इंदौर में 6 दिन देरी से दस्तक दी, 62 साल बाद दिल्ली-मुंबई साथ कवर: सभी राज्यों तक पहुंचा मानसून
इंदौर डेस्क :
मानसून ने रविवार को एक साथ दिल्ली-मुंबई में दस्तक दी। मुंबई में यह दो हफ्ते देर से तो दिल्ली में दो दिन पहले आया है। यह संयोग 62 साल बाद बना है। इससे पहले मानसून 21 जून 1961 को दिल्ली-मुंबई में एक साथ पहुंचा था। रविवार को ही इंदौर में भी मानसून का मंगल प्रवेश हो गया। हालांकि इसके आगमने की तिथि 18 जून है। इस लिहाज से यह 6 दिन विलंब से घोषित हुआ।
केरल में 8 दिन देर से दस्तक देने के बाद मानसून ने रविवार को सबसे लंबी छलांग लगाई और देश के करीब 25 फीसदी भू-भाग को एक दिन में कवर कर लिया। रविवार को मानसून यूपी, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र को समूचा कवर कर राजस्थान, गुजरात, पंजाब, दिल्ली तक पहुंच गया और हरियाणा, जम्मू-कश्मीर में भी आगे बढ़ गया। रविवार को कोई भी प्रदेश नहीं बचा, जिसके किसी न किसी हिस्से में 4 घंटे में भारी बारिश न हुई हो।
इंदौर में साेमवार से गुरुवार तक अच्छी बारिश के आसार हैं। इसके तीन कारण हैँ-
1. मप्र से पंजाब तक बनी ट्रफ लाइन
2. राजस्थान में बना चक्रवात
3. बंगाली की खाड़ी और अरब सागर में बना सिस्टम। इंदौर में जून में औसत 4 इंच बारिश होती है।
महीना खत्म होने तक की स्थिति में इस औसत से अधिक बारिश हो जाएगी।
मौसम विशेषज्ञ अजय कुमार शुक्ला के मुताबिक इंदौर में एक दिन में 2.8 इंच बारिश हो गई थी। कुल बारिश 3.2 इंच हो गई थी। इसके बावजूद एक दिन विलंब से मानसून घोषित किया गया। दरअसल, महाराष्ट्र के विदर्भ व अन्य जिलों में मानसून आने का इंतजार था। रविवार सुबह इसने यहां भी प्रवेश कर लिया। इस तरह महाराष्ट्र से लेकर मध्यप्रदेश तक मानसून सक्रिय हो गया। इसके बाद ही हमारे यहां अधिकृत घोषणा की गई।
10 साल में चौथी बार 24 के बाद आया
पिछले 10 सालों की बात की जाए तो यह चौथा अवसर है जब मानसून 24 जून के बाद आया है। हमारे यहां मानसून के आगमन की तिथि 18 जून निर्धारित की गई है। इसके पहले 2017 में 26 जून, 2018 में 27 जून, 2019 में 25 जून को मानसून आया था।
इसके बाद यह चौथा अवसर है, जब 25 को आमद हुई है। वहीं पिछले तीन सालों की बात की जाए तो 2022 में 17 जून, 2021 में 11 जून, 2020 में 15 जून को मानसून आया था। जबकि 2013 में 10 जून, 2014 में 10 जुलाई, 2015 में 15 जून, 2016 में 21 जून को मानसून का मंगलप्रवेश हुआ था।
मानसून ने इस साल 8 जून को दस्तक दी है और 17 दिन के भीतर ही मानसून ने देश का 90% हिस्सा कवर कर लिया है। बीते 15 दिनों में मानसून ने देश के 50% हिस्से को कवर कर लिया था, लेकिन शनिवार को करीब 15 फीसदी हिस्से में एक साथ आगे बढ़ा और रविवार को सबसे ज्यादा करीब देश के 25% हिस्से में आगे बढ़ गया। इस बार के मानसून में अब तक 28 फीसदी बारिश की कमी चल रही है। विशेषकर मध्य और दक्षिण भारत में बेहद कम बारिश हुई है।
बुवाई 67% तक कम… अब 15 दिन बारिश हो, बुवाई का मौका भी मिले, तब पूरा होगा लक्ष्य
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (सोपा) के कार्यकारी निदेशक जेएन पाठक कहते हैं, मानसून आने से अब बुवाई में तेजी आएगी। मप्र, महाराष्ट्र सोयाबीन के लिहाज से अहम हैं। जून के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर 10 जुलाई तक ज्यादातर बुवाई हो जानी चाहिए। अब जरूरी है कि पानी भी गिरे और बुवाई का मौका भी मिले। लगातार बारिश होती रही तो भी बुवाई का लक्ष्य घट सकता है।
ये फसलें भी लक्ष्य से कम
- 20 जून तक देश में धान की बुवाई 14.66% तक कम रकबे पर हुई।
- दाल की बुवाई 57.34% कम रकबे पर हुई।
- सोयाबीन समेत तिलहनों की बुवाई 66.93% तक कम रकबे पर हुई।
मानसून में तेजी क्यों?
- 2 दिन पहले बंगाल की खाड़ी में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना।
- वह रविवार को और मजबूत होते हुए कम दबाव के क्षेत्र में बदला।
- यह छग, मप्र होते हुए राजस्थान-पंजाब जाएगा।
- अरब सागर में भी एक सर्कुलेशन बना है।
- इनसे मानसून आगे बढ़ा। अब 5 दिन बारिश संभव।
- नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बिजली के खुले तार के संपर्क में आने से 34 वर्षीय महिला टीचर की मौत हो गई।
- हिमाचल के सोलन में बादल फटने से भारी बारिश। शिमला, मंडी, कुल्लू जिलों में कई घर बहे। फसलें तबाह।
- मुंबई में भारी बारिश। 24 घंटों में 8 इंच तक पानी बरसा। बालकनी गिरने से बुजुर्ग दंपती की मौत।
- उत्तराखंड के 7 जिलों में बारिश का ऑरेंज अलर्ट। सोनप्रयाग में केदारनाथ यात्रा रोकी।