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102 करोड़ के मंदिर का प्रधानमंत्री मोदी करेंगे भूमिपूजन: सागर में संत के मंदिर से साधेंगे सियासी समीकरण

कमल के फूल पर विराजेंगे संत रविदास

न्यूज़ डेस्क :

सागर में मकरोनिया से सटे बड़तूमा में 102 करोड़ की लागत से संत रविदास महाराज का भव्य मंदिर व कला संग्रहालय बनाया जा रहा है। इसका भूमिपूजन 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। मंदिर के लिए टेंडर भी जारी हो गए हैं। जिला प्रशासन ने मंदिर के लिए बड़तूमा में 10 एकड़ जमीन आवंटित की है। निर्माण शुरू होने के अगले ढाई साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर में संत रविदास की कमल पुष्प पर विराजित प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

जानते हैं, जिस संत रविदास मंदिर का भूमिपूजन PM करेंगे, वो मंदिर कितना भव्य होगा… 

संत रविदास मंदिर का निर्माण पत्थरों से नागर शैली में किया जाएगा। यह 10 हजार वर्गफीट क्षेत्रफल में फैला होगा। संत रविदास की फिलॉसफी को दर्शाने के लिए विशेष शैली के इंटरप्रिटेशन म्यूजियम भी बनाया जाएगा। 20,500 वर्गफीट में बनने वाले म्यूजियम में चार गैलरी होंगी। पहली गैलरी में संत रविदास महाराज के जीवन को प्रदर्शित किया जाएगा। दूसरी में उनके भक्ति मार्ग और निर्गुण पंथ में योगदान को दर्शाया जाएगा। तीसरी गैलरी संत रविदास के दर्शन का विभिन्न मतों पर प्रभाव और रविदासिया पंथ पर केंद्रित रहेगी।

चौथी गैलरी में संत रविदास के काव्योचित, साहित्य व समकालीन विवरण का समावेश रहेगा। इसके अलावा, 10 हजार वर्गफीट में लाइब्रेरी और संगत हाॅल बनाया जाएगा। इसमें संत रविदास महाराज के भक्ति मार्ग व दार्शनिक विचारों के सभी साहित्य का संकलन उपलब्ध होगा। सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त लायब्रेरी होगी। कुंड मंदिर परिसर में संत रविदास मंदिर के समीप प्रतीकात्मक रूप से जलकुंड का निर्माण किया जाएगा।

भक्त निवास में एसी रूम और 80 लोगों के ठहरने की व्यवस्था होगी 

मंदिर परिसर में 12,500 वर्गफीट में भक्त निवास का निर्माण जाएगा। इसमें यहां आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए 15 एसी रूम बनाए जाएंगे। इसके अलावा 80 लोगों के ठहरने के लिए डोरमेट्री (शयन कक्ष) का निर्माण होगा। मंदिर परिसर में आने वाले यात्रियों के लिए 15,000 वर्गफीट में सर्व सुविधायुक्त फूड कोर्ट भी प्रस्तावित है। मंदिर के प्रवेश द्वार के पास लगभग 1940 वर्गफीट के दो गजीबो बनाए जाएंगे। संत रविदास महाराज के जीवन वृतांत का चित्रण पूरे परिसर में म्यूरल और स्कल्प्चर के माध्यम से किया जाएगा।

CCTV से लैस होगा मंदिर परिसर 

मंदिर परिसर में भक्तों के आवागमन के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे। वहीं पार्किंग भी रहेगी। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से पूरे परिसर में सीसीटीवी लगाए जाएंगे। फायर फाइटिंग, लाइटिंग आदि की व्यवस्था रहेगी, ताकि मंदिर में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।

संत रविदास मंदिर व कला संग्रहालय का उद्देश्य

संस्कृति संचालनालय की ओर से संत रविदास मंदिर को लेकर जारी उद्देश्य में लिखा है- “मन चंगा तो कठौती में गंगा” का मूल मंत्र प्रस्तावित करने वाले संत रविदास के जीवन और उनकी वाणियों को मानव कल्याण के लिए विभिन्न माध्यमों में अभिव्यक्त करने के साथ मध्यप्रदेश की वर्तमान भौगोलिक सीमा से संबद्ध संतों के जीवन और उनकी वाणियों का विविध रूपों में प्रदर्शन करना ही इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य हैं।

“मन चंगा तो कठौती में गंगा” कहावत से जुड़ी कहानी

  • एक दिन संत रविदास अपनी झोपड़ी में बैठे प्रभु का स्मरण कर रहे थे। तभी एक ब्राह्मण जूता ठीक कराने आया। रविदास ने पूछा कहां जा रहे हैं, तो उसने बताया कि गंगा स्नान करने जा रहा हूं।
  • जूता ठीक करने एवज में ब्राह्मण से मिली मुद्रा को रविदास ने नहीं लिया। कहा कि आप इसे मेरी तरफ से मां गंगा को चढ़ा देना। गंगा स्नान के बाद जैसे ही ब्राह्मण ने कहा- हे गंगे रविदास की मुद्रा स्वीकार करो। यह कहते ही नदी में से एक हाथ बाहर आया और मुद्रा को लेकर बदले में एक सोने का कंगन दे दिया।
  • ब्राह्मण जब गंगा का दिया कंगन लेकर वापस लौटा, तो उसके मन में विचार आया कि रविदास को कैसे पता चलेगा कि गंगा ने बदले में कंगन दिया है। मैं इसे राजा को दे देता हूं।
  • उसने राजा को कंगन दिया। बदले में उपहार लेकर घर चला गया। जब राजा ने वो कंगन रानी को दिया, तो रानी खुश हो गई। कहने लगीं कि मुझे ऐसा ही एक और कंगन चाहिए।
  • राजा ने ब्राह्मण को बुलाकर कहा, वैसा ही एक और कंगन चाहिए, नहीं तो दंड का पात्र बनोगे। डरा हुआ ब्राह्मण संत रविदास के पास पहुंचा और सारी बात बताई।
  • रविदास बोले- तुमने मुझे बिना बताए राजा को कंगन भेंट कर दिया, इससे परेशान न हो। तुम्हारे प्राण बचाने के लिए मैं गंगा से दूसरे कंगन के लिए प्रार्थना करता हूं। ऐसा कहते ही उन्होंने अपनी वह कठौती उठाई, जिसमें वो चमड़ा गलाते थे।
  • संत रविदास ने मां गंगा का आह्वान कर कठौती से जैसे ही जल छिड़का, वैसा ही एक और कंगन हाथ में आ गया। रविदासजी ने वो कंगन ब्राह्मण को दे दिया। ब्राह्मण खुश होकर राजा को वह कंगन भेंट करने चला गया। तभी से यह कहावत प्रचलित हुई कि “मन चंगा तो कठौती में गंगा”।

बुंदेलखंड में संत रविदास के अनुयायी अधिक

नरयावली विधायक प्रदीप लारिया कहते हैं कि बुंदेलखंड में संत रविदास महाराज को मानने वालों की संख्या अधिक है। गांव-गांव में संत रविदास के अनुयायी हैं। वहीं, भाजपा लगातार सागर में संत रविदास महाकुंभ का आयोजन करती आ रही है। इसमें समाज के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सागर में चार बार संत रविदास महाकुंभ का आयोजन हो चुका है। लगातार अन्य कार्यक्रम भी होते रहते हैं। इन्हीं सब बातों को और लोगों की आस्था को देखते हुए मंदिर निर्माण के लिए सागर जिले का चयन किया गया है। प्रदीप लारिया ने कहा कि भूमिपूजन के साथ ही मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।

पांच महीने पहले सीएम ने रविदास महाकुंभ में की थी मंदिर की घोषणा

दरअसल, सागर के कजलीवन मैदान में 8 फरवरी को संत रविदास महाकुंभ का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए थे। यहां सीएम ने सागर में संत रविदास मंदिर बनाने की घोषणा की थी। इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बड़तूमा में 100 करोड़ रुपए की लागत से संत रविदास महाराज का मंदिर निर्माण की बात कही थी। अब 12 अगस्त को मंदिर का भूमिपूजन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।

ढाना हवाई पट्‌टी पर होगी प्रधानमंत्री की सभा

12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सागर आ रहे हैं। वे बड़तूमा में संत रविदास मंदिर का भूमिपूजन करेंगे। बारिश का मौसम होने से मंदिर निर्माण स्थल पर सभा के आयोजन में व्यवधान आने की आशंका के चलते प्रधानमंत्री की सभा का आयोजन ढाना स्थित हवाई पट्‌टी पर किया जा रहा है, ताकि बारिश में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आए। यह पहला मौका है जब ढाना हवाई पर सभा का आयोजन किया जा रहा है। पीएम के आगमन को लेकर पुलिस व प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। सभास्थल पर पंडाल लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं, भाजपा गांव-गांव पहुंचकर लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रही है।

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