न्यूज़ डेस्क

गुजरात विधानसभा चुनाव: पहले चरण की वोटिंग आज निर्णायक सीटों टीका राजनैतिक पार्टियों का भविष्य

न्यूज़ डेस्क :

बहु प्रचारित, प्रतीक्षित गुजरात का रण यानि गुजरात चुनाव का पहला चरण आज गुरुवार को है। इसके तहत 89 सीटों पर मतदान होना है। ये वो क्षेत्र है जहां पिछली बार पाटीदार आंदोलन का सर्वाधिक असर था। यानी सौराष्ट्र- कच्छ और दक्षिण गुजरात। दक्षिण गुजरात यानी नर्मदा पार का पूरा इलाक़ा। नर्मदा से मुंबई के कोने तक। यहाँ 35 सीटें हैं। सूरत, तापी, वलसाड, नवसारी, भरूच और नर्मदा ज़िला।

सौराष्ट्र कच्छ में कुल 54 सीटें हैं। सौराष्ट्र में 48 और कच्छ में छह। राजकोट, द्वारका, सोमनाथ, पोरबंदर और भावनगर की तमाम प्रतिष्ठित सीटें इसी इलाक़े में आती हैं। बहरहाल, अब सारा दारोमदार वोटिंग पर है। अगर लोग ग़ुस्से में निकलते हैं तो समझिए सत्ता के खिलाफ कुछ हद तक वोटिंग होने की संभावना है।

ज़्यादा वोटिंग का मतलब यह भी हो सकता है कि लोग आप पार्टी की मुफ़्त की रेवड़ी से प्रभावित हैं। हो सकता है ऐसे में कांग्रेस को नुक़सान ज़्यादा हो! क्योंकि आप की मुफ़्त बिजली कांग्रेस की मुफ़्त बिजली से ज़्यादा असरकारक रही है। कारण सीधा सा है। आप ने घोषणा बहुत पहले कर दी थी जबकि कांग्रेस ने घोषणा करने में देर कर दी थी।

राजकोट में एक सीट वह है जिस पर कांग्रेस के इंद्रनील लड़ रहे हैं। यह सीट बहुत काँटे की हो चुकी है। इसी तरह जामनगर की एक सीट पर काँटे की लड़ाई है जहां से क्रिकेटर रवीन्द्र जडेजा की पत्नी रीवाबा चुनाव लड़ रही हैं। द्वारका ज़िले की जाम खम्भालिया सीट भी प्रतिष्ठित है जहां से आप पार्टी के सीएम उम्मीदवार ईशुदान गढवी चुनाव लड़ रहे हैं।

कहने को तो द्वारका सीट भी महत्वपूर्ण है। यहाँ से भाजपा के पबुभा आठवीं बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। कुल मिलाकर इस पहले चरण के मतदान से ही अंदाज़ा लग जाएगा कि कौन, कितने पानी में है। आप का जितना और जो कुछ असर हो सकता है, वह भी इसी इलाक़े में है, जहां गुरूवार को मतदान होने जा रहा है।

ख़ासकर, सूरत के वराछा, कतरगाम और सौराष्ट्र का कुछ क्षेत्र। यहाँ आप की नहीं चली तो और कहीं भी नहीं चलेगी, ऐसा माना जा रहा है। नर्मदा ज़िले की डेड्यापाडा सीट पर आप उम्मीदवार चैतर वसावा ज़रूर जीत के क़रीब दिखाई दे रहे हैं। भरूच ज़िले की एक सीट पर बीटीपी के छोटू भाई वसावा की जीत भी तय मानी जा रही है।

हालाँकि असल परिणाम तो आठ दिसंबर को ही पता चलेंगे लेकिन कयास लगाने में लोग माहिर हैं और लगातार क़यास लगाए जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी को आप से नुक़सान की संभावना इसलिए कम दिखाई दे रही है क्योंकि पिछली बार पाटीदार आंदोलन के कारण जो नुक़सान उसे हुआ था उससे ज़्यादा नुक़सान आप पार्टी तो नहीं ही कर सकती।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!