भोपाल

राजधानी भोपाल में जनपद सदस्यों का 10 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश स्तरीय आंदोलन: 20 हजार रुपये मानदेय समेत 25 लाख विकास निधि की प्रमुख मांग, कांग्रेस और AAP ने दिया समर्थन

भोपाल डेस्क :

चुनावी साल में कर्मचारी संगठनों की तर्ज पर अब जनपद सदस्य भी आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं। रविवार को भोपाल के अंबेडकर मैदान में सैकड़ों की संख्या में जुटे जनपद सदस्यों ने 10 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। जनपद सदस्यों के प्रदेश स्तरीय आंदोलन को समर्थन देने कांग्रेसी विधायक और आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी भी पहुंचे। साथ ही सरकार में आने के बाद मांगों को तत्काल मांग पूरी करने का मंच से आश्वासन भी दिया।

प्रांतीय जनपद सदस्य संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि 10 सूत्रीय मांगों को लेकर संगठन ने कई बार सरकार से पत्राचार किया। इसके बाद भी सरकार ने न मांगे को लेकर चर्चा की न ही किसी भी प्रकार का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि पंचायती राज अधिनियम एक्ट 1993 में जनपद सदस्यों के अधिकार वापस दिए जाने की मांग प्रमुख है। इसके अलावा, 20 हजार रुपये प्रति माह मानदेय, जनपद सदस्यों को 25 लाख विकास निधि का प्रावधान, जनपद सदस्यों की अनुशंसा पर विकास कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति समेत अन्य मांग प्रमुख हैं।

विधानसभा में उठाएंगे मुद्दा, कमलनाथ करेंगे मुलाकात- पीसी शर्मा
जनपद सदस्यों के आंदोलन में कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा और कुणाल चौधरी भी शामिल हुए। मीडिया से बातचीत के दौरान पीसी शर्मा ने बताया कि संगठन की सभी मांग न्याय उचित हैं। इन मांगों को विधानसभा में उठाया जाएगा। साथ ही कांग्रेस के वचन पत्र में भी यह सभी मांग शामिल की जाएंगी। जनपद सदस्यों से पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी जल्द मुलाकात करेंगे। कांग्रेस जनपद सदस्यों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कांग्रेस भी आवाज उठाएगी।

आप पार्टी ने दिया आश्वासन, हम करेंगे मांग पूरी
आम आदमी पार्टी का भी एक प्रतिनिधिमंडल जनपद सदस्यों के आंदोलन में शामिल हुआ। साथ ही संगठन पदाधिकारियों से चर्चा भी की। बातचीत के दौरान आप ने जनपद सदस्यों से सरकार में आने पर मांग पूरी करने का वादा भी किया। साथ ही बताया कि चुनावों को लेकर जल्द ही पार्टी प्रदेश के तमाम संगठनों के साथ बैठक करेगी। आप पार्टी जनपद सदस्यों के आंदोलन में हर तरह से साथ खड़ी हुई है।

इन मांगों को लेकर कर रहे आंदोलन
– पंचायती राज अधिनियम एक्ट 1993 में जनपद सदस्यों को जो अधिकार दिया गया वही अधिकार पुनः वापस दिया जाए।
– जनपद सदस्यों का मानदेय 1 हजार 500 रुपये वर्तमान मानदेय को 20 हजार रुपये प्रति माह किया जाए।
– प्रत्येक जनपद अध्यक्ष का मानदेय 50 हजार और उपाध्यक्षों का मानदेय 35 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाए।
– प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं जनपद में जनपद सदस्य के बैठक व्यवस्था भी की जाए।
– जनपद सदस्य के लिखित अनुशंसा पर विकास कार्यों को प्रशासनिक स्वीकृति का प्रावधान किया जाए।
– जनपद की कार्य और योजना में नाम जोड़ने के अधिकार का प्रावधान।
– ग्राम पंचायत कार्यो पर जनपद सदस्यों की अनुशंसा की अनिवार्यता का प्रावधान।
– जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा और अलग-अलग निधियों से होने वाले कामों में जनपद सदस्य की अनुशंसा अनिवार्य की जाए।
– जनपद अध्यक्षों विकास निधि के रूप में 1 करोड़ रुपये, स्वेच्छा अनुदान 25 लाख रुपये का प्रावधान किया जाए।
– जनपद उपाध्यक्षों को 50 लाख रुपये विकास निधि और 10 लाख स्वेच्छा अनुदान निधि का प्रावधान।
– जनपद सदस्यों को 25 लाख रुपये विकास निधि और स्वेच्छा निधि के लिए 5 लाख का प्रावधान किया जाए।

मांग नहीं मानी तो पंचायतों के काम होंगे ठप- प्रदेशाध्यक्ष
प्रांतीय जनपद सदस्य संघ के प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र चौधरी ने बताया कि सरकार लंबे समय से जनपद सदस्यों की मांगों को अनसुना कर रही है। यही कारण है कि अब तक सरकार ने ज्ञापन के जरिए पहुंचाई गई मांगों पर विचार मंथन तक नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द मांगें पूरी नहीं हुई तो सर्वसम्मति से निर्णय लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा। साथ ही पंचायत के काम भी ठप की जाएंगे।

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