मध्यप्रदेश

दिल्ली में कमलनाथ ने कहा, ‘आप सभी उत्साहित क्यों हो रहे हैं? मैं तो उत्साहित नहीं हूं: भाषणों में कांग्रेस का जिक्र नहीं, BJP के प्रति नरमी; अटकलों का खंडन भी नहीं

भोपाल डेस्क :

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ को लेकर चर्चाएं तेज हैं कि वे बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। दोनों दिल्ली पहुंच गए हैं। यहां मीडिया के सामने कमलनाथ ने कहा, ‘ सभी उत्साहित क्यों हो रहे हैं? मैं तो उत्साहित नहीं हूं। ऐसा कुछ होता है तो मैं आप सभी को सूचित करूंगा।’

गांधी परिवार के करीबी रहे कमलनाथ को लेकर चल रहीं इन अटकलों की वजह भी वे खुद ही हैं। दरअसल, पिछले 15 दिन में कमलनाथ की गतिविधियों और उनके बयानों की वजह से ही ऐसी स्थिति बनी है। इस दौरान उन्होंने सीधे तौर पर एक बार भी बीजेपी में शामिल होने की अटकलों का खंडन नहीं किया, न ही हालिया भाषणों में भाजपा के प्रति आक्रामक दिखे।

कांग्रेस की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं, ‘फिलहाल इसकी संभावना कम ही है कि कमलनाथ भाजपा में शामिल होंगे। हां, यह हो सकता है कि उनके बेटे नकुलनाथ कांग्रेस छोड़ दें। सवाल यह है कि भाजपा में जाने से कमलनाथ को मिलेगा क्या? वे बहुत ही सीनियर लीडर हैं। भले ही वे सिर्फ एक विधायक हैं, लेकिन उनका राजनीतिक कद बहुत बड़ा है।’

आपको बताते हैं वे बातें, जिनसे कमलनाथ और नकुलनाथ के भाजपा में शामिल होने के संकेत मिल रहे हैं…

1. पटवारी ने पीसीसी चीफ का पदभार ग्रहण किया, तब कमलनाथ मौजूद नहीं थे

राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले जीतू पटवारी को कमलनाथ की जगह कांग्रेस का मध्यप्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके बाद उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष और हेमंत कटारे को उपनेता प्रतिपक्ष बनाने से पहले कमलनाथ को भरोसे में नहीं लिया गया। यही वजह है कि जब जीतू पटवारी ने कार्यभार संभाला तो उस दौरान कमलनाथ मौजूद नहीं रहे।

2. सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात, शाम को हट गए छिंदवाड़ा कलेक्टर

8 फरवरी को विधानसभा में कमलनाथ की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात हुई और उसी शाम छिंदवाड़ा कलेक्टर का ट्रांसफर हो गया। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 11 फरवरी को अचानक कमलनाथ के निवास पर पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। पिछले एक महीने में कमलनाथ की डॉ. यादव से तीन बार मुलाकात हो चुकी है।

3. अशोक सिंह को सोशल मीडिया पर बधाई, लेकिन कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी

कमलनाथ ने अशोक सिंह को राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने पर सोशल मीडिया में बधाई दी, लेकिन उनके नामांकन के वक्त विधानसभा में मौजूद नहीं रहे। नामांकन के दौरान कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा दौरे पर थे।

4. बीजेपी में जाने का एक बार भी खंडन नहीं, इस रुख से अटकलों को हवा मिली

जब से उनके बीजेपी में जाने की अटकलें चल रही हैं, तब से लेकर अब तक कमलनाथ की तरफ से इसका कोई खंडन नहीं किया गया। वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन के कांग्रेस छोड़ने के बारे में सवाल किया गया तो कमलनाथ ने जवाब दिया, ‘राजनीतिज्ञ स्वतंत्र हैं और किसी भी संगठन से जुड़े होने के लिए बाध्य नहीं हैं।’

 

शुक्रवार को उन्होंने बीजेपी में शामिल होने संबंधी भास्कर के सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं अभी लोगों की बात सुन रहा हूं।’

5. हाल के भाषणों में कांग्रेस का जिक्र नहीं, भाजपा को लेकर नरम तेवर भी अपनाए

छिंदवाड़ा से रवाना होने से ठीक पहले परासिया के कार्यक्रम में कमलनाथ ने कहा, ‘छिंदवाड़ा की एक पहचान है उद्योग स्थापित करने की। हम धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, लेकिन आगे का रास्ता बहुत लंबा है। सबसे ज्यादा चिंता नई पीढ़ी को लेकर है। यदि उनका भविष्य अंधकार में रहेगा तो जिले और प्रदेश का निर्माण कैसे होगा? यह सबसे बड़ी चिंता है। छिंदवाड़ा को हम मिलकर अंतिम सांस तक आगे बढ़ाएंगे।’

6. कांग्रेस आलाकमान के फैसले से हटकर छिंदवाड़ा में रामनाम पत्रक बांटे

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का फैसला किया था। इसके बावजूद कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में भगवान राम के नाम के पत्रक बांटे। कमलनाथ ने लोगों से अपील की थी कि कम से कम 108 बार भगवान राम का नाम लिखें।

7. कमलनाथ के करीबी जबलपुर मेयर जगतबहादुर भाजपा में शामिल हो चुके हैं

जबलपुर के महापौर जगतबहादुर अन्नू और पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर पिछले सप्ताह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। दोनाें नेताओं को कमलनाथ का समर्थक माना जाता है। उनके पार्टी छोड़ने पर कमलनाथ ने कहा था, ‘जो जाना चाहते हैं, वे चले जाएं।’ कमलनाथ ने ही अन्नू को जबलपुर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। महापौर बनने के बाद भी उन्हें इस पद से नहीं हटाया गया था।

8. छिंदवाड़ा में पूर्व विधायकों से की मुलाकात, नेता बोले- राष्ट्रहित में निर्णय लेंगे

कमलनाथ 14 फरवरी को भोपाल से छिंदवाड़ा पहुंचे थे। उन्होंने दो दिन तक पूरे जिले में घूम-घूमकर कई कार्यक्रमों में शिरकत किया। शुक्रवार को कमलनाथ ने शिकारपुर में पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना, छिंदवाड़ा जिला अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे, सागर के कांग्रेस नेता अरुणोदय चौबे, सिवनी के कांग्रेस नेता एवं छिंदवाड़ा के प्रभारी सुनील जायसवाल और बैतूल के कांग्रेस नेता रामू टेकाम से अलग-अलग मुलाकात की।

कमलनाथ के एक करीबी नेता का कहना है कि वे (कमलनाथ) जो भी निर्णय लेंगे, वह राष्ट्रहित में होगा।

परदे के पीछे की राजनीति के दो अहम मोड़…

1. राज्यसभा में जाना चाहते थे कमलनाथ

कमलनाथ की सोनिया गांधी से 9 फरवरी को दिल्ली में मुलाकात के बाद समीकरण तेजी से बदले। दरअसल, कमलनाथ राज्यसभा जाना चाहते थे। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि उन्होंने 13 फरवरी को भोपाल स्थित आवास पर विधायकों को डिनर के लिए बुलाया था। कहा जा रहा है कि डिनर आयोजित करने का असली मकसद विधायकों का मन टटोलना था।

हालांकि पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष अशोक सिंह को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया गया।

2. आलोक शर्मा पर कार्रवाई नहीं की गई

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा था, ‘कमलनाथ के पिछले 5-6 वर्ष के कार्यकाल को देखकर लगता है कि वे खुद नहीं चाहते थे कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने। टिकट वितरण में भी उन्होंने अहंकार दिखाया।’ इस बयान पर शर्मा के खिलाफ पार्टी हाईकमान ने कोई एक्शन नहीं लिया। उन्हें नोटिस जरूर दे दिया गया, वह भी कमलनाथ के दबाव के बाद।

नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा से खुद को लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया

हाल ही में नकुलनाथ ने ऐलान किया था कि वे छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि जब कांग्रेस की लिस्ट सामने आएगी, तब औपचारिक घोषणा होगी। उन्होंने जोर देकर ये भी कहा था कि कमलनाथ नहीं बल्कि वे ही छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे। उनके इस बयान के बाद सवाल पूछे जाने लगे थे कि नकुलनाथ बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे या कांग्रेस के।

राजनीतिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है छिंदवाड़ा..

MP की 29 सीटों में से सिर्फ छिंदवाड़ा लोकसभा ही भाजपा के पास नहीं

मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा एकमात्र ऐसी लोकसभा सीट है, जहां से बीजेपी लगातार हार रही है। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में 29 में से 28 सीटें जीत लीं, लेकिन छिंदवाड़ा के किले को भेद नहीं पाई। माना यही जा रहा है कि नकुलनाथ को अपने पाले में लाकर बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज कर सकती है।

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी पूरा जोर लगाने के बावजूद भाजपा छिंदवाड़ा जिले की सात में से एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई।

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