एम्स में आई दुनिया की पहली तकनीक: तंबाकू के सेवन के बाद पूरी तरह नहीं खुलता मुंह, अब ऐसे मरीजों को मिलेगी निजात
भोपाल डेस्क :
आम तौर पर तंबाकू खाने वाले या गुटखे का सेवन करने वालों का मुंह खुलना बंद हो जाता है, या बहुत कम खुलता है, वह कुछ चबा भी नहीं सकता, यहां तक कि दांतो को भी ठीक तरह से साफ नहीं कर पाता है। ठीक से भोजन न कर सकने से वह कमजोरी महसूस करता है और उसकी इम्युनिटी भी काफी कमजोर हो जाती है। इस स्थिति को ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (ओएसएमएफ)कहते हैं । अब इन मरीजों को इस परेशानी से निजात मिल सकेगी। एम्स भोपाल के दंत रोग विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अंशुल राय ने मुंह को खोलने के लिए नई तकनीक इजाद की गई है। बंद मुंह को फिर से सामान्य बनाने के लिए यह दुनिया की पहली तकनीक है। इस तकनीक को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया के रूप में भारत सरकार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ने कॉपीराइट प्रदान किया है। एम्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रोफेसर अजय सिंह ने एवं समस्त फैकल्टी डॉ अंशुल राय को इस सफलता के लिए बधाई दी है । यह डॉ अंशुल राय का तीसरा कॉपीराइट है जो उनको केंद्र सरकार ने दिया है ।
दर्जन भर मरीजों पर हुआ शोध
डॉ. राय ने बताया कि इस तकनीक के लिए गाल के अंदर की कड़क चमड़ी को सर्जरी के द्वारा हटा कर पेट के साइड की खाल और बक्कल फैट पैड के कॉम्बिनेशन का मरीजों में उपयोग किया गया। जिस मरीज का मुंह एक सेंटीमीटर खुल रहा था, इस इस के बाद वह चार उंगली लायक खुलने लग गया। इस शोध के लिए करीब एक दर्जन मरीजों पर अध्ययन किया गया।
उपचार पद्धती को मिल चुका है पेटेंट
मालूम हो कि इससे पहले अंशुल राय को दांत के उपचार की दो अन्य पद्धतियों के लिए पेंटेंट मिल चुका है। यह उनका तीसरा पेटेंट है। डॉ. राय का पहला कॉपीराइट उपचार मेडिकल जर्नल्स में राय मॉडिफिकेशन के नाम से जाना जाता है। ओएसएमएफ बीमारी के इलाज में उपयोग होने वाला एक मॉडिफाइड इंस्ट्रुमेंट बना चुके हैं । यूरोपियन जर्नल (जर्मनी ) में ओएसएमएफ बीमारी पर उनके शोध पत्र को खूब सराहा गया । बच्चों में सुपारी गुटका खाने के दुष्प्रभाव को और उसके इलाज वाले शोध पत्र को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (लंदन) ने प्रकाशित किआ है ।