राजगढ़

झूठे दस्तावेज तैयार करवा कपिलधारा कुआं में गजब का फर्जीवाड़ा: प्रशासन से लाखों लेकर खोदा कुआं फिर मुनाफे के लिए बेच दिया

राजगढ़ डेस्क :

सारंगपुर जनपद पंचायत के गांव आमलारोड में ग्राम पंचायत ने संपन्न किसान के झूठे दस्तावेज तैयार करवा कपिलधारा कुआं स्वीकृत कर दिया गया था। हितग्राही गोरीलाल पुत्र मदनलाल ने साल 2016-17 में सर्वे नंबर 674/3 पर अपने नाम 0.490 हेक्टेयर जमीन होने के दस्तावेज पेश किए थे, जबकि राजस्व रिकार्ड में किसान के नाम 4.303 हेक्टेयर जमीन दर्ज है।

गड़बड़ी की शिकायत गांव के ही दुर्गाप्रसाद पुत्र बद्रीलाल नागर ने अक्टूबर 2020 में जनपद सीईओ से लेकर कलेक्टर से की थी। सरकारी सिस्टम की लापरवाही ऐसी कि ये जांच 14 माह बाद दिसंबर 2021 में पूरी हुई। अब दोषियों पर कार्रवाई के लिए जिला पंचायत सीईओ ने सारंगपुर के तत्कालीन जनपद सीईओ व गांव के पटवारी सहित 8 कर्मचारियों को वसूली के नोटिस दिए हैं।

संबंधितों को पेशी के लिए बुलाया गया है, नहीं आने पर सिविल जेल भेजने की चेतावनी भी दी गई है। मामले में शिकायतकर्ता दुर्गाप्रसाद ने रजिस्ट्रीकरण विभाग के दस्तावेज के जरिए बताया कि हितग्राही ने जिस जमीन में कुआं खुदवाया था, उसे बेचकर मुनाफा कमा लिया है।

पटवारी की गड़बड़ी तहसीलदार के प्रतिवेदन से उजागर हुई

  • पटवारी : दस्तावेज तैयार करते समय किसान के नाम दर्ज अन्य सर्वे नंबरों की भूमि का जिक्र नहीं किया, पटवारी की गड़बड़ी तहसीलदार के प्रतिवेदन से उजागर हुई।
  • हितग्राही : कूटरचित गलत दस्तावेज लगाकर कुआं खुदवाया, फिर 2 साल बाद साल 2019 में इस जमीन, कुआं बेचकर मुनाफा कमा लिया।
  • ग्राम पंचायत : तत्कालीन सरपंच, सचिव व राेजगार सहायक ने पटवारी के प्रमाण-पत्र पर कुआं स्वीकृत किया। भौतिक स्थिति की जांच नहीं की।
  • जनपद पंचायत : मनरेगा के तत्कालीन एपीओ, सहायक यंत्री व उप यंत्री ने बगैर पड़ताल किए राशि जारी की।

जांच में संपन्न मिला था हितग्राही, गरीबी की पात्रता पहले ही समाप्त
20 दिसंबर 2021 को पचोर तहसीलदार ने सारंगपुर के जनपद सीईओ को पत्र लिखा था। इसमें बताया कि किसान गोरीलाल के नाम गांव में 5 अलग-अलग खसरा नंबरों पर 4.303 हेक्टेयर जमीन है। ये भी बताया कि किसान ने जनपद पंचायत को गलत जानकारी देकर कुआं खुदवाया है।

इसके बाद तहसीलदार ने आमलारोड के किसान गोरीलाल पुत्र मदनलाल के नाम जारी गरीबी रेखा के पात्रता की जांच कराई। इसमें किसान को 52 में से 33 अंक मिलने पर 24 दिसंबर को जनपद सीईओ के नाम एक अन्य पत्र लिखकर बीपीएल सूची से नाम विलोपित करने के निर्देश दिए थे।

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