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बच्चों का भविष्य संवारने महिला ने छोड़ दी सरपंच की कुर्सी: 8 महीने पहले ही 256 वोटों से जीती थीं चुनाव

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सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति के अखाड़े में उतरने के तो कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे, लेकिन ऐसा कम ही होता है कि कोई पद छोड़कर सरकारी नौकरी जॉइन कर लें। मप्र के बड़वानी जिले में ऐसा ही हुआ है। यहां के अंजड़ के ग्राम बिल्वारोड की एक महिला ने शुक्रवार को ग्राम सरपंच का पद छोड़ दिया। पूर्व सरपंच मंजू राठौर (33) अब शिक्षक बनने जा रही हैं।

इस बारे में बताते हुए मंजू राठौर ने कहा कि यह त्याग मैंने बच्चों के भविष्य के लिए किया है। मेरा सपना शुरू से ही टीचर बनने का रहा। हालांकि 8 माह पहले हुए चुनाव में मैंने परिवार के कहने पर चुनाव लड़ा, जिसमें मुझे जीत भी हासिल हुई। लेकिन अब मेरा सिलेक्शन टीचर के लिए हो गया है, इसलिए अपने सपने को जीने के लिए मैंने सरपंच की कुर्सी छोड़ दी है। कुर्सी सपनों से बड़ी नहीं होती।

चुनाव में 256 वोट से मिली थी जीत

ग्राम बिल्वारोड में रहने वाली मंजू राठौर पति कान्हा राठौर 13 जुलाई 2022 को सरपंच पद पर नियुक्त हुई थी। बिल्वारोड ग्राम पंचायत में 1100 मतदाता हैं, 1 जुलाई को हुए चुनाव में करीब 1000 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। 15 जुलाई को परिणाम आए, जिसमें मंजू की 256 मतों से जीत हुई थी। इस बीच मंजू का चयन 25 किमी दूर ग्राम दानोद के प्रायमरी स्कूल में शिक्षक के रूप में हो गया। मंजू ने बताया कि अभी वर्ग 3 में चयन हुआ है, जबकि मैंने वर्ग 2 के लिए भी अप्लाई किया है। मंजू ने शादी के बाद एमए, बीएड किया है। वह MSW (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) की पढ़ाई भी कर चुकी है।

दुविधा थी, गांव की तस्वीर बदलूं या बच्चों का भविष्य संवारू…

मंजू ने बताया, मुझे बिल्वारोड के ग्रामीणों ने करीब 8 माह पहले सरपंच चुना था। सरपंच रहते हुए गांव के विकास कार्यों को कराने में जुटी रही। इस बीच मैंने संविदा शिक्षक वर्ग तीन की परीक्षा दी। जब परीक्षा का रिजल्ट आया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था, लेकिन एक दुविधा थी कि सरपंच बनकर गांव की तस्वीर बदलूं या फिर शिक्षक बनकर बच्चों का भविष्य संवारू। काफी सोच विचार के बाद मैंने सरपंच का पद छोड़ने का फैसला लिया।

मैं शुक्रवार त्यागपत्र देने के लिए ठीकरी जनपद सीईओ केआर कानुडे़ के ऑफिस गई। वहां, मैंने पंचायत इंस्पेक्टर की उपस्थिति में अपना इस्तीफा सौंप दिया। अब मैं शासकीय शिक्षक के तौर पर ग्राम चौतरियां में नौकरी जॉइन करूंगी। मैंने जब जनपद सीईओ और अधिकारियों को अपने पद से इस्तीफा देने के दस्तावेज दिए और सरपंच पद छोड़कर शिक्षक बनने के अपने फैसले के बारे में बताया तो अधिकारियों ने भी जमकर तारीफ की और मिठाई खिलाकर बधाई दी।

पति ने कहा- शिक्षिका बनने का था सपना

मंजू राठौर के पति कान्हा राठौर ने बताया कि मेरी पत्नी मंजू राठौर ने बिल्वा रोड के सरपंच पद से त्यागपत्र दे दिया है। जरूरी नहीं कि राजनीतिक क्षेत्र में ही रहकर सेवा की जा सकती है। पत्नी का हमेशा से शिक्षिका बनने का सपना रहा है। वह आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को अच्छे संस्कार और शिक्षा देकर उनका भविष्य बनाना चाहती है। जो भी आगामी समय में गांव का सरपंच बने वो निस्वार्थ भाव से काम करें और गांव को उन्नति पर ले जाए। जब संविदा वर्ग तीन में उसका चयन हुआ तो उन्होंने सोचा कि सरपंच बनकर वह सिर्फ एक गांव का विकास कर सकती है, लेकिन टीचर बनने के बाद कई बच्चों का भविष्य बना सकती है। उन्हें अच्छा इंसान बना सकती है, जिससे वो एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें। इसलिए सरपंच का पद छोड़ शिक्षक बनने का फैसला लिया। मैं एक मिर्च मसाले की कंपनी में काम करता हूं।

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