विदिशा

तहसील जैसी सुविधाओं वाला आनंदपुर, लेकिन बदहाल कृषि उपज उपमंडी: न शौचालय, न विश्राम गृह, न सुरक्षा, किसान परेशान

आनंदपुर डेस्क :                               सीताराम वाघेला 

विदिशा जिले के बड़े ग्रामों में शुमार आनंदपुर आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। लगभग तहसील स्तर की सुविधाएं होने के बावजूद यहां की व्यवस्थाएं बिखरी हुई हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है आनंदपुर की कृषि उपज उपमंडी, जो आज अपनी खस्ता हालत और अव्यवस्थाओं के लिए जानी जा रही है।
सन 1992-93 में लाखों रुपए की लागत से स्थापित इस उपमंडी में आज तक कई जरूरी सुविधाएं नहीं जुड़ पाई हैं, जिसके चलते किसानों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

न शौचालय, न कैंटीन, न विश्राम गृह

मंडी में किसानों के लिए न तो कैंटीन है, न शौचालय, और न ही कोई विश्राम गृह और तो और पानी पीने की भी व्यवस्था नहीं है 3 महीने से पानी की मोटर खराब पड़ी हुई है। किसान जब अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंचते हैं, तो उन्हें भूख लगने पर खाने की कोई व्यवस्था नहीं मिलती। दिनभर बोली की प्रतीक्षा में खड़े किसानों को न आराम का स्थान मिलता है, न ही छांव। मंडी परिसर में एक भी छायादार पेड़ नहीं है, जिससे किसानों को तेज धूप में खड़े रहना पड़ता है। जिनकी बोली पहले दिन नहीं लग पाती, उन्हें मजबूरन खुले में रात गुजारनी पड़ती है।

सुरक्षा शून्य नहीं लगे सीसीटीवी कैमरे

लाखों रुपये का कारोबार करने वाली इस मंडी में एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। इससे फसल की चोरी का खतरा बना रहता है। कई बार चोरी की घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन कैमरे न होने के कारण किसी नतीजे तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। किसान लगातार मांग करते आ रहे हैं कि मंडी परिसर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाए, परंतु अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

शराबियों का अड्डा बनी मंडी

स्थिति इतनी खराब है कि यह मंडी अब शराबियों का अड्डा बन चुकी है। सुबह से ही यहां शराब पीने वालों का जमावड़ा लग जाता है। खाली बोतलें हर जगह पड़ी रहती हैं, और कई जगह टूटे कांच बिखरे होते हैं। इससे किसानों और मजदूरों को चोट लगने का खतरा बना रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय यहां नशेबाजों का आतंक सा रहता है, जिससे आम लोग गुजरने से भी कतराते हैं।
मंडी परिसर की जो बाउंड्री वॉल बनी हुई है वह भी जगह-जगह से टूट गई है जिसके कारण शराबी और बेसहारा मवेशियों बड़ी ही आसानी से अंदर आ जाते हैं

अवैध खरीद-फरोख्त से सरकार को नुकसान

आनंदपुर मंडी में कुल 13 लाइसेंसधारी व्यापारी हैं, लेकिन इसके बावजूद दर्जनों अवैध व्यापारी खुलेआम फसल की खरीद कर रहे हैं। इन पर न तो मंडी प्रशासन की पकड़ है और न ही शासन-प्रशासन की। अवैध खरीद-फरोख्त के कारण सरकार को हर साल लाखों रुपये का टैक्स नुकसान झेलना पड़ रहा है।

अधिकारियों का दावा सुधार जारी है

कृषि उपमंडी के एसआई उत्तम सिंह ने बताया कि “मंडी परिसर में अव्यवस्थाएं हैं, जिन्हें सुधारने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। आज ही कुछ मजदूर बुलवाकर साफ-सफाई कराई जा रही है और पानी की मोटर भी जल्द दुरुस्त कर दी जाएगी।”

लेकिन सवाल यह है कि तीन दशक पहले बनी मंडी आज भी बुनियादी सुविधाओं से क्यों वंचित है? किसान अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद इस बार उनकी आवाज प्रशासन तक पहुंचे और आनंदपुर की यह मंडी सच में ‘कृषि विकास का केंद्र’ बन सके, न कि बदहाल व्यवस्थाओं का प्रतीक।

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