मोरारी बापू उज्जैन में बोले-मंदिरों में वीआईपी कल्चर खत्म हो: आम लोगों को मिले प्राथमिकता
रामकथा के लिए विशेष ट्रेन से उज्जैन पहुंचे
उज्जैन डेस्क :
कथावाचक मोरारी बापू शनिवार को विशेष ट्रेन से उज्जैन पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने बाबा महाकाल का अभिषेक-पूजन किया। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मंदिरों में वीआईपी कल्चर खत्म होना चाहिए। मंदिरों ने आम लोगों को प्राथमिकता देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यात्रा का उद्देश्य देश में एकता बनाए रखना और राष्ट्र कल्याण है। मणिपुर में रामकथा का प्रोग्राम था, लेकिन वहां के हालात देखकर कार्यक्रम निरस्त करा पड़ा। वहां महिला के साथ हुई घटना से सिर शर्म से झुक गया।
कथावाचक मोरारी बापू 12 ज्योतिर्लिंगों में जाकर रामकथा सुना रहे हैं। इसके लिए श्रद्धालुओं के साथ विशेष ट्रेन से यात्रा पर हैं। ऋषिकेश से शुरू हुई यात्रा शनिवार को उज्जैन पहुंची। यहां रेलवे स्टेशन पर मोरारी बापू का स्वागत किया गया। यहां उन्होंने महाकाल मंदिर के पास स्थित सरस्वती स्कूल में सुबह 10 बजे से 1.30 बजे तक रामकथा सुनाई।
22 जुलाई से शुरू हुई थी यात्रा
रामकथा वाचक मोरारी बापू की यह यात्रा 22 जुलाई को ऋषिकेश से शुरू हुई थी। यात्रा विश्वनाथ, मल्लिकार्जुन, बैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम, भीमाशंकर, ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्रयंबकेश्वर होते हुए महाकालेश्वर पहुंची। यहां से शनिवार रात रवाना गुजरात की द्वारिकापुरी के लिए रवाना होगी। यहां से 7 अगस्त को यात्रा आखिरी पड़ाव सोमनाथ जाएगी।
दो ट्रेनों में 1008 यात्री शामिल
22 जुलाई से 7 अगस्त तक के लिए ट्रेन बुक की गई है। इनमें दो ट्रेनें शामिल हैं। ट्रेनों के नाम कैलाश और चित्रकूट है। कैलाश नाम की ट्रेन में मोरारी बापू सवार हैं। उनके साथ 301 श्रद्धालु, सेवक और विदेशी भक्त शामिल हैं। इसके अलावा, दूसरी ट्रेन में बाकी श्रद्धालु हैं। ये यात्री 12 हजार किमी का सफर तय करते हुए ज्योतिर्लिंगों के अलावा जगन्नाथ पुरी, द्वारकापुरी और तिरुपति बालाजी धाम को भी जोड़ेंगी।
खासतौर से तैयार की गई ट्रेन
भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) के सहयोग से 22 डिब्बे की ट्रेन को विशेष रूप से तैयार किया गया है। ट्रेन में सभी एयर कंडीशंड कोच हैं। ट्रेन के बाहर रामकथा और यात्रा से जुड़ी बातें लिखी गई हैं। अंदर सुसज्जित किसी 5 स्टार होटल की तरह रेस्टोरेंट है। स्लीपर कोच के पास विंडो सीट पर सोफे जैसी कुर्सियां भी लगी हैं।
ट्रेन में पहला कोच बापू के लिए आरक्षित है। कोच को वुडन फिनिश का वर्क कर डिजाइन किया गया है। खास है कि एक एसी कोच वॉलंटियर के लिए भी है। यह एसी तो है, लेकिन गद्दे बिछाकर सोना पड़ता है। ट्रेन में प्रेस, कपड़े धोने की मशीन, रोजाना काम आने वाली सभी जरूरत का सामान मौजूद है।
ट्रेन से कथा तक का सफर
मोरारी बापू और यात्रियों की सेहत का ख्याल रखने वाले डॉक्टर विजय देसाई ने बताया कि 12 ज्योतिर्लिंगों का सफर एक जैसा ही है। रात को ट्रेन से सफर करते हैं। सुबह गंतव्य पर पहुंचते ही बाहर पहले से बुक की हुई कार स्टेशन पर खड़ी होती है। होटल की बुकिंग भी पहले से की गई है। ज्योतिर्लिंग में पहुंचते ही होटल में स्नान कर कथा पंडाल में पहुंचते हैं। यहां नाश्ते के बाद सभी दर्शन के लिए जाते हैं, फिर बापू की कथा सुनते हैं। इसके बाद लंच लेकर सभी ट्रेन पर पहुंच जाते हैं। ट्रेन में अमेरिका, लंदन, साउथ अफ्रीका सहित देश भर के भक्त शामिल हैं।