अचानक 28 साल बाद गांव लौटा बेटा, नकली बेटे की खुली पोल: खुद को बेटा बताकर 15 साल से परिवार के साथ रह रहा था बाबा
न्यूज़ डेस्क :
खंडवा के खुर्द गांव में 28 साल पहले लापता हुआ शख्स रविवार को अचानक घर लौट आया। उसकी जगह परिवार के साथ रह रहे बाबा की पोल खुल गई। बाबा का कहना है कि मैं परिवार का दिल नहीं तोड़ना चाहता था, इसलिए सच बता नहीं पाया।
1995 में कालाआम खुर्द गांव का रहने वाला दिनेश लोवंशी दीनू किसी काम के सिलसिले में घर से निकला था, जिसके बाद वह घर नहीं लौटा। छोटे भाई विनोद ने बताया कि दीनू के लापता होने के करीब 15 साल बाद एक बाबा गांव आया। उसकी शक्ल भाई से मिलती-जुलती है। बाबा ने हमें कहा कि वही दीनू है। उसने दादा-पिता का नाम भी बताया, उसके हाथ में दीनू नाम भी गुदा हुआ था। हमने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया, तभी से वह हमारे साथ रहने लगा।
हरिद्वार, माउंट आबू की यात्रा करता था बाबा
विनोद ने बताया, बाबा ने कहा था कि मैं संत बन गया हूं। हरिद्वार में एक अखाड़े से जुड़ा हूं, जिसमें मेरा नाम कल्याण गिरी महाराज रखा गया। हम उसकी बातों में आ गए। उसने गांव में यज्ञ करवाया। गांव के बाहर टेकरी पर मंदिर भी बनवाया। आसपास के गांव के लोग भी उसे मानने-पूछने लगे। वह कभी घर में रहता था तो कभी हरिद्वार, माउंट आबू या फिर अन्य जगहों पर जाता रहता था। उसने दिनेश के नाम का आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज भी बनवा लिए थे।
दीनू के पिता जागेश्वर लोवंशी ने बताया, दीनू जब 16 साल का था, तब लापता हो गया था। 15 साल बाद जब बाबा बेटे के रूप में आया तो हमने उसे अपना लिया। बाबा ने कभी हमारे परिवार से किसी तरह का खिलवाड़ नहीं किया।
बाबा ने मांगा था जमीन का हिस्सा
बाबा झाड़ फूंक करता था। कई तरह की समस्याएं सुलझाने का दावा भी करता था। विनोद ने बताया, हम तीन भाई हैं। दो भाइयों का पिता ने जमीन में हिस्सा कर दिया था। बाबा ने कुछ दिन पहले ही कहा कि मेरा जमीन का हिस्सा भी मेरे नाम करो। पिता और हम सभी सहमत भी हो गए थे। जमीन उसके नाम करवाने की प्रक्रिया करने वाले थे कि असली भाई दिनेश आ गया।
दिनेश ने मेरे परिवार के ही नहीं गांव के एक-एक बच्चे के नाम तक बता दिए। उसके पास उसके नाम का आधार कार्ड भी मिला। बाबा यूपी गया हुआ है। हमने बाबा को फोन पर कहा कि हमारा असली भाई आ गया तो वह बोलने लगा कि अच्छा हुआ। मैं परिवार का दिल नहीं तोड़ना चाहता था, इसलिए बता नहीं पाया।
तीन बार आशापुर तक आया था असली दीनू
दिनेश लोवंशी का कहना है, मैं मुंबई में केटरिंग का काम करने लगा था। वहां बिहार और यूपी के 3-4 साथियों के साथ एक कमरे में रहता था। मैं इस बीच तीन बार अपने घर आने के लिए आशापुर तक पहुंचा। पर पता नहीं क्या हुआ दिमाग काम नहीं किया। ऐसा लगा जैसे मुझ पर किसी ने तांत्रिक क्रिया की है। जो मुझे घर नहीं आने दे रही थी, इसलिए मैं आशापुर तक 3 बार आकर मुंबई लौट गया।