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मामा राहुल के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं भांजे रेहान भारत जोड़ो यात्रा में सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र

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मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में अब तक एक चेहरा सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहा। वह है कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का बेटा रेहान। पहली बार प्रियंका यात्रा में शामिल हुईं, उनके साथ पति रॉबर्ट वाड्रा और बेटा रेहान भी राहुल के साथ कदम से कदम मिलाकर चले। कभी रेहान ने राहुल की तरह लोगों का अभिवादन किया तो कभी मोबाइल से फोटो लिए।

24 नवंबर की सुबह 6 बजे रेहान भी मामा राहुल के साथ भारत जोड़ो यात्रा में चल दिए। अगले 3 दिन तक वो मामा के साथ उनकी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल रहे। 3 दिन में रेहान 70 हजार कदम चले। सियासत के गलियारों में कयास लगते रहे कि क्या ये रेहान की पॉलिटिकल एंट्री है? इस सवाल का सीधा जवाब तो मिलना मुश्किल था, लेकिन हमने रेहान को राहुल के साथ चलते हुए 3 दिन को ऑब्जर्व किया।

सुरक्षा घेरे में रहे रेहान, मीडिया से बात करने से परहेज
रेहान मध्यप्रदेश में 3 दिन राहुल की स्ट्रैटेजी के फॉलोअर रहे। उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। वे पूरे समय राहुल और प्रियंका के साथ सुरक्षा घेरे में चले। ठहरने के लिए भी उन्होंने कैंप साइट पर कंटेनर का ही इस्तेमाल किया, ताकि वो मामा राहुल के इस संघर्ष को महसूस कर सकें। मीडिया बालो ने रेहान से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कहा कि यह समय बात करने के लिए उपयुक्त नहीं है। रेहान ही नहीं रॉबर्ट वाड्रा ने भी मीडिया से दूरी बनाए रखी।

दिल्ली में लग चुकी है फोटो प्रदर्शनी
दिल्ली के बीकानेर हाउस में जुलाई 2021 में रेहान ने अपनी फोटो प्रदर्शनी लगाई थी। उसमें उनकी सबसे ज्यादा मदद राहुल गांधी ने की थी। रेहान को बचपन से वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का शौक है। वह कई बार कैमरा लेकर जंगल की ओर रवाना हो जाते हैं। रेहान ने प्रदर्शनी में जाे फोटो लगाई थीं, उसमें बाघों की परछाई को उन्होंने बहुत की कलात्मक अंदाज में शूट किया है। ज्यादातर तस्वीरें इस प्रदर्शनी की डार्कनेस की फिलॉसफी को ही बताती हैं। इस प्रदर्शनी का नाम भी डार्कनेस परसेप्शन था।

बताया जाता है कि राहुल ने ही इसके लिए तमाम अरेंजमेंट करने में उनकी मदद की। रेहान अभी राजनीति में भले ही नहीं हैं, लेकिन इस उम्र में वे डार्कनेस के परसेप्शन को बहुत बेहतर ढंग से समझते हैं।

समझ रहे हैं कांग्रेस के उतार-चढ़ाव
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं राहुल जिस दौर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और इसके बाद मोदी के उत्कर्ष काल में कांग्रेस का जो रुतबा घटा, उससे रेहान भी वाकिफ हैं। रेहान जितना कांग्रेस के अंधेरे दौर से वाकिफ हैं, उससे ज्यादा इस बात की समझ रखते हैं कि इतने विपरीत हालात में भी राहुल कैसे अडिग हैं। कैसे वे राजनीति की धारा उलटने की कोशिश में जुटे हैं? उन्होंने कैसे खुद का ट्रांसफर्मेशन किया? वे कैसे लड़ रहे हैं? रेहान राहुल की इस गैर राजनीतिक यात्रा के मायने और इसकी गहराई को भी समझते हैं।

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