भोपाल डेस्क :
साल 2023 में अब तक मप्र ने 38 बाघ खो दिए हैं। पिछले साल कुल 34 बाघों की मौत हुई थी। चिंताजनक यह है कि इस साल जिन बाघों की मौत हुई है, उनमें से एक चौथाई यानी 10 की जान टाइगर रिजर्व से बाहर हुई है। यानी इनके शिकार की प्रबल आशंका है। प्रदेश में कुल 6 टाइगर रिज़र्व रहे हैं। इस साल सितम्बर में केंद्र ने वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिज़र्व को 7वें टाइगर रिजर्व के रूप में नोटिफाई किया है।
केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में अब तक कुल 38 बाघों की मौत प्रदेश के अलग अलग टाइगर रिजर्व में हुई है। हालांकि, इनमें मौत के कारणों का उल्लेख नहीं है। एक प्राकृतिक मौत के अलावा 37 मौतें ‘अन्य कारणों’ से होना बताया गया है। इसी दौरान देशभर में कुल 163 बाघों की मौत हुई है। प्रदेश में हुई मौतें देशभर में हुई मौतों का लगभग एक चौथाई है।
प्रदेश में 785 बाघ, 355 खुले जंगल में… टाइगर एस्टीमेशन 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, 785 में से 355 खुले जंगल यानी 6 टाइगर रिजर्व के बाहर हैं। एक तिहाई तो रिजर्व से सटे इलाकों में हैं।
- वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाले स्वयंसेवियों के मुताबिक, खुले जंगल में घूम रहे बाघ खेतों में लगे करंट वाले तार, छोटे जानवरों के लिए लगाए फंदों और शिकारियों के हत्थे चढ़ जाते हैं। बाघ के अंगों के लिए भी कटनी, पन्ना और बालाघाट जैसे इलाकों में शिकार होता है।