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गुजरात विधानसभा चुनाव 2022: बीजेपी ने 52 फीसदी वोट और 156 सीट हासिल करके इतिहास रच दिया, कांग्रेस 17 पर सिमटी, आप 5 सीटों पर सिमटी, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला

न्यूज़ डेस्क :

गुजरात में भाजपा ने 52 फीसदी वोट और 156 सीट हासिल करके इतिहास रच दिया। राज्य में अब तक के चुनावों में इतना जबरदस्त बहुमत किसी भी दल को नहीं मिला। इससे पहले कांग्रेस ने 1985 में माधव सिंह सोलंकी की अगुआई में 149 विधानसभा सीटें जीती थीं। वहीं, 2002 में नरेंद्र मोदी के CM रहते भाजपा को 127 सीटें मिली थीं। भाजपा ने दोनों रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

इसके साथ ही लगातार एक दल की सातवीं जीत के रिकॉर्ड को भी छू लिया है। पहले यह कारनामा बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कर चुकी है। वह 1977 से 2011 तक सत्ता में रही और सात विधानसभा चुनाव जीती।

भाजपा की इस जीत के पीछे हिंदुत्व, विकास का पैकेज और बाहरी बनाम भीतरी का मुद्दा भारी पड़ा। केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल की तरह जनता से मुफ्त योजनाओं का वादा किया। लेकिन भाजपा ने इसे गुजरात के स्वाभिमान से जोड़ दिया और जनता से नकारने की अपील की, जो कामयाब रही।

भाजपा 156 सीटें जीती, कांग्रेस 17 पर सिमटी
गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 156 सीटें जीती। उसे 2017 के मुकाबले 58 सीटों का फायदा हुआ। वहीं, कांग्रेस को सबसे ज्यादा 60 सीटों का नुकसान हुआ। पार्टी ने पिछली बार 77 सीटें जीती थीं। इस बार उसे 17 सीटें ही मिलीं। पहली बार गुजरात चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी पांच सीटें जीतने में सफल हुई।

निर्दलीय और अन्य कैंडिडेट्स ने गुजरात में 4 सीटें जीतीं। दिलचस्प बात यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान PM मोदी ने कहा था- नरेंद्र का रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ेंगे। चुनाव नतीजों में बिल्कुल यही नजर आ रहा है।

मोदी बोले- गुजरात की जन-शक्ति के आगे सिर झुकाता हूं
गुजरात में BJP की विराट जीत के बाद PM मोदी ने गुजरात की जनता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा- गुजरात आपका धन्यवाद। ऐसे नतीजे देखकर मैं अभिभूत हूं। लोगों ने विकास की राजनीति को अपना आशीर्वाद दिया है और यह भी बता दिया है कि वे इस विकास को और भी तेजी से जारी रखना चाहते हैं। मैं गुजरात की जन-शक्ति के आगे सिर झुकाता हूं।

उन्होंने कहा कि मैं बड़े-बड़े एक्सपर्ट को याद दिलाना चाहता हूं कि विकसित गुजरात से विकसित भारत का निर्माण होगा। गुजरात के नतीजों ने सिद्ध कर दिया है कि देश के सामने जब कोई चुनौती होती है तो जनता का भरोसा भाजपा पर होता है।

12 दिसंबर को गांधीनगर में CM पद की शपथ लेंगे पटेल
गुजरात में गुरुवार सुबह 8 बजे से पहले आधे घंटे में पोस्टल बैलेट्स की गिनती के बाद EVM से काउंटिंग शुरू हुई थी। गुजरात भाजपा प्रमुख CR पाटिल ने बताया कि 12 दिसंबर को दोपहर 2 बजे भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री पद शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे।

सभी मंत्री जीते, CM बोले- जनता को भाजपा पर भरोसा
गुजरात के CM भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव का जनादेश अब स्पष्ट हो चुका है, यहां की जनता ने मन बना लिया है कि दो दशक से चली आ रही गुजरात की इस विकास यात्रा को अविरत चालू रखना है। यहां के लोगों ने एक बार फिर BJP पर अटूट भरोसा दिखाया है।

ओवैसी के सभी 13 कैंडिडेट चित, भाजपा के बागी भी हारे
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पहली बार गुजरात विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था। AIMIM ने कुल 13 में से 2 हिंदू कैंडिडेट ही मैदान में उतारे थे। पार्टी के सभी कैंडिडेट चुनाव हार गए। वडोदरा की वाघोडिया सीट से भाजपा के बागी मधु श्रीवास्तव भी चुनाव हार गए। कुतियाणा में लेडी डॉन संतोकबेन जडेजा के बेटे कांधल जडेजा निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर चुनाव जीत गए हैं।

AAP पांच सीटों पर सिमटी, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला
आम आदमी पार्टी गुजरात में महज 5 सीटें जीत सकी है। उसके ​​​​तीनों बड़े नेता चुनाव हार गए हैं। इनमें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी, प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया शामिल हैं। इसके बावजूद वोट शेयर के आधार पर AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। अब पार्टी पूरे देश में अपने नाम और चुनाव चिह्न के साथ लड़ सकेगी।

गुजरात चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के 8 कारण

1. बाहरी बनाम भीतरी का मुद्दा
मोदी की लहर नहीं, सुनामी। इसका मुख्य कारण रहा लोगों में बाहरी बनाम भीतरी का मुद्दा। कांग्रेस कोई लोकल चेहरा नहीं खड़ा कर पाई और AAP अरविंद केजरीवाल के फेस पर ही गुजरात गई। इसीलिए पिछली बार से कम वोटिंग के बावजूद भाजपा को ऐतिहासिक वोट (52.5%) और सीट (156) मिले।

2. मोदी को गुजराती अपने गौरव से जोड़ता है
2014 में मोदी पीएम बने। गुजराती आज भी मानते हैं कि मोदी गुजरात में ही हैं। उन्हें वह अपने प्राइड से जोड़कर देखता है। गुजरातियों को लगता है कि मोदी ने गुजरात आकर कह दिया है तो अब इसके बाद किसी की बात सुनने की जरूरत नहीं। इस बार मोदी ने अहमदाबाद में सबसे लंबा 54 किलोमीटर का रोड शो, तीन और रोड शो, साथ ही 31 सभाएं कीं। 95% इलाकों में बीजेपी को जीत मिली है, लेकिन ये कहना गलत होगा कि ये सिर्फ मोदी के दम पर है।

3. हिंदुत्व और विकास का पैकेज
सभी जानते हैं कि हिंदुत्व की प्रयोगशाला गुजरात से शुरू हुई थी। 2002 के गोधरा दंगों के बाद भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर 127 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। फिर 2003 में वाइब्रेंट गुजरात समिट की शुरुआत की। विकास का नया गुजरात मॉडल बनाया। फिर राम मंदिर, तीन तलाक और धारा 370 का खात्मा।

4. आप के मुफ्त के वादे को गुजरात के गौरव से जोड़ा
बिजली बिल माफ, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और मुफ्त अच्छी शिक्षा AAP के दिल्ली मॉडल का मुख्य हिस्सा है। गुजरातियों को भाजपा ये समझाने में कामयाब रही कि मुफ्त का कुछ भी नहीं चाहिए। फिर भाजपा ने दिल्ली मॉडल के मुकाबले गुजरात मॉडल की वकालत की और उसे गुजरात प्राइड से जोड़ दिया। यानी गुजरात मॉडल को गुजरातियों का मॉडल बना दिया।

5. AAP कुछ हद तक कामयाब रही
नहीं, ऐसा नहीं है। AAP की रणनीति का एक मुख्य हिस्सा था कि गुजरात में चुनाव के जरिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना। करीब 13% वोट मिलने के साथ उसे ये दर्जा मिल जाएगा।

6. AAP ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया
2017 में कांग्रेस का वोट शेयर 41% था, जो घटकर 28% रह गया है। उसके 13% वोट कम हो गए। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को 13% वोट ही मिले हैं। पहली नजर में स्पष्ट होता है कि भाजपा के खिलाफ वाले 41% वोट ही दो भागों में बंट गए।

7. भाजपा खुद के दम पर जीती, विपक्षी एकजुट भी होते तो नहीं हरा पाते
ऐसा भी नहीं है। भाजपा को ऐतिहासिक 53% वोट मिले हैं। ऐसे में सारे विपक्षी वोट किसी एक पार्टी को भी मिलते तो भी भाजपा को सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं होती। हां, वोट शेयर और सीट में कमी जरूर आती। 2017 में भाजपा का वोट शेयर 49% था, जो बढ़कर 53% हो गया है।

8. कांग्रेस का लोकल लेवल का प्रचार नाकाम रहा
कांग्रेस ने पहले दिन से ही यह रणनीति अपना ली थी कि गांधी परिवार के सदस्य गुजरात के चुनाव प्रचार से दूर रहेंगे। राहुल ने भी एक दिन में सिर्फ दो सभाएं ही कीं। स्थानीय नेता और लोकल लेवल का प्रचार कांग्रेस की रणनीति थी, लेकिन ये पूरी तरह गलत साबित हुई। इससे ग्रामीण इलाकों में भी कांग्रेस बुरी तरह हारी, जो उसका गढ़ माना जाता था।

भाजपा चुनाव से पहले सारे मंत्रियों को बदलने का प्रयोग आगे भी कर सकती है
गुजरात में 27 साल से भाजपा की सरकार है। एंटी इनकम्बेंसी से निपटने के लिए चुनाव से एक साल पहले मुख्यमंत्री और सारे मंत्रियों को बदल दिया गया। इसका असर रिजल्ट में ऐतिहासिक जीत के रूप में दिखा। ऐसे में अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव समेत भाजपा शासित राज्यों में ये प्रयोग देखने को मिल सकता है। साथ ही मोदी-शाह की जोड़ी पर देश और भाजपा का विश्वास और बढ़ा है। इससे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने एजेंडे पर तेजी से बढ़ेगी।

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