भोपाल

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल में इसरो का मोबाइल बस ‘स्पेसऑन व्हील्स’ इन दिनों शहर में: देखें चंद्रयान-मंगलयान और समझें स्पेस साइंस और उसकी तकनीक

भोपाल डेस्क :

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल में इसरो का मोबाइल बस ‘स्पेसऑन व्हील्स’ इन दिनों शहर में है। स्कूल के छात्रों के लिए यह बस शहर के अलग अलग स्कूलों में रोजाना जा रही है। इसके अलावा मेप्कास्ट में भी बस को देखा जा सकता है। बता दें कि इस बस में इस बस ने आजादी बाद से अब तक की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (इसरो) की उपलब्धियां और तकनीक से जुड़े कई मॉडल हैं। बस में मौजूद प्रदर्शनी के द्वारा प्रदेश के विद्यार्थियों को विविध मॉडल से परिचित कराया गया।

इसलिए इसरो ने बनाई यह बस
भारत रत्न भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में परमाणु परीक्षण कर राष्ट्र को परमाणु शक्ति बनाने के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) द्वारा मोबाइल बस “स्पेस ऑन व्हील्स” को तैयार किया और प्रदेश की यात्रा के लिए 11 मई को भेजा। इस प्रदर्शनी के माध्यम से छात्र जहां एक तरफ अंतरिक्ष विज्ञान एवं कई वैज्ञानिक विषयों को समझ सकेंगे। वहीं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विषयों में भविष्य बनाने में विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। यह बस भोपाल विद्यार्थियों को नवीन तकनीक से अवगत कराते हुए तकनीकी दक्षता बढ़ाने में मदद भी करेगी।

कई सैटेलाइट की रैपिलका के अलावा कई मॉडल
एमपीसीएसटी के टेक्निकल ऑफिसर सुनील कुमार ने बताया कि इस व्हीकल में इसरो का अभी तक का जो भी सफर रहा है वह सब इसमें है। इसमें लॉच व्हीकल के अलावा हिंदुस्तान के कई लॉच पेड दिखाए गए हैं। वहीं लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के रूप में प्रायोजनिक इंजन स्टेज, रीलॉच व्हीकल, टेक्निकल डिजाइन और हमारे एस्ट्रोनॉट को स्केप करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। वहीं इस मोबाइल बस में डिफ्रेट टाइम के सेटेलाइट की रैपिलका हैं। जिसमें रिमोट सेंसिंग और टेलीकम्युनिकेशन से जुड़े हैं और वर्किंग कंडीशन में भी हैं। इसके अलावा मंगलयान आदि के मॉडल और जीपीएस नाविक को भी दर्शाया है।

यह मॉडल रहे खास
आरएलवी-टीडी: प्रयोज्य लॉन्च वाहन प्रौद्योगिकी प्रदर्नकर्ता (आरएलवी-टीडी) इसरो द्वारा किया गया सबसे जटिल काम है। आरएलवी-टीडी वायुयान और रॉकेट प्रौद्योगिकी का मिश्रण है। इसे दोनों प्रणालियों के बीच अखंडता बनाए रखने और मिशन को सफल बनाने की जरूरत है। यह सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक उड़ान हासिल करने के लिए स्क्रैमजेट इंजन का उपयोग करता है। स्वायत्त नेविगेशन मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली, एकीकृत उड़ान प्रबंधन प्रणाली, हीट शील्डिंग, एलेवन नियंत्रित उड़ान, और आरएलवी-टीडी के बारे में सब कुछ जटिल है।

जो क्रू स्केप सिस्टम: इसरो ने 05 जुलाई 2018 एक प्रमुख प्रौद्योगिकी प्रदर्शन किया, जो क्रू स्केप सिस्टम परीक्षणों की श्रृंखला में पहला है] जो मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए प्रासंगिक एक महत्वपूर्ण तकनीक है। क्रू स्केप सिस्टम एक आपातकालीन बचाव उपाय है जिसे अंतरिक्ष यात्रियों के साथ-साथ क्रू मॉड्यूल को जल्दी से खींचने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उपग्रह प्रक्षेपण यान: उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 इसरो द्वारा 1979-1983 के दौरान लॉन्च किया गया था। यह एक चार चरण वाला रॉकेट है। एसएलवी अपने उड़ान समय के दौरान चारों चरणों के लिए ठोस प्रणोदक का उपयोग करता है।

संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान: संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी एएसएलवी ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल का संक्षिप्त रूप है। एएसएलवी भारी संचार और सुदूर संवेदन उपग्रहों के लिए स्वदेशी लॉन्चर क्षमता हासिल करने से पहले मध्यवर्ती कदम था।

गर्म शील्ड : एक मानक हीट शील्ड आमतौर पर एक शंकु-सिलेंडर संयोजन संरचना होती है, जो अंतरिक्ष यान व उपग्रह को घेरती है। आमतौर पर यह लॉन्च वाहन में सबसे ऊपर की संरचना होती है। इसका उपयोग वायुमंडल के माध्यम से लॉन्च के दौरान गतिशील दबाव और वायुगतिकीय हीटिंग के प्रभाव के विरुद्ध अंतरिक्ष यान की रक्षा के लिए किया जाता है।

एक नजर
-प्रदर्शनी में करीब 15 से अधिक मॉडल हैं। जिससे छात्र आसानी से स्पेस साइंस को समझ सकते हैं।
-बस में लगी स्क्रीन पर मॉडल्स और इसरो की सभी मिशल से जुड़ी जानकारियों भी छात्रों को दी जा रहीं हैं।
-बस में मौजूद हैं एक्सपर्ट, जो हर एक मॉडल के बारे में छात्रों को बता रहे हैं।
-प्रदेश के सभी 52 जिलों में यह बस जाएगी।

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