मध्यप्रदेश

शरद पूर्णिमा चंद्रग्रहण के बंद मंदिरों के पट खुले: श्रद्धालु अब ग्रहण के मोक्ष काल के बाद अब मंदिरों में दर्शन कर सकते हैं

इंदौर डेस्क :

शनिवार को शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग बनने से इंदौर के सभी मंदिरों में ग्रहण के सूतक काल के चलते पट बंद कर दिए गए। श्रद्धालु अब ग्रहण के मोक्ष काल के बाद अब मंदिरों में दर्शन कर सकते हैं। शहर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर,रणजीत हनुमान सहित सभी मंदिरों में शाम 4 बजे ही संध्या आरती के बाद पट बंद हो गए थे।

खजराना गणेश मंदिर के पुजारी अशोक भट्ट ने बताया कि सूतक के चलते अब भक्तों को रविवार सुबह 5 बजे के बाद से फिर दर्शन शुरू हो गए हैं। रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी दीपेश व्यास का कहना है कि मंदिर के पट रविवार को सुबह 6 बजे खोल दिए गए हैं।

चंद्रग्रहण रात 1.05 बजे शुरू हुआ था 2 बजकर 24 मिनट पर खत्म हुआ। पुजारी अशोक भट्ट ने बताया कि भक्तों के लिए लगभग 13 घंटे तक मंदिर को बंद रखा गया था। चंद्रग्रहण में नौ घंटे पहले सूतक लग जाता है, इसलिए मंदिर शाम को नहीं खुल था। शहर के अन्य मंदिर भी चंद्रग्रहण के सूतक काल के दौरान बंद थे।

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ये ग्रहण तकरीबन 1 घंटा 19 मिनट का था। 1.44 के आसपास चंद्रमा का 12.6 % हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढंका हुआ दिखा। मौसम साफ होने पर ये खगोलीय घटना पूरे भारत में देखी गई। भारत के साथ पूरे एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका में भी ये ग्रहण दिखाई दिया। भारत में दिखने वाला अगला चंद्र ग्रहण 2024 में 17-18 सितंबर की रात में होगा।

18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर आंशिक चंद्र ग्रहण : सभी राशियों पर होता है इसका असर

शरद पूर्णिमा पर 18 साल बाद चंद्र ग्रहण हुआ था। इससे पहले 2005 में ऐसा योग बना था। मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर ग्रहण रहेगा। इस कारण दक्षिण और पूर्व दिशा में मौजूद राज्यों में इसका असर दिखेगा। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्‍वी पूरी तरह से नहीं आ पाती और पृथ्‍वी की छाया चांद के कुछ हिस्‍से पर ही पड़ती है। इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

इस बार चंद्रमा के 12.6 % हिस्से पर ही धरती की छाया पड़ी। ज्योतिर्विज्ञान और धर्मग्रंथों के मुताबिक इस ग्रहण में भी सूतक काल के नियमों का ध्यान रखा जाता है। ऐसे ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ता है।

ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है सूतक, इस दौरान मंत्र जाप का विधान

धर्म ग्रंथों के मुताबिक चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले ही धार्मिक कामों पर पाबंदियां लग जाती हैं। इसे सूतक काल कहते हैं। जो कि शाम 4 बजे से शुरू हो गया है। इस समय पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्यापार प्रारंभ जैसे शुभ काम नहीं होंगे। इसी कारण सूतक शुरू होते ही सभी मंदिर बंद हो जाते हैं। सूतक काल में देवी देवताओं के मंत्रों का जप करने का विधान है।

ग्रहण के दरमियान भगवान को छूने की मनाही, ग्रहण खत्म होने पर नहाते हैं

  • ग्रहण के बाद शरीर अपवित्र हो जाता है। ऐसे में चंद्र ग्रहण के दौरान देवताओं की पूजा करना या उन्हें छूने की मनाही होती है। ग्रहण के बाद मूर्तियों को गंगाजल से धोकर पवित्र करते हैं।
  • ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।
  • ग्रहण के दौरान पका हुआ खाना अपवित्र न हो, इसके लिए उसमें कुशा या तुलसी के पत्ते डालते हैं।
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर में रहने को कहा जाता है।
  • इस वक्त सब्जी काटने और कपड़े सिलने की मनाही होती है।
  • ग्रहण के बाद नहाकर साफ कपड़े पहनते हैं और गंगाजल का छिड़काव करते हैं।

एक घंटा 17 मिनट रहेगा खग्रास चंद्र ग्रहण

ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रभूषण व्यास ने बताया कि खग्रास चंद्र ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर था। उन्होंने बताया कि भारतीय मानक समयानुसार चंद्रग्रहण का कुल पर्व काल एक घंटा 17 मिनट था। चंद्रग्रहण मिथुन, मकर व कुंभ राशि के लिए शुभ, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु व मीन राशि के लिए मध्यम और मेष, वृष व कन्या राशि के लिए विपरीत असर एवं अशुभ रहने की संभावना थी। चंद्रग्रहण अवधि में अन्न, वस्त्र व धन का दान तथा प्रभु स्मरण व ध्यान विशेष फलदायक रहता है।

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