नाथूराम गोडसे की जयंती मनाने को लेकर विवाद: जयंती पर ग्वालियर में हिंदू महासभा कार्यकर्ताओं की पुलिस से झूमाझटकी, नहीं करने दिया पूजन
ग्वालियर डेस्क :
ग्वालियर में नाथूराम गोडसे की जयंती मनाने को लेकर विवाद हो गया। गोडसे की 114वीं जयंती पर शुक्रवार को हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर बहस हुई। पुलिस ने कार्यकर्ताओं से गोडसे की तस्वीर छीन ली। दोनों के बीच झूमाझटकी भी हुई। हालात संभालने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
हिंदू महासभा की तरफ से 7 दिन पहले ही 19 मई को नाथूराम गोडसे की जयंती मनाने का ऐलान किया गया था। महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने बताया था कि इस दिन फल वितरित किए जाएंगे। उनकी तस्वीर का पूजन भी किया जाएगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर गोडसे की मूर्ति जगह-जगह लगवाने की बात भी कही गई थी।
हिंदू महासभा भवन पर सुबह ही पहुंच गई थी पुलिस
इसको देखते हुए एहतियात के तौर पर शुक्रवार सुबह से ही हिंदू महासभा भवन पर पुलिस तैनात हो गई थी। इसके बाद महासभा ने यह कार्यक्रम इंदरगंज स्थित गैंडे वाली सड़क जलाल खां की गोठ में काली माता मंदिर पर रख लिया। यहां गोडसे की तस्वीर की पूजा-अर्चना कर जयंती मनाने का कार्यक्रम रखा गया।
महासभा के कार्यकर्ताओं और पुलिस में बहस
इस कार्यक्रम की भनक लगते ही पुलिस काली माता मंदिर पहुंच गई। जैसे ही महासभा के जिलाध्यक्ष लोकेश कार्यक्रम स्थल पर गोडसे की तस्वीर लेकर पहुंचे, पुलिस ने उन्हें रोक लिया और तस्वीर छीन ली। इस दौरान महासभा के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। दोनों पक्षों के बीच जमकर बहस हुई। झूमाझटकी के बाद पुलिस ने गोडसे की तस्वीर थाने में ले जाकर रख दी।
पुलिस का दावा- नहीं होने दिया कार्यक्रम
पुलिस का दावा है कि महासभा को कोई भी अनैतिक कार्यक्रम नहीं करने दिया गया है। वहीं, हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने कहा कि हमने जिस कार्यक्रम की घोषणा की थी, वह सफलतापूर्वक पूरा किया। गोडसे की जयंती मनाई गई, बस्तियों में फल बांटे गए।
गोडसे की मूर्ति लगाने के लिए PM को लिखा पत्र
हिंदू महासभा ने कहा कि गोडसे ने देश के विभाजन का विरोध किया था। हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि देश में अलग-अलग स्थानों पर नाथूराम गोडसे की मूर्ति लगवाने की इजाजत दी जाए। इससे युवा भी जान सकेंगे कि नाथूराम गोडसे की विचारधारा क्या थी? अभी अधिकतर लोगों को गोडसे के बारे में सही जानकारी नहीं है।
ग्वालियर से गोडसे का नाता
जानकारों के मुताबिक, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में उपयोग की गई पिस्तौल ग्वालियर रियासत में ही खरीदी गई थी। हत्या से पहले तीन दिन तक नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे ग्वालियर में हिंदू महासभा के गढ़ में ही ठहरे थे। यहां स्वर्ण रेखा नदी के किनारे उन्होंने निशाना लगाने की प्रैक्टिस की थी। यहीं से वे दिल्ली पहुंचे और महात्मा गांधी की हत्या को अंजाम दिया। यही कारण है कि हिंदू महासभा के कार्यकर्ता गोडसे को यहां पूजते हैं। उनका मानना है कि विभाजन का कारण महात्मा गांधी थे और गोडसे ने उसके प्रतिकार के रूप में यह कदम उठाया।