मध्यप्रदेश

चुनावी रैलियों और कार्यक्रमों में बच्चों के उपयोग को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसा: अधिकारी होंगे जिम्मेदार

भोपाल डेस्क :

चुनावी रैलियों और कार्यक्रमों में बच्चों के उपयोग को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसा है। आयोग ने कहा है कि चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि में बच्चों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इसके संबंध में सख्त निर्देश जारी करते हुए आयोग की ओर से राजनीतिक दलों को सलाह दी गई है कि वे चुनाव प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल न करें।

इस तरह की गतिविधियों को रोकना चुनाव अधिकारी की जिम्मेदारी होगी और ऐसा होने पर आयोग अधिकारी के विरुद्ध भी एक्शन लेगा। चुनाव आयोग के निर्देश पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सभी कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र लिखने जा रहे हैं।

चुनाव आयोग द्वारा इस संबंध में जारी निर्देश में कहा है कि चुनावी पोस्टर, पंपलेट्स के वितरण या चुनावी कार्यक्रम नारेबाज़ी, प्रचार रैलियां, चुनावी सभाएं आदि में बच्चों का उपयोग दल नहीं कर सकेंगे। आयोग ने कहा है कि बच्चों का चुनाव में राजनीतिक उपयोग किए जाने के मामले में आयोग का जीरो टॉलरेंस है।

आयोग ने साफ कहा है कि राजनीतिक नेता और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से प्रचार गतिविधियों के लिए बच्चों का उपयोग नहीं करना चाहिए। आयोग द्वारा जिन गतिविधियों पर रोक लगाई गई है उसमें चुनाव प्रचार के दौरान रैलियों, सभाओं में बच्चे को गोद में लेना, बच्चे को वाहन में ले जाना शामिल है।

माता पिता के साथ बच्चे की उपस्थित पर दिक्कत नहीं

आयोग ने बच्चों को लेकर जिन अन्य एक्टिविटीज पर रोक लगाई है उसमें कविता, गीत, बोलचाल के माध्यम से किसी भी तरीके से राजनीतिक अभियान चलाना, राजनीतिक दल, उम्मीदवार के प्रतीक चिन्ह का प्रदर्शन, विचारधारा का प्रदर्शन शब्दों के माध्यम से कराना या आलोचना कराना भी शामिल है। हालांकि आयोग ने कहा है कि अपने माता-पिता के साथ एक बच्चे की उपस्थिति मात्र या किसी राजनीतिक नेता के निकट अभिभावक और जो किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं है उसके द्वारा चुनाव प्रचार गतिविधियों को दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

कानूनी कार्यवाही की भी चेतावनी

आयोग ने यह भी कहा है कि इस दिशा निर्देशों का पालन नहीं किए जाने पर कानूनी कार्यवाही उम्मीदवार या राजनीतिक दल के विरुद्ध की जा सकेगी। सभी राजनीतिक दलों को स्पष्ट किया जाता है कि बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) का कड़ाई से पालन करें।

बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 द्वारा भी इसको लेकर स्थिति साफ की गई है। साथ ही निर्देशों में मुंबई उच्च न्यायालय ने के 4 अगस्त 2014 में जनहित याचिका सं 2012 का 127 (चेतन रामलाल भुटाड़ा बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य) का जिक्र भी किया गया है जिसमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया था कि राजनीतिक दल चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि में नाबालिग बच्चों की भागीदारी अनुमति न दें।

निर्देश का पालन कराना चुनाव अधिकारी की जिम्मेदारी, अफसर भी एक्शन के दायरे में

आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि चुनाव संबंधी कार्य के दौरान किसी भी गतिविधि में बच्चों को शामिल करने से बचें। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं रिटर्निंग अधिकारी व्यक्तिगत इस तरह के मामलों में प्रासंगिक कार्रवाई और बाल श्रम कानून का पालन कराने की जिम्मेदारी खुद वहन करेंगे। उनके अधीनस्थ क्षेत्राधिकार में चुनाव मशीनरी द्वारा इन प्रावधानों का कोई भी उल्लंघन पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।

 

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