मध्यप्रदेश

एमपी में बारिश के बीच शुरू हुआ गोटमार (पत्थर बरसाना) खेल: 600 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात

ड्रोन से की जा रही निगरानी

न्यूज़ डेस्क :

छिंदवाड़ा के पांढुर्णा में गोटमार मेले का आयोजन हो रहा है। चंडी मां की पूजन-अर्चना के बाद जाम नदी के बीचोबीच पलाश का पेड़ लगाकर पूजा-अर्चना की गई। पलाश के पेड़ पर झंडा लगाया गया। करीब 12.45 बजे गोटमार खेल शुरू हुआ। यहां पांढुर्णा और सावरगांव के ग्रामीण एक-दूसरे पर पत्थर बरसा रहे हैं।

जाम नदी के संगम पर वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है। इस बार निश्चित दायरे में रहकर ही गोटमार खेला जा रहा है। मेले के दौरान अवैध शराब बिक्री, गाली-गलौज, मारपीट करने वालों पर केस दर्ज किया जाएगा। मौके पर फेंकने के लिए पत्थरों के टुकड़े रखे गए हैं।

मौके पर कलेक्टर व एसपी के अलावा अन्य अफसर मौजूद हैं। मेला स्थल और शहरभर में पुलिस बल तैनात किया गया है। पांढुर्णा में धारा 144 लागू की है। हथियारों के प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध लगाया है। मेला स्थल पर दो एएसपी, 7 एसडीओपी, 10 थाना प्रभारी, 30 एसआई, 50 एएसआई और करीब 500 एसएएफ, होमगार्ड, वन विभाग, जिला पुलिस बल के जवान तैनात किए गए हैं।

10 एम्बुलेंस और डॉक्टरों की टीम मौके पर

मौके पर 10 एम्बुलेंस के साथ डॉक्टरों की टीम मौजूद है। आबकारी विभाग ने अवैध शराब बिक्री रोकने के लिए कार्रवाई की है। खनिज विभाग ने पत्थरों के अवैध परिवहन पर रोक लगाई है। इसके बावजूद नदी किनारे पत्थर पहुंचाए गए हैं। लोगों ने रात को ट्रैक्टर-ट्राॅली से पत्थर पहुंचाए हैं। नदी में पानी होने के कारण इस बार 8 तैराक भी हैं।

ड्रोन कैमरे से नजर रखी जा रही

मेले को लेकर प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था की है। कलेक्टर ने धारा 144 लागू की है। ड्रोन कैमरे से मेले की निगरानी की जा रही है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। वहीं, उपद्रवियों पर खास तौर पर नजर रखी जा रही है।

प्रेम जोड़ों की कहानी से शुरू हुआ मेला

किवदंती है कि वर्षों पहले पांढुर्णा का युवक सावरगांव की युवती को भगा ले गया था। दोनों जैसे ही जाम नदी पर पहुंचे, तो युवती के परिवार सावरगांव वालों ने युवक पर पत्थरों की बौछार कर दी। जैसे ही, युवक पक्ष को खबर लगी, तो उन्होंने भी बचाव के लिए पत्थर बरसाए। इस पत्थरबाजी में जाम नदी के बीच दोनों की मौत हो गई थी। गांववालों ने उनके शव को मां चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा। पूजा-अर्चन के बाद अंतिम संस्कार किया गया। इसी घटना की याद में मां चंडिका की पूजा-अर्चना कर प्रायश्चित स्वरूप एक-दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं। इस परंपरा में अब तक 14 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।

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