छत्तीसगढ़ में 40 साल पहले मिले लीथियम पर अब दुनिया की नजर: बैटरी बनाने में इस्तेमाल होने वाले लीथियम की अब तक खनन नहीं
रायपुर डेस्क :
इलेक्ट्रानिक गाड़ियों (ई-व्हीकल) का सबसे जरूरी उपकरण यानी बैटरी बनाने में उपयोग की वजह से लीथियम अभी दुनियाभर में चर्चा में है। छत्तीसगढ़ में कोरबा के कटघोरा इलाके में 2.5 वर्ग किमी में 0.1 से 0.4 प्रतिशत लीथियम मिलने की पुष्टि हुई है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि छत्तीसगढ़ में 1978 में सुकमा (बस्तर) के चिरूवाड़ा, चिदपाल और कोकलपाल में 4.2 प्रतिशत वाले लीथियम का पता चला था।
चूंकि तब इसकी उपयोगिता नहीं थी, बैटरियों का ज्यादा काम नहीं था, इसलिए लीथियम का आगे सर्वे भी नहीं किया गया। कोरबा के कटघोरा इलाके में पिछले तीन साल से जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम काम कर रही है। 20 गांवों के 100 वर्ग किमी में सर्वे एवं ड्रिलिंग चल रही है। वर्तमान में भारत लीथियम बैटरी के लिए चीन और दूसरे देशों पर निर्भर है।
विशेषज्ञों का कहना है कि 1978 में छत्तीसगढ़ में खुदाई शुरू हो जाती तो देश को लीथियम के लिए चीन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। हाई क्वालिटी के लीथियम का उपयोग एटॉमिक सेंटर्स में भी किया जाता है। यही वजह है कि कटघोरा में मिले लीथियम के भंडार की जांच करने एटॉमिक मिनरल डिविजन नागपुर की टीम आई। उसने सैंपल की जांच के बाद यह पाया कि यहां एटॉमिक ग्रेड का नहीं, लो-क्वालिटी का लीथियम है, जो बैटरी बनाने के काम आता है। छत्तीसगढ़ सरकार को खनन की एनओसी भी दी गई है।
केंद्र से सवाल- गहराई में हाईग्रेड लीथियम मिला तो क्या करेंगे, जवाब का इंतजार
जीएसआई ने ऊपरी सतह पर ही जांच कर लीथियम की पुष्टि की है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के खनिज विभाग ने ब्लॉक आवंटन की प्रकिया शुरू करने से पहले केंद्रीय खनिज विभाग से यह सलाह मांगी है कि अगर जमीन के अंदर हाई क्वालिटी लीथियम मिला तो क्या करेंगे। क्योंकि यह एटामिक मिनरल होगा। इसका जवाब मिलते ही छत्तीसगढ़ सरकार आवंटन प्रक्रिया शुरू कर देगी। ऐसे में छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा जहां लीथियम निकाला जाएगा।
देशभर में लीथियम के 20 प्रोजेक्ट पर काम क्योंकि 2050 तक डिमांड होगी 500 गुना
लीथियम का उपयोग आईटी, ऑटोमोबाइल्स, स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है। इसका उपयोग मुख्य रूप से मोबाइल एवं इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी बनाने में होता है। विश्व बैंक की मानें तो लीथियम की मांग 2050 तक लगभग 500 गुना बढ़ जाएगी। इसीलिए देशभर में लीथियम के खनन की प्रक्रिया आगे बढ़ी है ताकि भारत विश्व में इसकी सप्लाई करने वाले देशों में शामिल हो जाए। अभी तक देश में जीएसआई ने लीथियम के लिए 20 प्रोजेक्ट पर कार्य किया है। 2022-23 में छत्तीसगढ़ के अलावा अरूणाचल, मेघालय, जम्मू कश्मीर, झारखंड, नागालैण्ड और राजस्थान में 18 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
टीन की खदान में मिला था पहली बार लीथियम
सुकमा और दंतेवाड़ा में केसीटेराइट खनिज की खदानें हैं। इस खनिज से हाई क्वालिटी का टीन बनाया जाता है। सुकमा और दंतेवाड़ा में इसकी खदानें पिछले कई साल से चल रही हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 40 साल पहले लीथियम इन्हीं खदानों के पास पाया गया था। उस समय इस खनिज के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। रिपोर्ट राज्य सरकार के खनिज विभाग में ही जमा रह गई, जीएसआई के पास भी नहीं भेजी गई।
छग पहला राज्य जहां होगा ब्लॉक का आबंटन “छत्तीसगढ़ के चार जिलों में लीथियम के भंडार मिले है। कोरबा के कटघोरा ब्लॉक का आवंटन जल्द ही करने वाले है। छत्तीसगढ़ पहला राज्य होगा जहां लीथियम ब्लॉक का आवंटन किया जाएगा। अभी लीथियम को लेकर चीन पर हमारी निर्भरता है, लेकिन इन खनिज के भंडार से हमारा देश आत्मनिर्भर बनेगा।” -अनुराग दीवान, ज्वाइंट डायरेक्टर, खनिज विभाग