लाड़ली बहना नहीं बन पाईं हजारों महिलाएं: सरकार से मिली, लेकिन बहनों तक नहीं पहुंची राशि बैंकों ने ही अपने पुराने हिसाब चुकता कर लिए

इंदौर डेस्क :
मप्र सरकार की लाड़ली बहना योजना में सरकार से राशि मिलने के बाद भी करीब पांच हजार बहनों तक रुपए नहीं पहुंच पाए। बैंकों ने बीच में ही उनसे अपने पुराने हिसाब चुकता कर लिए। ये वे बहनें हैं, जिनके खातों में कोविड के बाद से ही कोई लेन-देन नहीं हुआ था। ज्यादातर में जरूरी न्यूनतम बैलेंस भी नहीं था। बैंकों ने इसी का शुल्क काट लिया। सैकड़ों महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनकी अगली किस्त भी बैंक की शुल्क चुकाने में ही खर्च हो जाएगी।
18 हजार महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनके डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) प्रोसेस नहीं हुई। इन्हें भी राशि नहीं मिल पाई है। महिला एवं बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधोलिया बताते हैं कि तीन-चार दिन में इनके भी खाते डीबीटी के माध्यम से जुड़ जाएंगे तो इन्हें भी राशि मिल जाएगी। खातों में मिनिमम बैलेंस के मामले में बैंकों के अलग-अलग नियम हंै। लीड बैंक मैनेजर सुनील ढांका कहते हैं कि सामान्य बचत खाते में नियत राशि नहीं होने पर बैंक 500 से हजार रु. तक चार्ज करती है। जनधन खातों में कोई गड़बड़ी नहीं है।
बैंक खातों का हिसाब-किताब
- 4.39 – लाख आवेदन आए थे इंदौर से योजना के तहत
- 389 – आवेदक योजना में लाभ के लिए अपात्र पाई गईं।
- 18000 – खातों में राशि पहुंची नहीं, क्योंकि डीबीटी नहीं हो पाया।
केस-1 – रुपए आते ही बैंक अकाउंट खाली हो गया
नंदा नगर निवासी ममता दुबे के खाते में पहले एक रुपया, फिर एक हजार रुपए भी आए लेकिन आते ही चले भी गए। परदेशीपुरा स्थित बैंक ऑफ इंडिया शाखा गई तो पता चला, आपके खाते में मिनिमम बैलेंस तीन साल से नहीं है। ममता ने बताया कि कोविड के बाद से ही ट्रांजेक्शन नहीं किया था। पहले गैस सब्सिडी की भी ज्यादा राशि आती थी, वह भी आना कम हाे गई। जैसे ही पैसे आए, तो बैंक ने काट लिए। यह भी कहा कि अगले तीन महीने की राशि भी आएगी तो वह भी चली जाएगी, क्योंकि ढाई हजार रुपए बकाया है। उसके बाद जाकर रुपए मिल पाएंगे।
केस-2 -पंजीयन हुआ, राशि नहीं आई
श्रीराम नगर पालदा की साधना मालवीय मंगलवार को कलेक्टोरेट पहुंची। उसने बताया कि बेटे का मोबाइल नंबर दिया था। सारी प्रक्रिया भी की, पता चला खाते में पैसा तो आया ही नहीं, न एक हजार न एक रुपया। कैंसर पीड़ित हूं। तबीयत ठीक नहीं है। इसके लिए अलग भागदौड़ करना पड़ रही है। हमें प्रमाण पत्र तो मिला था कि आपका पंजीयन हुआ है पर पैसे नहीं आए। बैंक वालों के पास उनका कोई जवाब नहीं था।
अफसरों को नहीं पता सामान्य बचत खाते कितने हैं?
जिले में 40 लाख की आबादी पर 20 लाख से ज्यादा बैंक खाते हैं। अफसर भी यह बताने में असमर्थ हैं कि इनमें से सामान्य बचत खाते कितने हैं। लाडली बहना योजना में प्रदेश में एक करोड़, 25 लाख से ज्यादा महिलाओं ने आवेदन किया था। सर्वाधिक इंदौर जिले में 4.39 लाख आवेदन मिले। 3379 आपत्तियां भी मिली थी। सभी का निराकरण हो चुका है।