अयोध्या राम मंदिर के रामलला की दो और प्रतिमाएं सामने आईं: दूसरी श्यामल रंग की और तीसरी सफेद संगमरमर की, मंदिर में ही विराजित की जाएंगी
न्यूज़ डेस्क :
अयोध्या के राम मंदिर में बालक राम यानी रामलला विराजमान हो चुके हैं। इस बीच राम मंदिर के लिए बनाई गई दूसरी और तीसरी मूर्ति भी सामने आई है। दूसरी मूर्ति श्यामल रंग से बनी है, जबकि तीसरी मूर्ति मकराना संगमरमर की है। तीनों की लंबाई 51-51 इंच की है।
तीनों प्रतिमाओं में कमल आसन पर भगवान को विराजित दिखाया है। भगवान के 5 साल के बाल स्वरूप को तीनों में ही दर्शाया गया है। रामलला के अलावा भगवान राम की दोनों प्रतिमाओं को राम मंदिर में ही स्थापित किया जाना है।
दरअसल, ट्रस्ट ने मंदिर के लिए भगवान राम की 3 मूर्तियां तैयार बनवाई थीं। यह अलग-अलग पत्थरों से अलग-अलग कारीगरों ने तैयार की थी। आखिर में ट्रस्ट सदस्य की सहमति से कर्नाटक के मूर्तिकार योगी राज की बनाई रामलला की प्रतिमा को गर्भगृह के लिए चयनित किया था।
जबकि दूसरी प्रतिमा दक्षिण के ही मूर्तिकार गणेश भट्ट ने श्यामल रंग की और तीसरी मूर्ति राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने बनाई है। सत्यनारायण पांडेय की बनाई प्रतिमा संगमरमर की है।
तीनों प्रतिमाओं के बारे में जानिए…
तीनों मूर्तिकारों के बारे में जानिए…
अरुण योगीराज: पहले मूर्तिकार 37 साल के अरुण मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया, फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। फिर इस पेशे में आए। हालांकि, मूर्तियां बनाने की तरफ उनका झुकाव बचपन से था। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।
गणेश भट्ट: मूर्तिकार गणेश को कर्नाटक स्टेट में कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। उन्होंने अब तक 1000 से ज्यादा मूर्तियों को गढ़ा है, जो न सिर्फ भारत में बल्कि ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका और इटली में भी लगाई गई हैं।
सत्यनारायण पांडे: तीसरे मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार रामेश्वर लाल पांडे के बेटे हैं। पिछले 7 दशकों से इनका परिवार संगमरमर की मूर्तियां बनाने का काम कर रहा है। उन्होंने राजस्थान के मकराना के सफेद संगमरमर से रामलला की मूर्ति तैयार की है।
पुरानी मूर्ति नई मूर्ति के सामने रखी गई
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, रामलला की पुरानी मूर्ति, जो पहले एक अस्थायी मंदिर में रखी गई थी। उसे भी नई मूर्ति के सामने रखा गया है। मूर्ति के लिए आभूषण अध्यात्म रामायण, वाल्मिकी रामायण, रामचरितमानस और अलवंदर स्तोत्रम जैसे ग्रंथों के गहन शोध और अध्ययन के बाद तैयार किए गए हैं।
रामलला ने पहने 5 किलो सोने के आभूषण
5 साल के बालक रूप में विराजमान रामलला का सोने के आभूषणों से श्रृंगार देख लोग भाव-विभोर हैं। ट्रस्ट सूत्रों के मुताबिक, 200 किलो की प्रतिमा को 5 किलो सोने के जेवरात पहनाए गए हैं। नख से ललाट तक भगवान जवाहरातों से सजे हुए हैं। रामलला ने सिर पर सोने का मुकुट पहना है।
मुकुट में माणिक्य, पन्ना और हीरे लगे हैं। बीच में सूर्य अंकित हैं। दायीं ओर मोतियों की लड़ियां हैं। वहीं, कुंडल में मयूर आकृतियां बनी हैं। इसमें भी सोना, हीरा, माणिक्य और पन्ना लगा है। ललाट पर मंगल तिलक है। इसे हीरे और माणिक्य से बनाया है। कमर में रत्न जड़ित करधनी है। इसमें छोटी-छोटी पांच घंटियां भी लगाई हैं। दोनों हाथों में रत्न जड़े कंगन हैं। बाएं हाथ में सोने का धनुष और दाहिने में सोने का बाण है।
तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनी रामलला की मूर्ति
मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तराशी गई 51 इंच की मूर्ति को तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनाया गया है। नीले रंग की कृष्णा शिला की खुदाई मैसूर के एचडी कोटे तालुका में जयापुरा होबली में गुज्जेगौदानपुरा से की गई थी। यह एक महीन से मध्यम दाने वाली आसमानी-नीली मेटामॉर्फिक चट्टान है, जिसे आम तौर पर इसकी चिकनी सतह की बनावट के कारण सोपस्टोन कहा जाता है।
कृष्ण शिला रामदास (78) की कृषि भूमि को समतल करते समय मिली थी। इसके बाद एक स्थानीय ठेकेदार ने पत्थर की गुणवत्ता का आकलन किया था। इसके बाद अयोध्या में मंदिर के ट्रस्टियों से बात की थी।