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नई संसद की राज्यसभा में खड़गे बोले- दलित-पिछड़ी महिलाओं को हक नहीं मिलता, सीतारमण ने पूछा- राष्ट्रपति कौन हैं

नई दिल्ली डेस्क :

राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोलने आए। उन्होंने महिला आरक्षण बिल पर चर्चा करते हुए कहा- दलित और पिछड़ी जाति की महिलाओं को वो मौका नहीं मिलता, जो बाकी सब को मिलता है।

उनकी इस बात पर सत्ता पक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- देश की राष्ट्रपति कौन हैं? वे ट्राइबल समाज से आने वाली महिला हैं। जिस पार्टी के आप अध्यक्ष हैं, उसमें कई सालों तक एक महिला ही अध्यक्ष रही हैं।

सत्ता और विपक्ष के बीच काफी देर तक चले हंगामे के बाद भी खड़गे ने अपना भाषण जारी रखा। उन्होंने कहा- मैं इस बिल का स्वागत करता हूं। यह बिल राज्यसभा में 2010 में पास हो चुका है। मैं कोशिश कर रहा था कि जो कानून बने, उसका लाभ गरीबों को, महिलाओं को मिले। मैं उनको प्रोत्साहित करने के लिए बोल रहा था, लेकिन वो बीच में बोलने लगे। आपके राज में फेडरल स्ट्रक्टर कमजोर हो रहा है।

दोनों पक्षों को शांत करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- आज ऐतिहासिक दिन है। इसको हंगामे की भेंट न चढ़ाएं। यह मुद्दा बहुत जरूरी है, कई प्रयास हुआ, लेकिन यह बिल पास नहीं हो सका।

मोदी बोले- महिला आरक्षण के लिए अटल जी ने प्रयास किए, लेकिन नंबर कम पड़ जाते थे

इससे पहले पीएम मोदी ने राज्यसभा में कहा कि हम सब के लिए आज का दिन यादगार है। हमें तय समय सीमा में लक्ष्यों को हासिल करना है क्योंकि देश जैसा मैंने पहले भी कहा था, ज्यादा प्रतीक्षा नहीं कर सकता।

राज्यसभा में हमारे पास संख्या कम थी, लेकिन विश्वास था कि राज्यसभा दलगत सोच से ऊपर उठकर देश हित में अपने फैसले जरूर लेगी। उदार सोच की वजह से आज आपके सहयोग से हम कई ऐसे कठिन फैसले कर पाए और राज्यसभा की गरिमा को ऊपर उठाने का काम आगे बढ़ा।

नया भवन अहम फैसले का साक्षी बन रहा है। लोकसभा में बिल पेश किया गया, वहां चर्चा के बाद यह बिल यहां भी आएगा। नारी सशक्तिकरण से जुड़ा यह बिल है। हमारा प्रयास रहा है कि राष्ट्र निर्माण में, अनेक सेक्टर हैं जिनमें महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित की जा रही है। हमने सैनिक स्कूलों के दरवाजे बेटियों के लिए खोल दिए हैं। हम जितनी सुविधाएं देंगे, उतना ही हमारी बेटियां आगे बढ़ेंगीं।

अटल जी ने कई प्रयास किया, लेकिन नंबर कम पड़ते थे। कुछ राजनीतिक विरोध भी था। अब नए सदन में हमने इस बिल को पेश कर नारी शक्ति में भागीदारी सुनिश्चित करने का कदम उठाया है। इसीलिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम संविधान संशोधन के रूप में लोकसभा में लाया गया। फिर इसे एक दो दिन में राज्यसभा में लाया जाएगा। सभी इस बिल को सर्वसम्मति से सहयोग दें।

मोदी ने कहा- भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए; पीएम की स्पीच की 5 बड़ी बातें

  • कौन कहां बैठेगा, व्यवहार तय करेगा: अभी चुनाव तो दूर हैं और जितना समय हमारे पास बचा है। मैं मानता हूं कि यहां जो जैसा व्यवहार करेगा, यह निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठेगा, कौन वहां बैठेगा। जो वहां बैठे रहना चाहता है, उसका व्यवहार क्या होगा, इसका फर्क आने वाले समय में देश देखेगा।’
  • हमारा भाव जैसा होता है, वैसा ही घटित होता है: ‘हमारा भाव जैसा होता है, वैसे ही कुछ घटित होता है। यद् भावं तद भवति…! मुझे विश्वास है कि भावना भीतर जो होगी, हम भी वैसे ही भीतर बनते जाएंगे। भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावनाएं भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्रसेवा का स्थान है। यह दलहित के लिए नहीं है।
  • आज की तारीख इतिहास में अमरत्व प्राप्त करेगी: कल 18 सितंबर को ही कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई है। आज 19 सितंबर की यह तारीख इसलिए इतिहास में अमरत्व प्राप्त करने जा रही है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी मांएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें। योगदान ही नहीं, महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएं।
  • नारी शक्ति वंदन अधिनियम: देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें, इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा।
  • बिल पर काफी चर्चा हुई, वाद-विवाद हुए: कई सालों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चा हुई। काफी वाद-विवाद हुए। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ। अटल जी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन उसे पास कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उस कारण से वह सपना अधूरा रह गया। महिलाओं को अधिकार देने, उन्हें शक्ति देने जैसे पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है।

प्रधानमंत्री ने सबके साथ फोटो खिंचवाई

 

संसद की 96 साल पुरानी इमारत में कार्यवाही का आज आखिरी दिन था। आजादी और संविधान को अपनाने की गवाह इस इमारत को विदाई देने पक्ष-विपक्ष के तमाम सांसद पहुंचे। प्रधानमंत्री ने सबके साथ फोटो खिंचवाई। इसके बाद तमाम सांसद सेंट्रल हॉल पहुंचे।

सेंट्रल हॉल में अपने अनुभव साझा करते समय कुछ सांसद भावुक हुए, तो किसी ने इसे गौरव का पल कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का सेंट्रल हॉल हमें भावुक भी करता है और कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। यहीं 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया। बाद में संविधान ने भी यहीं आकार लिया।

PM ने कहा- आज हम यहां से विदाई लेकर संसद के नए भवन में बैठने वाले हैं और ये बहुत शुभ है कि गणेश चतुर्थी के दिन वहां बैठ रहे हैं। आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर, नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन को संविधान सदन के नाम से बुलाने का प्रस्ताव रखा। सेंट्रल हॉल में मौजूद सांसदों ने मेज थपथपाकर इसकी सहमति दी। मोदी ने कहा- पुराने सदन की गरिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए। संविधान सदन से हमारी प्रेरणा बनी रहेगी।

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