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आम बजट 2023- 24: देश में क्या सस्ता क्या महंगा, देसी इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल फोन सस्ते, सिगरेट, चांदी

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आने वाले दिनों में मोबाइल फोन खरीदना सस्ता हो सकता है, वहीं सोना-चांदी खरीदना महंगा। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने मोबाइल फोन के कुछ पार्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी घटा दी है और सोना-चांदी पर ड्यूटी में इजाफा किया है। ऐसे में आम आदमी की जेब पर किन चीजों का बोझ बढ़ने जा रहा है और किससे उसे राहत मिलेगी, जानते हैं क्या हुआ सस्ता और क्या महंगा…

सस्ता

  • लिथियम आयन बैटरी बनाने में इस्तेमाल सामान की इंपोर्ट ड्यूटी घटाई।
  • टीवी पैनल के ओपन सेल के पुर्जों पर कस्टम ड्यूटी 5% से घटाकर 2.5% की गई।
  • मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग के लिए कुछ पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी घटाई।
  • हीट कॉइल पर कस्टम ड्यूटी 20% से घटाकर 15% कर दी गई है।
  • लैब में बने हीरों की मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल सीड पर ड्यूटी कम की।
  • एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए श्रिंप फीड पर कस्टम ड्यूटी कम करेगी।

महंगा

  • सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आपात ड्यूटी (NCCD) को 16% बढ़ाया
  • गोल्ड बार और प्लेटिनम से बने सामान की ड्यूटी बढ़ाई
  • चांदी की ड्यूटी 6% से 10% की। उससे बने सामान पर भी ड्यूटी बढ़ाई
  • कंपांउडेड रबर पर ड्यूटी को 10% से बढ़ाकर 25% किया
  • किचन इलेक्ट्रिक चिमनी पर कस्टम ड्यूटी 7.5% से बढ़ाकर 15% की गई

अब बात GST की जिसके दायरे में 90% प्रोडक्ट आते हैं…
ऐसे कम ही प्रोडक्ट है जो बजट में सस्ते या महंगे होने जा रहे हैं। इसका कारण है गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी GST। 2017 के बाद लगभग 90% प्रोडक्ट की कीमत GST पर निर्भर करती है, जिसे GST काउंसिल तय करती है। वर्तमान में GST के टैक्स स्लैब में चार दरें – 5%, 12%, 18% और 28% हैं। आवश्यक वस्तुओं को इस टैक्स से छूट है या सबसे निचले स्लैब में रखा है। GST से जुड़े सभी फैसले GST काउंसिल लेती है।

आगे बढ़ने से पहले कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स…
इनसे पता चलता है कि 1950 और 2023 के बीच कुछ ऐसे प्रोडक्ट भी है जिन्हें खरीदना आम आदमी के लिए आसान हो गया है। ये भी कह सकते हैं कि इन प्रोडक्ट की महंगाई आय की तुलना में काफी कम बढ़ी है।

अब नजर बीते एक साल पर…
बीते साल आटा 23% बढ़ा तो लोन भी महंगा हो गया है। पिछले साल जनवरी में एक किलो आटा 26 रुपए में मिलता था। दिसंबर में तो इसकी कीमत बढ़कर 32 रुपए किलो हो गई। इसी तरह हर घर में रोजाना उपयोग होने वाले सामान जैसे तेल, दूध और चावल जैसी चीजों के दाम भी बढ़े हैं। 2022 में पहली बार घरेलू गैस सिलेंडर 1,000 रुपए के पार निकल गया। RBI की ओर से महंगाई को कंट्रोल करने के लिए बढ़ाई गई ब्याज दरों के कारण लोन भी महंगे हो गए हैं। नीचे दिए ग्राफिक्स से आप बीते एक साल की महंगाई को समझ सकते हैं…

टॉप 5 इकोनॉमी में महंगाई
केवल भारत ही नहीं है जो महंगाई का सामना कर रहा है। दुनिया की टॉप 5 इकोनॉमी अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और भारत की बात करें तो दिसंबर 2022 में सबसे ज्यादा 8.6% महंगाई जर्मनी में रही। भारत में दिसंबर में रिटेल महंगाई (CPI) घटकर 5.72% पर आ गई। ये 12 महीनों का निचला स्तर है। यहां खाने-पीने का सामान खास तौर पर सब्जियों की कीमतों के घटने की वजह से महंगाई से कुछ राहत मिली है।

चलते-चलते महंगाई बढ़ने के कुछ कारण जान लीजिए। लेकिन इससे महंगाई की इकोनॉमी को समझने में काफी आसानी होगी…
महंगाई के बढ़ने का सीधा-सीधा मतलब आपके कमाए पैसों का मूल्य कम होना है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो आपके कमाए 100 रुपए का मूल्य 93 रुपए होगा। ऐसे कई फैक्टर हैं जो किसी इकोनॉमी में कीमतों या महंगाई को बढ़ा सकते हैं। आमतौर पर, महंगाई प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने, प्रोडक्ट और सर्विसेज की डिमांड में तेजी या सप्लाई में कमी के कारण होती है। महंगाई बढ़ने के 6 बड़े कारण होते हैं:

  • डिमांड पुल इन्फ्लेशन तब होती है जब कुछ प्रोडक्ट और सर्विसेज की डिमांड अचानक तेजी से बढ़ जाती है।
  • कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन तब होती है जब मटेरियल कॉस्ट बढ़ती है। इसे कंज्यूमर को पास कर दिया जाता है।
  • यदि मनी सप्लाई प्रोडक्शन की दर से ज्यादा तेजी से बढ़ती है, तो इसका परिणाम महंगाई हो सकता है।
  • कुछ इकोनॉमिस्ट सैलरी में तेज बढ़ोतरी को भी महंगाई का कारण मानते हैं। इससे प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ती है।
  • सरकार की पॉलिसी से भी कॉस्ट पुश या डिमांड-पुल इन्फ्लेशन हो सकती है। इसलिए सही पॉलिसी जरूरी है।
  • कई देश इंपोर्ट पर ज्यादा निर्भर होते हैं वहां डॉलर के मुकाबले करेंसी का कमजोर होना महंगाई का कारण बनता है।

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