सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा: कांग्रेस शासित राज्यों में ईडी के लिए गेट खुले हैं, भाजपा वाले राज्यों में बंद
इंदौर डेस्क :
आगामी विधानसभा और फिर 2024 में हाेने वाले आम चुनाव में अभिभाषकाें की भूमिका काे लेकर रविवार काे संगाेष्ठी का आयाेजन किया गया। राज्यसभा सांसद एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा एवं पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने इस दाैरान अपने विचार रखे। सिब्बल ने न्यायपालिका एवं कार्यपालिका दोनों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आज मुवक्किल आता है तो उससे पूछना पड़ता है कि तुम्हारा केस किसके सामने लगा है? ये पता लगते ही मैं उसे बता देता हूं कि क्या फैसला लिया जाएगा।
उन्हाेंने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया। कहा कि इस सरकार ने संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार छीन लिया है। इनकम टैक्स, ईडी के जरिये लाेगाें काे डराया जा रहा है। लगातार चुनी हुई सरकार गिराई जा रही है। ये कौन सा कानून है? मुख्यमंत्री-पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कभी भी जांच शुरू की जा रही है।
संविधान कहां रह गया है? मीडिया हाउस बड़े उद्योगपति चला रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि 2014 से 2022 तक ईडी ने 125 बड़े लोगों के यहां छापे मारे। उनमें से 118 विपक्षी पार्टियाें पर हैं। मैंने और विवेक तन्खा ने मिलकर एक वेबसाइट शुरू की है। यहां कोई भी अपनी शिकायत सभी जानकारी के साथ रजिस्टर्ड कर सकता है। संबधित जिले का अधिवक्ता सम्पूर्ण जानकारी जुटाकर उसकी मदद करेंगे।
तन्खा बोले – राहुल गांधी को सीधे सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था
इधर, प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में कपिल सिब्बल के अलावा राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा भी शामिल हुए। सिब्बल का कहना है कि देश दो हिस्सों में बंट गया है। जिन राज्यों में कांग्रेस या अन्य दलों की सरकार है, वहां पर ईडी के लिए गेट खुले हुए हैं। जहां भाजपा के पास राज्य की सत्ता है, वहां यह गेट बंद है।
न्याय पालिका का भी इस्तेमाल सरकार द्वारा किया जा रहा है। अतीक एहमद की हत्या के मामले में सिब्बल ने सवाल उठाए कि ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि रात को मेडिकल कराना पड़ा। हत्यारों ने दोनों को गोली मारी, लेकिन पुलिस ने हत्यारों पर गोली नहीं चलाई। हत्यारों को रिमांड पर लेने के बजाए, न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हद यह है कि हत्या के बाद सेलिब्रेशन हो रहा है, जैसे कानून की जरूरत ही नहीं।
जो मामला बनता नहीं, उसे जबरन चलाया गया
सिब्बल ने कहा कि राहुल गांधी के मामले में न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग हुआ है। दक्षिण के राज्य में भाषण दिया, मुकदमा किसी दूसरे राज्य में दर्ज हुआ। मोदी के लिए उन्होंने बयान दिया, लेकिन मोदी ने कोई शिकायत नहीं की। न्यायाधीश को भी पता था कि दो साल की सजा दी तो उनकी सांसद सदस्यता चली जाएगी। जो मामला बनता ही नहीं, उसे जबरन मुकदमा बनाकर चलाया गया। वहीं राज्यसभा सांसद तन्खा ने कहा कि राहुल गांधी को हुई सजा के मामले में कार्रवाई का परंपरागत तरीका अपनाया जा रहा, जो कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। सजा, फिर सेशन कोर्ट में अपील, वहां से खारिज होने के बाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट। मेरा निजी मत है कि इस मामले में राहुल को सीधे सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था।
हर गलत बात का विरोध करें
तन्खा ने अधिवक्ताओं को कहा कि चुनाव में अपनी सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। हर गलत बात का विरोध न्यायालय के माध्यम से करें। हम वकील हैं और कानून हमारी ताकत होना चाहिए। अभी लगभग 6 महीने का समय है और समय परिवर्तन का है। यह चुनाव संविधान को बचाने की लड़ाई है, इसलिए वकीलाें की भूमिका ज्यादा अहम है। हम लगातार दौरे कर रहे हैं। आयोजन समिति के संयोजक अभिभाषक जय हार्डिया एवं सौरभ मिश्रा ने बताया आयाेजन में 25 अभिभाषकों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल, संताेष यादव सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता एवं लॉ के छात्र उपस्थित थे।