बासौदा शहर में निकलेंगी तीन रथ यात्रा: 20 जून को नगर भ्रमण को निकलेंगे भगवान जगन्नाथ, 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना
विदिशा डेस्क :
आषाढ़ मास की दूज 20 जून को भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण कर मौसी के घर जाएंगे। इस परंपरा का आयोजन शहर में विगत 200 वर्षों से निरंतर किया जा रहा है। इस बार रथ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह नजर आ रहा है।
रथ यात्रा में 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। मालूम हो की शहर में 3 रथ निकाले जाते हैं। सबसे प्राचीन रथ बेदनखेड़ी जग्गा के मंदिर से प्रारंभ होता है। इसका शुभारंभ 200 वर्ष पूर्व संकडवाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नागा साधु ने किया था। लकड़ी से बने रथ में भगवान जगन्नाथ को विराजमान कर श्रद्धालु इसे हाथों से खींचते हैं।
जगन्नाथपुरी की परंपरा के अनुसार यह रथ नगर में श्रद्धा और आस्था का केंद्र भी है। इस परंपरा का निर्वाहन भावसार समाज द्वारा लगातार किया जा रहा है। इसके बाद दूसरे रथ का शुभारंभ नौलखी मंदिर के संत कैलाश वासी 1008 जगन्नाथ दास महाराज की ओर से किया गया था।
यह दोनों रथ शहर में आस्था का केंद्र हैं।एक और रथ की परंपरा का शुभारंभ पंचमुखी हनुमान मंदिर से हुआ है। यह रथ बरेठ रोड पर निकाला जाता है। जब भी शहर में रथ यात्रा का आयोजन होता है शहर सहित ग्रामीण अंचलों से हजारों श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होने के लिए शहर में आते हैं।
बैदनखेड़ी से आने वाला रथ सिरोंज चौराहा, गांधी चौक सावरकर चौक होकर जय स्तंभ से वापस भावसार समाज के धनुष धारी मंदिर पहुंचता है। जहां भगवान विश्राम करते हैं बेतवा नौलखी घाट से एक रथ यात्रा प्रारंभ होती है, जो गांधी चौक सावरकर चौक हनुमान नौलखी घाट ले जाया जाता है।
मानोरा मेले में पहुंचते हैं कई श्रद्धालु
बता दें कि बासौदा विधानसभा के ग्यारस पुर ब्लाक के मानोरा गांव में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन विशाल मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले में शामिल होने के लिए शहर और आसपास के गांव से हजारों लोग भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचते है। कई लोग तो ग्यारस पुर के मानोरा धाम तक पैदल यात्रा करते हुए पहुंचते हैं।