68वीं धम्मचक्र अनुप्रवर्तन दिवस पर सेमिनार का आयोजन:”बौद्ध धर्म मानवीय विवेक की स्वतंत्रता पर आधारित है- भंते शाक्यपुत्र

भोपाल डेस्क :
दि बुद्धभूमि धम्मदूत संघ ने भोपाल स्थित एमपी नगर के निजी होटल में 68वीं धम्मचक्र अनुप्रवर्तन से दिवस पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत तथागत भगवान बुद्ध और डॉ. बी. आर. अंबेडकर की प्रतिमा के सामने भंते शाक्यपुत्र सागर थेरो एवं अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करने से हुई। इस अवसर पर उपस्थित अनुयायियों को त्रिशरण और पंचशील प्रदान किया गया।
विशिष्ट अतिथि किशन सूर्यवंशी, अध्यक्ष नगर निगम भोपाल ने बौद्ध धर्म की सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डाला। सभाजित यादव, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने कहा, “बौद्ध धर्म मानवीय विवेक की स्वतंत्रता पर आधारित है।” वहीं, श्री कैलाश मानेकर, जीएम – जिला व्यापार एवं औद्योगिक केंद्र ने बौद्ध धर्म का उद्देश्य जाति विहीन समाज की स्थापना बताया।
मुख्य अतिथि भंते शाक्यपुत्र सागर थेरो ने कहा, “भगवान बुद्ध ने वाराणसी के मिगदाय वन में धम्मचक्र प्रवत्तन सुत्त की देशना करके बौद्ध धम्म की नींव रखी। यह सुत्त मानवता के कल्याण के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।”
आईपीएस एम.डब्लू. अंसारी ने बुद्धिज्म को वैचारिक और वैज्ञानिक फिलोसोफी का मिश्रण बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आर.आर. गंगवारकर, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपूर में धम्मदीक्षा समारोह को ऐतिहासिक धर्म क्रांति करार दिया। इस अवसर पर विभिन्न बुद्धिजीवी, समाजसेवी, आईएएस, आईपीएस, प्रोफेसर, डॉक्टर और उद्योगपति उपस्थित थे।