श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन कथा वाचक बोली – चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद यह दुर्लभ मानव तन प्राप्त होता है। इसे सद्कार्यों में लगाएं,
आनंदपुर डेस्क :
चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद यह दुर्लभ मानव तन प्राप्त होता है। इसे सद्कार्यों में लगाएं। विना हरि कृपा के भव सागर से पार उतरना असंभव है। और यह कृपा हमें सिर्फ ईश्वर की भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है। यह विचार आमझिर आश्रम पर चल रही श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन रायसेन से पधारी कथावाचक राधादेवी के मुखरविंद से व्यक्त किए गए। कथा में भगवान श्रीकृष्ण वात्सल्य बाल लीलाओं का बड़ा ही मनमोहक चित्रण किया गया।
साध्वी ने कहा की जब भगवान पूतना जैसी राक्षसी जो उन्हें मारने आई थी। किंतु प्रभु ने उसे भी मोक्ष गति दी। बस उन्हें प्रेम से पुकारने की अवश्यकता है। किंतु आज का मानव राग द्वेष में घिरकर नित्य पाप क्रियाओं में संलिप्त हो गया है। ईश्वर करुणानिधि है। वह छल कपट से नहीं सिर्फ प्रेम से ही जीता जा सकता है। कथा स्थल पर बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी पहुंच रहे हैं। कथा के प्रमुख जजमान मलखान सिंह पटेल शेरगढ़ ने बताया की आमझीर आश्रम अति प्राचीन और रमणीय धर्म स्थल है। इसलिए हरी इच्छा यहां कथा का आयोजन करवाया जा रहा है। जिससे की सभी क्षेत्रवासी धर्म लाभ ले सकें। इस अवसर पर बाल मुकुंद दस महाराज, निरपाल पटेल राजपुर, सुदीप बघेल हरदौल खेड़ी, विट्टू बघेल जसरथखेड़ी सहित अनेक ग्रामों से सैंकड़ों धर्मप्रेमी उपस्थित रहे।