भोपाल डेस्क :
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में दृष्टिबाधित लोगों को न्यायिक सेवा से बाहर रखने पर स्वत: संज्ञान लिया है। शीर्ष कोर्ट ने गुरुवार को मध्यप्रदेश भर्ती नियमों में किए संशोधन पर आपत्ति जताने वाली एक पत्र-याचिका पर संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका में बदल दिया। संशोधन में दृष्टिबाधित और दृष्टिहीन उम्मीदवारों को न्यायिक सेवा में नियुक्ति से बाहर रखा है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है। पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियमों की जांच करने का फैसला किया है। अदालत ने अपनी सहायता के लिए वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल को न्याय मित्र नियुक्त किया।