मध्यप्रदेश में पहली बार जटिल ऑपरेशन: कार्डियक अरेस्ट से बचने पेट की जगह पीठ के रास्ते लेप्रोस्कोपी कर किडनी निकाली

भोपाल डेस्क :
74 वर्षीय गैस पीड़ित मरीज की पथरी की वजह से किडनी खराब हो गई। शरीर में संक्रमण को फैलने से बचाने के लिए किडनी को निकालना जरूरी था, लेकिन मरीज के कमजोर हार्ट की वजह से पेट के रास्ते (ट्रांसपेरिटोनियल अप्रोच) लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करना काफी जोखिम भरा था।
इस स्थिति में बीएमएचआरसी के डॉक्टरों ने बेहद कठिन तकनीक का इस्तेमाल कर पीठ के रास्ते (रेट्रोपेरिटोनियल अप्रोच) सर्जरी कर मरीज का निशुल्क इलाज किया। प्रदेश में पीठ के रास्ते से किडनी का ऑपरेशन करने का यह पहला केस है। ये दावा अस्पताल प्रबंधन का है। मरीज अब स्वस्थ है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। बीएमएचआरसी के यूरोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ अभिषेक चौबे ने बताया कि मरीज को बीते कई महीनों से किडनी में पथरी थी। इसकी वजह से उन्हें बार-बार बुखार आता था। मरीज को हाइपरटेंशन भी था। जांच में पता चला कि उनकी एक किडनी खराब हो चुकी है और अन्य अंगों को संक्रमण से बचाने के लिए इस किडनी को निकालना आवश्यक है।
बीएमएचआरसी के एनेस्थीसिया विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गौरव आचार्य ने बताया कि ऑपरेशन से पहले हुई जांचों से पता चला कि मरीज का हार्ट केवल 20 फीसदी काम कर रहा है। उनके बाएं फेफड़े में एक गठान और दोनों फेफड़ों के बेस में फाइब्रोसिस है। ऐसी स्थिति में ऑपरेशन के दौरान मरीज को ब्लीडिंग की वजह से कार्डियक अरेस्ट आ जाने और फेफड़ों के दब जाने की आशंका थी। ऐसी स्थिति में पेट के रास्ते ऑपरेशन करना मुमकिन नहीं था।
पीठ के जरिए सर्जरी करना काफी कठिन
डॉ. अभिषेक चौबे ने बताया कि आमतौर पर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी पेट की ओर से की जाती हैं। इसे ट्रांसपेरिटोनियल अप्रोच से सर्जरी करना कहते हैं। इस पद्धति से सर्जरी करने पर सर्जन को सर्जरी के लिए अधिक जगह मिलती है और इस तरह सर्जरी करना अपेक्षाकृत आसान होता है। किडनी की सर्जरी पीठ के रास्ते से भी की जाती है, इसे रेट्रोपेरिटोनियल अप्रोच कहते हैं। यह पद्धति जटिल होती है, क्योंकि पीठ से ऑपरेशन के लिए सर्जन के पास बहुत कम जगह होती है। हालांकि मरीज के लिए कई मामलों में काफी फायदेमंद होती है।
शोधपत्र जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजेंगे
डॉ. सारिका कटियार ने बताया कि भारत में रेटिपोलिनय अप्रोच बहुत ही कम अस्पतालों में की जाती है। ऑपरेशन की जटिलता देखते हुए हम इस केस को रिसर्च जर्नल में प्रकाशित करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए हम शोधपत्र तैयार कर रहे हैं, जिसे प्रकाशन के लिए इंडियन जर्नल ऑफ एनेस्थीशिया में भेजा जाएगा। वहीं प्रभारी निदेशक डॉ मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि गर्व की बात है कि बीएमएचआरसी प्रदेश का पहला अस्पताल बना है, जिसने रेट्रोपेरिटोनियल अप्रोच से मरीज की सर्जरी की।



