इंदौर

आर्थिक राजधानी इंदौर में सड़कों पर गड्‌ढे हर साल की परेशानी: गड्‌ढे नहीं होंगे

ऐसा हो सड़कें बनाने का तरीका, तो हर साल 15 से 20 करोड़ की बर्बादी रुकेगी

इंदौर डेस्क :

बारिश में सड़कों पर गड्‌ढे हर साल की परेशानी है। पहले गड्‌ढे, फिर इनके पैचवर्क पर सालाना 15 से 20 करोड़ की बर्बादी। पैचवर्क पर नगर निगम ने इस बार भी 20 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसमें से 15 करोड़ खर्च हो चुके हैं। डामर की सड़कों को यदि इंडियन रोड कांग्रेस के निर्धारित मापदंडों पर बनाया जाए तो इन पर बरसों गड्‌ढे नहीं होंगे।

पलासिया से रीगल तिराहा और आएनटी मार्ग दो बड़े उदाहरण है, जहां बरसों से सड़कों पर गड्‌ढे नहीं हुए। इसके उलट, अटल द्वार से लक्ष्मी मेमोरियल हॉस्पिटल तक आधा किमी सड़क देख लें, यहां 200 से ज्यादा गड्ढे हो चुके हैं। कनाड़िया से बिचौली जाने वाली सड़क के भी यही हाल हैं। अरबिंदो के पास रेवती रोड पर पेट्रोल पंप वाली गली में इतना बड़ा गड्ढा हो गया है कि निकलना मुश्किल हो गया है। वार्ड 12 व 17 में कुशवाह नगर मेन रोड की भी यही स्थिति है। सिलिकॉन सिटी के पास शिव सिटी की रोड तो जैसे समाप्त हो चुकी है।

सीमेंट कांक्रीट रोड

  • 3171 – किलोमीटर सिंगल लेन
  • 59 – किलोमीटर डबल लेन
  • 26 – किलोमीटर फोर लेन
  • 219 -किलोमीटर सिक्स लेन

डामर रोड

  • 169 – किलोमीटर सिंगल लेन
  • 114 – किलोमीटर डबल लेन

डामर की टिकाऊ सड़क के लिए

  • सपाट और कोनिकल गिट्‌टी में 35-65 का अनुपात रहना चाहिए।
  • गिट्‌टी की क्रशिंग स्ट्रेंथ मजबूत होना चाहिए, इससे मजबूती आएगी।
  • गिट्‌टी में धूल नहीं होना चाहिए, वरना डामर चिपकेगा नहीं।
  • सड़क निर्माण में प्रयुक्त मटैरियल के कुल वजन का 5 फीसदी डामर होना जरूरी है।
  • डामर का तापमान इंडियन रोड कांग्रेस के नियम अनुसार 90 से 120 डिग्री सेल्सियस होना जरूरी है।
  • रोलर करते वक्त भी डामर का गर्म रहना जरूरी है, तभी ठीक से चिपकेगा।
  • सड़क बनाने से पहले अच्छे से धूल की सफाई की जाना जरूरी है।
  • रोलिंग इस तरह की जाना चाहिए कि सड़क पर पानी बिलकुल न ठहरे।
  • सड़क पर पानी की निकासी के उचित इंतजाम होना चाहिए।

इसलिए आदर्श है पलासिया से रीगल तिराहा सड़क – क्वालिटी कंट्रोल मैन्युअल का सख्ती से पालन किया
वर्ष 1999 के पहले इंदौर में सड़कों की हालत बहुत खराब थी। सड़कों पर गड्‌ढे नहीं भरे जा रहे थे। हाई कोर्ट में जनहित याचिकाएं लगी थीं। तब वर्ष 1999 में डिजाइन एंड डेवलपमेंट प्रकोष्ठ बनाया। यह वैधानिक कमेटी थी। इसमें एसजीएसआईटीएस के प्रोफेसर, टीएंडसी, पीडब्ल्यूडी सहित अन्य विशेषज्ञों को लिया गया। पलासिया से रीगल तिराहा व आरएनटी मार्ग की सड़क को आदर्श सड़क बना सके, क्योंकि गिट्‌टी बाजार से खरीदने की बजाय साइट पर ही क्रशर मशीन लाकर गिट्‌टी को आकार दिया गया। तकनीक का ध्यान रखा गया। डामर की मात्रा व मिट्टी की गुणवत्ता का ख्याल रखा गया। क्वालिटी कंट्रोल मैन्युअल का सख्ती से पालन किया। और देखिए इन सड़कों पर गड्‌ढे नहीं होते।

बारिश है, अभी गिट्‌टी-मुरम डलवाकर ठीक करेंगे
“गड्ढों की समस्या को लेकर निगमायुक्त से बात की है। मंगलवार को जोन के अधिकारियों की बैठक भी बुलवाई है। बारिश में डामरीकरण नहीं किया जा सकता, इसलिए गिट्टी-मुरम डलवाएंगे। जहां बहुत ज्यादा जरूरी हुआ तो इमल्शन करवाएंगे। ज्यादातर सड़कों पर पानी या ड्रेनेज लाइन की खुदाई के कारण स्थिति बिगड़ी है।”
– राजेंद्र राठौर, जनकार्य समिति प्रभारी

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