग्राम ग्राम पंचायत काला देव द्वारा किया जाता है। और प्रशासन करता है इस बार भी अधिक दर्शकों की संभावना को देखते हुए पुलिस प्रशासन व्यवस्था चाक चौबंद रही जिसमें लटेरी एसडीओपी सहित लगभग 100 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात रहे।