अतुल को मिला पहला ‘पीपी सिंह नेशनल जर्नलिज्म अवार्ड’: प्रोफेसर आनंद बोले- पीपी सर ऑर्गेनिक शिक्षक थे
भोपाल डेस्क :
पुष्पेन्द्र पाल सिंह ऑर्गेनिक शिक्षक थे, जो स्टूडेंट्स को क्लास रूम के बाहर की दुनिया से भी रूबरू कराते थे। उनके योगदान को पत्रकारिता शिक्षा जगत में हमेशा याद रखा जाएगा। सीनियर पत्रकार पुष्पेन्द्र पाल सिंह की जयंती (8 अक्टूबर) पर भोपाल में आयोजित पहले ‘पीपी सिंह राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान’ के मौके पर यह बातें प्रो. आनंद प्रधान ने कहीं।
प्रोफेसर आनंद ने कहा कि पत्रकारिता लोगों की सेवा है, जिसकी पहली निष्ठा नागरिकों के प्रति है। आज पत्रकारिता संस्थानों को आलोचनात्मक सोच की आवश्यकता है और इस चुनौती पर चर्चा होनी चाहिए।
पुष्पेन्द्र पाल सिंह स्मृति फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में न्यूजलॉन्ड्री के मैनेजिंग एडिटर अतुल चौरसिया को पहला ‘पी पी सिंह राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान’ दिया गया। उन्हें एक लाख रुपए की सम्मान राशि और स्मृति चिह्न भी दिया गया।
अतुल चौरसिया ने कहा- मेरे हीरो गांधी जी
अतुल चौरसिया ने कहा कि व्यक्तिगत जीवन में गांधी जी मेरे हीरो हैं और हम अपने पुरखों की प्रतिलिपि हैं। गांधी ने सत्य-अहिंसा जैसे तथ्यों को पिघलाकर अंग्रेजों को भगा दिया। आज लोकतंत्र में मीडिया की लड़ाई है। उन्होंने सवाल किया कि क्या जो लोग 26 जनवरी 1950 को नागरिक बने, उन्हें ये अधिकार मिल पाया। क्या लोगों के घर तक न्याय और बंधुत्व की भावना पहुंच सकी।
गांधी प्रेमी विचारक उत्तम परमार ने कहा कि लोकतंत्र में पत्रकार देश की रीढ़ की हड्डी होते हैं, इनका स्वतंत्र रहना जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि कोई सरकार आप पर कुछ थोप दे, और आप विरोध न कर सकें तो आप ने अपनी चेतना खो दी है।
प्रोग्राम की शुरुआत साया बैंड ने दुष्यंत कुमार की रचनाओं की संगीतमय प्रस्तुति से की। प्रोफेसर आनंद प्रधान ने कहा कि पत्रकारिता लोगों की सेवा है, उसकी पहली लॉयल्टी नागरिकों के प्रति है। आज पत्रकारिता संस्थानों को क्रिटिकल थिंकिंग की जरूरत है। यह चुनौती है, जिस पर चर्चा की जानी चाहिए।
मीडिया शिक्षक थे पीपी सर
यह आयोजन प्रोफेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह को श्रद्धांजलि में हुआ था, जिन्हें प्यार से पीपी सर कहा जाता था। वे प्रतिष्ठित मीडिया शिक्षक थे। मीडिया में उनका कद ऐसा था मानो वो अपने आप में एक यूनिवर्सिटी हों। उनकी विरासत उन असंख्य छात्रों में जीवित है, जिनका उन्होंने मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम में देशभर के 20 से अधिक मीडिया संगठनों के संपादक और 100 से अधिक जाने-माने पत्रकार मौजूद थे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र ने किया। समापन पर सचिन जैन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और इस आयोजन की सफलता के लिए सभी उपस्थित लोगों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।