इंदौर

ब्रेकिंग न्यूज़- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह पर FIR, इंदौर होईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

गोलवलकर पर टिप्पणी मामले में इंदौर छोड़ अन्य शहरों की FIR निरस्त करने की मांग

इंदौर डेस्क :

संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजयसिंह फंस गए हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। 20 मिनट तक चली बहस के बाद हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया ने फैसला रिजर्व रख लिया। साथ ही राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट में दिग्विजय सिंह की याचिका में कहा गया है कि एक ही कृत्य के लिए एक से ज्यादा एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती है। मामले में दर्ज सभी एफआईआर में शिकायतकर्ता एक ही संगठन से जुड़े हैं। धाराएं भी समान हैं। इसलिए इंदौर के तुकोगंज थाने में दर्ज एफआईआर को छोड़कर शेष एफआईआर निरस्त की जाए।

याचिका में कहा गया कि तुकोगंज पुलिस थाने में इस मामले में सबसे पहले एफआइआर दर्ज हुई थी। हम उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं बल्कि हमने उस मामले में न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा है। सिंह की ओर से याचिका रवीन्द्र सिंह छाबड़ा ने लगाई है, जबकि पैरवी एडवोकेट विभोर खंडेलवाल कर रहे हैं।

यह है पूरा मामला…

दिग्विजयसिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में 8 जुलाई को एडवोकेट राजेश जोशी ने इंदौर के तुकोगंज पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की थी। जोशी का आरोप था कि सोशल मीडिया पर संघ की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से द्वितीय सरसंघ चालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर की तस्वीर के साथ मिथ्या और अनर्गल पोस्ट प्रसारित की है। इसके बाद इसी पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ देवास, उज्जैन, गुना और राजगढ़ में भी एफआईआर दर्ज हुई। इस पर सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तुकोगंज थाने को छोड़कर शेष एफआईआर निरस्त करने की मांग की है। दिग्विजयसिंह पर भारतीय दंड संहिता की धारा 505, 469 और अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण अधिनियम की धाराओं में दर्ज किया गया है।

3 से 6 साल तक की सजा का प्रावधान

कानून के जानकारों का कहना है कि धारा 469 और 505 के तहत अपराध सिद्ध हो जाने पर 3 से 6 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की धाराओं में भी सजा का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। ऐसे मामलों में पुलिस की ओर से गिरफ्तारी नहीं की जाकर नोटिस भेजा जाता है। हालांकि इस पूरे मामले में न्यायालय प्रक्रिया के तहत आरोपी को न्यायालय से जमानत कराना होती है।

यह थी टिप्पणी

दिग्विजय ने ट्विटर पर तस्वीर पोस्ट कर उसमें लिखा था,’सदाशिव राव गोलवलकर ने अपनी पुस्तक ‘वी एंड अवर नेशनहुड आईडेंटिफाइड’ में स्पष्ट लिखा है। जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति, राज्यों की जमीन और जंगल पर अपने दो तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दें। 95% जनता को भिखारी बना दें उसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी।

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