मध्यप्रदेश

MP विधानसभा चुनाव 2023: जिताऊ चेहरे की तलाश है। उम्र का बंधन या परिवारवाद जैसी बातें सिर्फ भाषण और विपक्ष पर हमला करने तक ही सीमित रहेंगे: भाजपा में 71 के भार्गव को टिकट के साथ बड़े बदलाव की संभावना कम

पार्टी ने परिवारवाद से भी नहीं किया गुरेज

न्यूज़ डेस्क :

भाजपा ने पहले चरण में मध्यप्रदेश की 39 सीट पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इनमें पूर्व विधायकाें से लेकर 75 की उम्र तक के लाेग शामिल हैं। पार्टी ने परिवारवाद से भी गुरेज नहीं किया है। चाचा, भतीजे से लेकर बेटे तक काे मैदान में उतारा है। इससे साफ है कि पार्टी काे बस जिताऊ चेहरे की तलाश है। उम्र का बंधन या परिवारवाद जैसी बातें सिर्फ भाषण और विपक्ष पर हमला करने तक ही सीमित रहेंगे।

बंडा से भाजपा ने वीरेंद्र सिंह लोधी को प्रत्याशी घोषित किया है। जिस तरह से 39 टिकट की सूची जारी हुई, उसके आधार पर सागर जिले की राजनीति को लेकर भी लोग कयास लगा रहे हैं। जिसमें साफ है कि खुरई से मंत्री भूपेंद्र सिंह, सुरखी से मंत्री गोविंद सिंह राजपूत एक बार फिर से मैदान में होंगे। सागर विधायक शैलेंद्र जैन भी चौथी बार मैदान में उतरेंगे।

इसकी वजह पिछले चुनाव में उन्होंने 17 हजार से अधिक मताें के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही रहली से मंत्री गाेपाल भार्गव भी 9वीं बार चुनाव मैदान में नजर आएंगे। भार्गव अभी 71 वर्ष के हैं। जबकि पार्टी ने 75 साल के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी काे चंदेरी से प्रत्याशी घाेषित किया है। मंत्री भार्गव लगातार 8 चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में उनके लिए अब उम्र आड़े नहीं आएगी।

भाजपा की इन सीटाें पर सर्वे भी हाे सकता है निर्णायक

नरयावली : यह सीट 20 साल से भाजपा के कब्जे में है। यहां से भाजपा के प्रदीप लारिया तीन बार के विधायक हैं। 2018 में वे 8491 वाेट से जीते थे। ऐसे में लारिया यहां से एक बार फिर मौका मिल सकता है। हालांकि यहां से भाजपा के ही अन्य दावेदार भी खुलकर क्षेत्र में संपर्क कर रहे हैं। दीवार लेखन भी करा रहे हैं। यहां पार्टी में चल रही आपसी खींचतान, गुटबाजी से संगठन भी परेशान है। ऐसे में यहां से टिकट में सर्वे की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है।

बीना : यह सीट भी 20 साल से भाजपा के पास है। 2008 में परिसीमन के बाद सीट अनारक्षित से एससी में रिजर्व हाे गई। परंतु भाजपा लगातार जीतती रही। 2018 में महेश राय चुनाव 600 से कम वोट से जीत सके थे। क्षेत्र में उनकी स्थिति भी पहले की तरह नहीं बताई जा रही है। यहां आधा दर्जन दावेदार खुलकर अपने लिए टिकट मांग रहे हैं। जिनमें पूर्व विधायक से लेकर पूर्व विधायक के पुत्र सहित पार्टी के अन्य पदाधिकारी भी शामिल हैं। बीना सीट जीतने के लिए भाजपा नए प्रत्याशी को मैदान में ला सकती है।

देवरी : एक समय तक भाजपा का गढ़ रही यह सीट पिछले 10 साल से कांग्रेस के कब्जे में है। पूर्व मंत्री हर्ष यादव कांग्रेस के टिकट पर यहां से लगातार दाे बार जीते। भाजपा ने हारी हुई 39 सीट के टिकट में देवरी का टिकट अभी घाेषित नहीं किया है। जिस तरह से 39 टिकट घाेषित किए हैं, उससे साफ है कि पार्टी यहां से किसी पूर्व विधायक को भी मैदान में उतार सकती है। संगठन का कोई युवा चेहरा भी सामने आ सकता है। यह सीट जीतना भाजपा के लिए चुनौती है।

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