उज्जैन डेस्क :
स्वराज संस्थान संचालनालय, मप्र संस्कृति विभाग के अंतर्गत आने वाला महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ अपनी स्थापना के करीब 14 साल बाद नए भवन में शिफ्ट होने जा रहा है। इस भवन में एक प्री-व्यू थियेटर भी बनाया जा रहा है, जिसमें हर सप्ताह पौराणिक फिल्में दिखाई जाएगी। शोधपीठ के कार्यालय भवन में प्रवेश करते ही साढ़े तीन फीट ऊंची विक्रमादित्य की प्रतिमा दिखाई देगी। 22 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान शोधपीठ के इस कार्यालय भवन का लोकार्पण करेंगे।
देवास रोड पर कुलपति बंगले के सामने शिप्रांजलि न्यास के भवन में कुछ निर्माण सहित रिनोवेशन कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस भवन में कई साल तक महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय का संचालन होता रहा। अब यहां महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ का कार्यालय बन रहा है। शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया 2009 में शोधपीठ की स्थापना हुई थी, तब शोधपीठ का कोई भवन नहीं था। इसलिए तत्कालीन उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. मोहन यादव ने उदयन मार्ग स्थित अध्यक्ष बंगला इसके संचालन के लिए दे दिया था, तब से वहीं इसका संचालन होता रहा।
अब 3.95 करोड़ रुपए की लागत से न्यास के भवन को नया रूप देते हुए शोधपीठ का कार्यालय तैयार हो रहा है। तिवारी ने बताया इस भवन में 4 कार्यालय संचालित होगा। इसके अतिरिक्त 11 कक्षों में शोध, लाइब्रेरी सहित अन्य गतिविधियां होगी। एक बड़ा हॉल लाइब्रेरी के लिए रहेगा, जिसमें 10 हजार से अधिक किताबें लिए रहेगी।
करीब 60 व्यक्तियों की क्षमता वाला एक बड़ा कॉन्फ्रेंस हॉल रहेगा। खास बात यह है कि इस भवन में एक प्री-व्यू थियेटर भी रहेगा, जिसमें विक्रमादित्य और उनके नवरत्नों पर आधारित फिल्में और अन्य पौराणिक फिल्मों का प्रदर्शन प्रति सप्ताह किया जाएगा। इस थियेटर में 20 लोग एक समय में यह फिल्में देख सकेंगे।
कार्यालय भवन में प्रवेश हॉल में सम्राट विक्रमादित्य की साढ़े तीन फीट ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी। प्रतिमा तैयार होने के बाद एक सप्ताह के भीतर इसे नए भवन में स्थापित किया जाएगा। 22 सितंबर को लोकार्पण के बाद अक्टूबर में यहां शोधपीठ को शिफ्ट कर संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
प्रथम तल पर तैयार होगी पांच गैलेरी, नवरत्नों के चित्र प्रदर्शित होंगे
विक्रमादित्य शोधपीठ के नए भवन में एक साल के भीतर करीब 8 करोड़ रुपए की लागत से प्रथम तल का निर्माण किया जाएगा। इसमें पांच गैलेरी बनाई जाएगी। इसमें सम्राट विक्रमादित्य, उनके नवरत्नों और विक्रमादित्य कालीन 80 मुद्राओं के चित्र लगाए जाएंगे। इसके अलावा यहां भारत के ऋषि वैज्ञानिकों पर आधारित आर्ष भारत प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। साथ ही एक बड़ा ऑडिटोरियम भी बनाया जाएगा।