मध्यप्रदेश

शिक्षा विभाग का मदरसों में सरकारी मदद मामले में बड़ा फैसला: मदरसों में गैर मुस्लिमों को धार्मिक शिक्षा दी तो बंद होगा अनुदान, मान्यता भी खत्म होगी

भोपाल डेस्क :

मप्र के डेढ़ हजार से अधिक मदरसों में पढ़ाई करने वाले गैर मुस्लिम विद्यार्थियों को अब उनके (विद्यार्थियों) धर्म के अलावा ‘दीनी तालीम’ या किसी दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकेगी। सरकार से मान्यता प्राप्त व अनुदान अनुदान लेने वाले मदरसे यदि ऐसा करते पाए जाते हैं तो तत्काल उनका अनुदान या सहायता बंद कर दी जाएगी। साथ ही मान्यता भी निरस्त होगी। स्कूल शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को इसके आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें अनुच्छेद 28 (3) का भी हवाला दिया गया है। यह भी साफ किया गया है कि बच्चे के नाबालिग होने की सूरत में अभिभावक की मंजूरी अनिवार्य रहेगी।

स्कूल शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद अब मदरसों में दीनी तालीम, किसी भी धार्मिक शिक्षा को देना या उपासना में मौजूद रहने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। उच्च स्तर से सहमति के बाद शिक्षा विभाग की कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने आदेश जारी किया है।स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह ने भी मदरसों के भौतिक सत्यापन में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। अब तमाम कवायद के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करके बड़ी पाबंदी लगा दी है।

बच्चों के फर्जी नाम मिले तो कानूनी कार्रवाई : स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी साफ कर दिया गया है कि यदि मदरसों में गैर मुस्लिम यानी हिंदू या ऐसे मुस्लिम छात्रों के नाम जो फर्जी पाए जाते हैं तो उन पर कानूनी कार्र‍वाई होगी। अनुदान बंद करने के साथ मान्यता तो निरस्त होगी ही। सभी मदरसों की पड़ताल की रिपोर्ट भी सरकार ने मांगी है।

संविधान का हवाला… कहा- धार्मिक शिक्षा को बाध्य नहीं कर सकते
आदेश में संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का हवाला दिया गया ​है। इसके अनुसार, ‘राज्य से मान्यता प्राप्त या राज्य निधि से सहायता लेने वाले किसी भी शैक्षणिक संस्थान में उपस्थिति होने वाले व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा के लिए या ऐसी संस्था में या इससे संलग्न संस्था में धार्मिक उपासना में मोजूद रहने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।’

भास्कर ने किया था खुलासा… हिंदू बच्चों के फर्जी नाम से ले रहे अनुदान

भास्कर ने 1 अगस्त 2024 के अंक में खुलासा किया था कि कई मदरसों में हिंदू बच्चों के नाम पर सरकारी मदद ली जा रही है। नाम भी ऐसे दर्ज मिले जो या तो कामकाजी हो गया या पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसे गंभीरता से लिया था। इसके बाद श्योपुर में 56 मदरसों की मान्यता निरस्त हो चुकी है।

News Update 24x7

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!