गुनामध्यप्रदेश

चाचौड़ा में क्या समीकरण बनेंगे: ममता मीना का क्या होगा रुख? आज होगा साफ

जन्मदिन पर बुलाई कार्यकर्ताओं की बैठक

गुना डेस्क :

जिले की चांचौड़ा विधानसभा में क्या राजनैतिक हालात बनेंगे, यह आज साफ हो जाएगा। टिकट न मिलने से नाराज पूर्व विधायक ममता मीना ने बीनागंज में कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। बैठक के बाद वह अपनी आगे की रणनीति की घोषणा कर सकती हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह बसपा या जयस से चुनाव लड़ सकती हैं। उनके कांग्रेस में जाने के चांस काफी कम हैं। हालांकि, उनका क्या रुख रहेगा, यह तो बैठक के बाद ही सामने आएगा।

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने तीन दिन पहले प्रदेश की 39 विधानसभाओं में अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। भाजपा ने लगभग चौंकाते हुए चुनाव के दो महीने पहले ही प्रत्याशी घोषित किये हैं। ये वे विधानसभा हैं, जहां आर्तमान में कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं। वहीं कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां पिछले दो बार या लंबे समय से भाजपा नहीं जीत पाई है। इसी कारण इन सीटों पर पहले टिकट घोषित कर दिए गए हैं,ताकि पार्टी अपनी तैयारी कर सके। साथ ही अगर दूसरे दावेदारों की नाराजगी सामने आती है, तो उसे समय पर मैनेज कर लिया जाए।

जिले की चांचौड़ा विधानसभा के लिए भी भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है। पार्टी ने इस बार नए चेहरे पर दांव खेला है। 6 महीने पहले भाजपा में आयीं IRS की पत्नी प्रियंका मीना(पेंची) को टिकट दिया है। इस सीट पर पूर्व विधायक ममता मीना, किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष अनिरुद्ध मीना भी दावेदारी कर रहे थे।हालांकि, पार्टी ने सर्वे के आधार पर प्रियंका मीना को अपना प्रत्याशी घोषित किया।

प्रियंका मीना के नाम की घोषणा होते ही ममता मीना की नाराजगी सामने आई। उन्होंने इस टिकट पर विरोध जताते हुए कहा कि पैराशूट से उतरे नेता को टिकट दिया गया है। उनकी 20 वर्ष की मेहनत पर 6 महीने भारी पड़ गए। उन्होंने सख्त रुख अपनाते हुए अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। आज बीनागंज के एक निजी गार्डन में बैठक होगी। इस बैठक में ही वह अपनी आगे की रणनीति तय करेंगी। आज उनका जन्मदिन भी है। अपने जन्मदिन के अवसर पर वह अपनी आगामी रणनीति की घोषणा कर सकती हैं। इससे पहले उनके बेटे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर लगभग चेतावनी भरे लहजे में लिखा कि अगर चांचौड़ा से ममता मीना को टिकट नहीं, तो चांचौड़ा में भाजपा भी नहीं। रविवार को उनके पति रिटायर्ड IPS रघुवीर सिंह मीना ने भी सोशल मीडिया के जरिये अपना दर्द बयां किया। उन्होंने तो इस टिकट को अन्याय बता दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि इस अन्याय के खिलाफ सब को आवाज उठानी है। आज होने वाली बैठक के बाद कई समीकरण बदल सकते हैं।

पहला- ममता मीना कांग्रेस में जाएं

एक चर्चा यह भी है कि ममता मीना कांग्रेस में शामिल हों और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ें। हालांकि, इसकी संभावना बेहद कम है, क्योंकि इस सीट से वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह विधायक हैं। इस बार भी लक्ष्मण सिंह यहीं से दावेदारी कर रहे हैं। वहीं ममता मीना की पूरी राजनीति किले के विरोध से ही चली है। ममता मीना उनके खिलाफ ही हमेशा खड़ी हुई हैं। ममता मीना तो यह तक कह चुकी हैं कि गुंडागर्दी के खिलाफ उन्होंने ही सबसे ज्यादा संघर्ष किया है। एक चर्चा यह भी है कि लक्ष्मण सिंह को विदिशा जिले की सिरोंज सीट पर भेजा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस की ओर से नया नाम भी सामने आ सकता है।

दूसरा- वह निर्दलीय/बसपा या जयस से चुनाव लड़ें

सूत्रों से यह भी जानकारी मिल रही है कि ममता मीना कांग्रेस के अलावा कोई विकल्प देख सकती हैं। ऐसे में वह बसपा, जयस या निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं। ऐसे में पूरा चुनाव त्रिकोणीय हो जाएगा। ममता मीना का इलाके में व्यक्तिगत रूप से भी अच्छा प्रभाव है। ऐसे में वह काफी वोट ले सकती हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को ही होगा, क्योंकि उनका अधिकतर वोट भाजपा में ही जाता है। उनके मैदान में होने से फायदा कांग्रेस को ही होगा।

तीसरा- पार्टी उन्हें मना ले 

एक संभावना यह भी है कि डैमेज कंट्रोल करने के लिए पार्टी उन्हें मना ले। वह मान जाएं और शांत बैठ जाएं। पार्टी कैंडिडेट का विरोध न करें। उन्हें मनाने के लिए निश्चित ही भाजपा को उन्हें कोई बड़ा आश्वासन ही देना होगा। क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष पर उन्होंने अपनी दावेदारी इसी शर्त पर वापस ली थी कि पार्टी ने उनसे कहा था कि उन्हें तो विधानसभा चुनाव लड़ना है। इसी कारण से उन्होंने अपनी दावेदारी जिला पंचायत अध्यक्ष पद से वापस ली थी। पार्टी उन्हें मनाने में सफल हो जाती है तो पार्टी को काफी फायदा मिल सकता है। पर उसमे भी शर्त यह है कि ममता मीना के समर्थक पार्टी प्रत्याशी को वोट करें।

कांग्रेस रख रही घटनाक्रम पर नजर

उधर, कांग्रेस भी पूरे घटनाक्रम पर अपनी नजर बनाए हुए है। आज होने वाली बैठक और उसमे हुए निर्णय के बाद कांग्रेस भी अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस इस सीट से किसी मीना समाज के व्यक्ति को टिकट देकर पूरे चुनाव को मीना बनाम मीना बना दे। क्योंकि दूसरे समाजों का वोट कांग्रेस के समर्थन में काफी है। इस सीट पर मीना समाज बाहुल्य में है। अगर मीना समाज का वोट बंट जाता है और अन्य समाजों का वोट कांग्रेस को मिलता है, तो कांग्रेस की जीत की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए कांग्रेस फिलहाल वेट एंड वाच की स्थिति में है।

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