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छतरपुर के बागेश्वर धाम अर्जी लगाने आया शिक्षक लापता: 3 माह से तलाश रहा छोटा भाई, 1 लाख रुपए इनाम के पोस्टर छपवाए

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छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने पहुंचा बिहार का एक शिक्षक तीन महीने से लापता है। उसका नाम लालन कुमार है और वह बिहार के दरभंगा जिले का रहने वाला है। वह 6 फरवरी 2023 को बागेश्वर धाम पहुंचा था। इसके बाद से उसका कुछ पता नहीं चल पा रहा है। परिजन लगातार उसे तलाश रहे हैं। शिक्षक के सॉफ्टवेयर इंजीनियर छोटे भाई लक्ष्मण ने तो उसे ढूंढने के लिए 12 लाख रुपए सालाना की नौकरी छोड़ दी है। वह अपने भाई की तलाश में दर-दर भटक रहा है।

लक्ष्मण का कहना है कि जो भी लालन कुमार का पता बताएगा, उसे एक लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। मामले की गुमशुदगी बमीठा थाने में दर्ज कराई गई है। शुक्रवार शाम को परिजन एक बार फिर बमीठा थाने पहुंचे और आवेदन दिया। ASP विक्रम सिंह ने बताया कि लापता शिक्षक की तलाश की जा रही है।

पत्नी को बताया था- बाबा के दर्शन हो गए

दरभंगा जिले के बघौनी से शिक्षक लालन कुमार (36) 6 फरवरी को दर्शन करने बागेश्वर धाम आए थे। परिजन के मुताबिक जब वे बघौनी से निकले, तब पूरी तरह स्वस्थ थे। रोज बच्चों को पढ़ाने स्कूल जाया करते थे। बागेश्वर धाम पहुंचने के बाद सुबह 5 बजे उनकी बात पत्नी सविता कुमारी से हुई थी। शिक्षक ने पत्नी को बताया था कि बाबा के दर्शन हो चुके हैं। एक-दो दिन में घर लौट आएंगे। उसी दिन 10 बजे के बाद उनका फोन बंद हो गया।

भाई ने 3, पत्नी ने 2 बार अर्जी लगाई

शिक्षक के गुम होने के बाद परिजन ने 11 फरवरी 2023 को पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी। बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास भी उनके छोटे भाई लक्ष्मण (26) ने 3 बार अर्जी लगाई। यही नहीं, शिक्षक की पत्नी भी 2 बार अर्जी लगा चुकी है। लक्ष्मण का कहना है कि मैंने भाई की तलाश में जगह-जगह पोस्टर लगाए। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर और मेरे नंबर सर्कुलेट कर दिए, जिससे किसी भी तरह से मुझे भाई का पता लग सके।

लक्ष्मण कुमार से जानिए लापता भाई की कहानी..

12 फरवरी 2023 को किसी ने बड़े भाई के मोबाइल से मुझे कॉल किया और कहा कि यह व्यक्ति बीते चार दिन से मध्यप्रदेश के हरदा जिले में है। उनका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है। मैं 13 फरवरी को दोपहर में ट्रेन से वहां पहुंच गया। सबसे पहले अपने दोस्त के साथ कोतवाली गया। वहां पुलिस को पूरी बात बताई। इसके जवाब में मुझसे कहा गया कि हरदा बहुत छोटा सा शहर है। आप खुद ही ढूंढ लो। अगर आपका भाई यहां होगा तो आसानी से मिल जाएगा। यह सुनकर भाई को ढूंढने शहर में निकल पड़ा।

हम खेड़ीपुरा मोहल्ले में पहुंचे। वहां एक व्यक्ति ने खुद को पूर्व विधायक मनोहर लाल राठौर बताया और कहा कि आपके भाई को सुबह यहीं देखा था। उसे पुलिस उठाकर ले गई है। इसके बाद मैं पुन: हरदा कोतवाली गया, जहां कहा गया कि हम ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं लाए हैं। आपको जिसने भी सूचना दी है, वह गलत है। उनकी बात सुनकर मैं निराश हो गया।

मैंने अपने दोस्तों के साथ करीब 15 दिन तक पूरे शहर की खाक छानी, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं लगा। आखिरकार हम हरदा से लौट आए। अब तक तलाश कर रहे हैं। हमारी तलाश एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक चलती है। कभी इस थाने तो कभी उस थाने के चक्कर काट रहे हैं। अब एक बार फिर बमीठा थाने आए हैं, ताकि पुलिस को हम पर तरस आ जाए और वे मेरे भाई को ढूंढ निकाले।

परिजन परेशान, मां ने पकड़ा बिस्तर

लक्ष्मण कुमार सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में एक कंपनी में 12 लाख रुपए के पैकेज पर काम कर रहा था। लेकिन जब से भाई लापता हुए हैं, काम छोड़कर उन्हें ढूंढ रहे हैं। हमारा पूरा परिवार परेशान है। हालत बदतर हो गई है। मां, भाभी और भाई के बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। मां ने तो 3 महीने से बिस्तर पकड़ लिया है।

बाबा और दरबार पर भरोसा नहीं, सब बेकार…

लक्ष्मण कुमार का कहना है कि उसे बाबा और उनके दिव्य दरबार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं रहा। भाई यहां अपनी परेशानियों से निजात लेने के लिए पूरी आस्था के साथ आया था, लेकिन हुआ उल्टा। यहां से तो मेरा भाई ही गायब हो गया। जिसकी वजह से पूरा परिवार परेशान है। मुझे तो बाबा और उनके दरबार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। यह सब दिखावा और आडंबर है। अगर बाबा और उनमें जरा भी सत्यता है तो मेरे भाई का पता लगवा दें, जो उनके दरबार से गायब हुआ है।

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