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राघोगढ़ परिवार की चौथी पीढ़ी की धार्मिक कार्यक्रम से राजनीति में इंट्री: जयवर्धन सिंह के पुत्र ने थामा माइक, दिया पहला भाषण, बोले- दाता के साथ आया हूँ, स्पीच देने

गुना डेस्क :

राघोगढ़ परिवार की चौथी पीढ़ी भी राजनीति को लेकर तैयार हो रही है। इसी क्रम में विधायक जयवर्धन सिंह के 6 वर्षीय पुत्र सहस्त्रजय सिंह ने अपना पहला भाषण दिया। वह अपने पिता के साथ एक धार्मिक कार्यक्रम में पहुँचे थे। यहां उन्होंने पहली बार माइक से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मैं दाता के साथ आया हूँ। यहां स्पीच देने आया हूँ।

बता दें कि राघोगढ़ राजघराने की तीन पीढियां राजनीति में रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पिता राघोगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष रहे। उनके बाद खुद दिग्विजय सिंह ने भी नगरपालिका से ही अपनी राजनीति की शुरुआत की। 2012-13 में तीसरी पीढ़ी के जयवर्धन सिंह राजनीति में सक्रिय हुए और 2013 में राघोगढ़ विधायक बने। अब राघोगढ़ परिवार की चौथी पीढ़ी भी तैयार हो रही है।

सोमवार को विधायक जयवर्धन सिंह के साथ उनके 6 साल के बेटे सहस्त्र जय सिंह भी पारंपारिक वेशभूषा में एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। यह कार्यक्रम केवट राज जयंती पर आयोजित किया गया था। जिसकी शुरूआत में ही उन्होंने पहला भाषण देते हुए कहा कि मैं दाता के साथ आया हूं, स्पीच देने आया हूं। बस फिर क्या था, लोगों ने तालियां बजाकर सहस्त्र जयसिंह का स्वागत किया। यहीं नहीं आयोजन समिति की ओर से उनका पुष्पहारों से भी स्वागत किया गया।

इस दौरान विधायक जयवर्धन सिंह ने इस वाकये को यह कहते हुए रेखांकित किया कि कल रात सहस्त्रजय ने कहा कि उन्हें गांव में जाना है और भाषण देना है। जिस पर से उन्होंने सवाल किया कि आपका भाषण सुनने कौन आएगा। भाषण देना है, तो प्रोग्राम फिक्स करो, जिस पर से सहस्त्र जय ने पिता जयवर्धन सिंह सेही कहा कि प्रोग्राम आप फिक्स करें। जयवर्धन सिंह ने उन्हें समझाते हुए कहा कि यदि भाषण देना है, तो शुरूआत घर से करो। इसके बाद वे अपने पिता जयवर्धन सिंह के साथ केवट राज जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने माइक भी संभाला और स्पीज देनी की इच्छा जताई। इसी के साथ ही धार्मिक आयोजन के बहाने ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के परिवार की नई पीढ़ी की भी राजनीति में एंट्री हो गई है।

कार्यक्रम के दौरान खुद जयवर्धन सिंह ने बताया कि अभी हाल ही में किले पर पहुंचे पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के साथ सहस्त्र जय ने काफी बातें की। यहीं नहीं किले में चारों ओर वीर हनुमान के विराजे होने को देखते हुए अब वे भी हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे हैं। यहीं नहीं धार्मिक कार्यों में भी सहस्त्रजय की रूचि रहती है। कार्यक्रम के दौरान जयवर्धन सिंह ने बेटे सहस्त्रजय सिंह को समझाते हुए कहा कि यह सभी लोग उनका परिवार हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी केवट समाज के लोगों ने राघौगढ़ परिवार का साथ दिया है।

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