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MP में चुनावी सरगर्मियां तेज, भारत जोड़ो की थीम पर सामाजिक संगठनों को जोड़कर होगी इलेक्शन की कैम्पेनिंग: प्रदेश में कर्नाटक जैसा ग्राउंड तैयार करेगी सोसायटी

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद कांग्रेस उत्साहित है। इस जीत को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से मिले रेस्पाॅन्स का नतीजा माना जा रहा है। राहुल के साथ पदयात्रा में शामिल रहे योगेन्द्र यादव ने कर्नाटक में स्थानीय मुद्दों पर काम कर रहे सामाजिक संगठनों को जोड़कर इलेक्शन कैम्पेन चलाया। योगेन्द्र यादव ने सिविल सोसाइटी के जरिए कैम्पेनिंग की। वहां कांग्रेस का सक्सेज रेट 67% रहा। अब मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस कर्नाटक को दोहराने की तैयारी में है। सामाजिक संगठन कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाएंगे।

जानिए, कर्नाटक में क्या प्रयोग हुआ

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के खत्म होने के बाद दिल्ली में 6 फरवरी को सामाजिक संगठनों, जनआंदोलनों के नेतृत्वकर्ताओं की बैठक हुई। बैठक में भारत जोड़ो अभियान का गठन हुआ। इसके अस्तित्व में आने के बाद कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज हो गई।

अभियान के कर्ताधर्ताओं ने कर्नाटक जाकर स्थानीय सिविल सोसाइटी, लोकल परियोजनाओं के विस्थापन के चलते खड़े हु़ए जनआंदोलनों के नेताओं को जोड़ा। उसके बाद करीब 102 विधानसभाओं में गैर भाजपाई मूवमेंट का काम शुरू कर दिया। इस इलेक्शन मूवमेंट में भारत जोड़ो अभियान की टीम के मेंबर्स ने मेनस्ट्रीम मीडिया के बजाए सोशल मीडिया का उपयोग किया। वॉट्सऐप और सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज को का पटाक्षेप करने के लिए लोकल लैंग्वेज में कंटेंट तैयार कर शेयर किया।

93 सीटों पर लड़े, 63 पर जीत मिली

भारत जोड़ो अभियान के नेशनल काउंसिल मेंबर योगेन्द्र यादव ने बताया कि टीम के सदस्यों ने कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 102 पर सर्वे किया। इसके बाद सीधे तौर पर 93 सीटों पर कांग्रेस के सपोर्ट करने का फैसला किया। जनआंदोलनों के मूवमेंट की वजह से कांग्रेस को 63 सीटों पर जीत मिली। अब यही प्रयोग मप्र में करने वाले हैं।

ट्रायबल बेल्ट में बड़े प्रोजेक्ट्स के खिलाफ आंदोलित आदिवासी संगठनों में बढ़ाई पैठ

योगेन्द्र यादव कहते हैं कि हम मप्र में चुनावी कैम्पेन करेंगे, ये झूठी बात है। ये हमारे वश में नहीं है, लेकिन जहां लोग ज्यादा परेशान हैं। सांप्रदायिक और नफरत की राजनीति से, सरकारी तंत्र के माध्यम से जहां आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों पर शोषण किया जा रहा है। हम उनके हक और अधिकार के लिए काम कर रहे लोगों को जोड़ रहे हैं। लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरुक करने का प्रयास करेंगे।

25 जिलों के 26 संगठनों की भोपाल में हुआ अधिवेशन

बुधवार को भोपाल के गांधी भवन में हुए भारत जोड़ो अभियान के अधिवेशन में मप्र के 25 जिलों के करीब 26 सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मप्र के पूर्व सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय सिंह, भारत जोड़ो अभियान के नेशनल काउंसिल मेंबर योगेन्द्र यादव, अजीत झा, भारत जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय परिषद सदस्य, तारा राव बेंगलुरू से शिक्षाविद अनिल सद्गोपाल, विजय पांडा, विवेक पवार, दादुलाल खुरापे और अलग-अलग इलाकों में चल रहे आंदोलनों के नेताओं ने भाग लिया।

ये संगठन भारत जोड़ो अभियान से जुड़े

  • आदिवासी मुक्ति संगठन
  • आदिवासी एकता संगठन
  • बरगी बांध विस्थापित संघ
  • चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति
  • जन संघर्ष मोर्चा महाकौशल
  • बरगी बांध लिफ्ट सिंचाई
  • बसनिया बांध विरोधी संघर्ष समिति
  • पारंपरिक ग्राम सभा
  • भीम एकता समाज
  • सिलिकोसिस पीड़ित संघ

योगेन्द्र यादव बोले- हम जनआंदोलन से निकले लोग

गांधीवादी अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन में अरविंद केजरीवाल के साथी रहे योगेन्द्र यादव ने भोपाल में कहा- हम कोई कांग्रेस के लोग नहीं बल्कि, जनआंदोलन से निकले लोग हैं। आमतौर चुनावी राजनीति से अधिकांश सामाजिक संगठन दूर रहते हैं, लेकिन इस बार देश में उपजे संकट के कारण जब संविधान को, देश की विरासत को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, इसलिए हमने संकल्प लिया है कि हम लोग सामान्य धर्म को छोड़कर आपात धर्म की तरह चुनावी राजनीति पर असर डालेंगे। क्योंकि जब सत्ता के जरिए जब झूठ और नफरत फैलाई जाए, तो जनता को खड़ा होना पड़ेगा।

ये प्रयोग कर्नाटक में किया, वहां तमाम जनआंदोलनों ने इकट्‌ठे होकर 102 सीटों पर असर डालने का प्रयास किया। उनमें से 71 पर हमें परिणाम को प्रभावित करने में सफलता मिली है। यही प्रयोग मप्र में कर रहे हैं। शुरुआती बैठक में मप्र के अलग-अलग इलाकों से जनसंगठनों के लोग शामिल हुए हैं। हमारा अब प्रयास होगा कि इससे आगे बढ़ते हुए हम पूरे मप्र के कोने-कोने में प्रदेश की चेतना को बदलने के लिए और जमीन से जुड़े सही मुद्दों को जनता के सामने रखते हुए राजनैतिक परिवर्तन के लिए काम करेंगे।

कर्नाटक की इलेक्शन कैम्पेनिंग में ऐसे ग्राउंड पर भारत जोड़ो अभियान की टीम उतरी

योगेन्द्र यादव ने बताया कि कर्नाटक में हमारी टीम ने दो क्षेत्रों में काम किया। पहला विषय था ‘संवाद।’ हमने देखा कि वहां का मीडिया सत्ताधारी दल के कब्जे में था। वहां वैकल्पिक मीडिया प्लेटफाॅर्म तैयार किए। सोशल मीडिया के नेटवर्क बनाकर झूठ का प्रतिकार किया। फेक न्यूज को खत्म करने के लिए नेटवर्क बनाया। 102 सीटों को चुनकर जमीन पर बहुत पहले से टीम भेजी, जिसने वहां चिन्हित इलाकों में काम किया।

उनमें से 93 सीटों पर कांग्रेस का समर्थन करने का फैसला तय किया था, उनमें से 63 सीटों पर कांग्रेस जीती। ये पहली बार जनआंदोलनों की तरफ से राजनैतिक भागीदारी का प्रयोग किया गया था। नहीं तो आमतौर पर जनआंदोलन सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुद्दों को गिना देते थे, लेकिन हमने कहा कि केवल इतने से काम नहीं चलेगा। हमें जमीन पर उतरकर बदलाव लाना पड़ेगा।

कर्नाटक में जो सीखा, उसे मप्र में लागू करेंगे
हमने कर्नाटक में जो हमने सीखा है, उसे मध्यप्रदेश में हम आगे बढ़कर गहराई में जाएंगे और बुनियादी बदलाव लाएंगे। मप्र के जितने भी जनआंदोलन हैं, उनमें से ज्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में हुए हैं। इसके साथ ही ये भी न भूला जाए कि किसान आंदोलन की भूमि भी मप्र है। मंदसौर में किसानों पर गोली चलाने की घटना के बाद ऐतिहासिक किसान आंदोलन हुआ था। मप्र का किसान आंदोलन मजबूत है। किसानों के आंदोलन के साथ दलित, आदिवासी और पहली बार मप्र में ओबीसी का सवाल उठ रहा है। बजाय हम मप्र की सीटों पर जाने का प्रयास करने के चिन्हित सीटों पर प्रयास कर असर डालेंगे जैसा हमने कर्नाटक में किया है।

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