सतपुड़ा भवन अग्नि कांड- 43 बर्ष का रिकॉर्ड खाक, रिकवरी के चांस कम: दो साल में अफसरों ने लागू नहीं किया ई-ऑफिस सिस्टम, ऐसा होता तो 100 फीसदी फाइलें हो जातीं रिकवर
भोपाल डेस्क :
भोपाल के सतपुड़ा भवन में हुए अग्निकांड में स्वास्थ्य विभाग का पिछले 43 साल का रिकॉर्ड स्वाहा हो गया। अकेले स्वास्थ्य विभाग की ही करीब 25 हजार फाइलें आग की भेंट चढ़ गईं। सरकार से लेकर विभागीय अफसरों का दावा है कि जली हुई फाइलों का डाटा रिकवर कर लिया जाएगा, लेकिन हकीकत इससे उलट है। असलियत ये है कि वर्तमान में फाइलों के रिकवर होने की चांस 50-50 हैं। हां, अगर ई-ऑफिस सिस्टम लागू होता, तो शायद पूरी फाइलें रिकवर हो सकती थीं। अफसरों की मनमानी के चलते ऐसा नहीं हो सका।
मध्यप्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने साल 2021 में सभी विभागों को फाइलों और नोटशीट समेत पूरा काम ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर के जरिए संचालित करने का आदेश दिया था। स्वास्थ्य विभाग के एक हिस्से यानी एनएचएम ने तो दफ्तर को ई-ऑफिस सिस्टम से जोड़कर रिकॉर्ड और फाइल मूवमेंट को ऑनलाइन कर दिया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने इसे अटका दिया। 21 फरवरी 2022 को स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों की ट्रेनिंग भी कराई, बावजूद अफसरों ने इस सिस्टम को आगे नहीं बढ़ने दिया। ऐसे में फाइलें रिकवर होने की संभावना कम ही है। ई-ऑफिस सिस्टम यदि लागू होता, तो सारी फाइलें और नोटशीट्स ऑनलाइन दर्ज रहतीं।
स्वास्थ्य संचालनालय में इन शाखाओं का काम होना था ऑनलाइन
- कार्यालय स्थापना, लीगल शाखा, सूचना का अधिकार शाखा, समन्वय एवं लोक शिकायत शाखा, आत्मनिर्भर भारत शाखा, स्थानीय कार्यालय।
- अविज्ञप्त शाखा, स्टोर शाखा, परिवहन शाखा, आयोग शाखा, परिवार कल्याण शाखा, विज्ञप्त शाखा, कार्मिक शिकायत शाखा, नर्सिंग शाखा, प्री-सर्विस शिक्षा शाखा, लोक स्वास्थ्य शाखा, सिटीजन चार्टर स्टेट नोडल ऑफिसर, एमआर, वैक्टर बोर्न कंट्रोल प्रोग्राम शाखा, विधानसभा शाखा, कोविड उपचार करने वाले निजी अस्पतालों की शिकायतों के निराकरण संबंधी शाखा।
दावा- रिकवर हो जाएगा डाटा
सतपुडा भवन में लगी आग के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला। घोटालों से जुड़े सबूत नष्ट कराने के लिए साजिशन आग लगाने के आरोप लगाए। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा- ये आग साजिश के तहत लगाई गई है। सरकार की ओर से गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने जवाब देते हुए कहा कि डाटा पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, ईमेल और वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसे में जो फाइलें जली हैं, वो रिकवर हो जाएंगी।
डाटा रिकवरी की संभावना कितने फीसदी
डाटा और फाइलों की रिकवरी को लेकर स्वास्थ्य विभाग की एडिशनल डायरेक्टर मल्लिका निगम नागर ने कहा कि कोर्ट, विधानसभा, लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू जैसी जिन शिकायतों की बात हो रही है, हम उन विभागों, कोर्ट से रिकॉर्ड निकलवा लेंगे। इसमें समय जरूर लगेगा, लेकिन रिकॉर्ड वापस मिल जाएगा। बहुत सारा डेटा ईमेल, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क में है। इसके जरिए रिकवर हो जाएगा। GPF, सर्विस बुक का रिकॉर्ड आरजेडी यानी स्वास्थ्य विभाग के संभागीय कार्यालयों में रहता है। वो सब डाटा भी मिल जाएगा। पांचवीं मंजिल पर जैसे ही एंट्री मिलेगी, उसे देखेंगे कि कितना नुकसान हुआ है।
विभागीय अफसर दावा भले कर रहे हों, लेकिन ई-ऑफिस सिस्टम लागू न होने से सिर्फ उसी डेटा के रिकवर होने की संभावना है, जो ईमेल, पेन ड्राइव में सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध हो। बाकी डाटा रिकवर होने की संभावना न के बराबर है।
इन चर्चित मामलों का रिकॉर्ड जलने की आशंका
कायाकल्प अभियान- पिछले साल स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में कायाकल्प अभियान चलाया था। इसके तहत जिला अस्पतालों से लेकर पीएचसी तक फर्नीचर, उपकरणों से लेकर मशीनें लगवाई गई थीं। कई जिलों ने कायाकल्प अभियान में सप्लाई किए गए सामान की क्वालिटी को लेकर शिकायतें की थीं। घटिया क्वालिटी का फर्नीचर और बिना स्टाफ की उपलब्धता के मशीनें सप्लाई करने को लेकर शिकायतें हुई थीं। प्रदेश भर से हुई शिकायतों की जांच चल रही थी। इस अग्निकांड में इन शिकायतों और उससे जुड़े सबूत नष्ट होने की आशंका है।
लोकायुक्त से जुड़ी फाइलें- कोविड के दौरान निजी अस्पतालों को किए गए भुगतान को लेकर लोकायुक्त में शिकायतें की गई थीं। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ी को लेकर लोकायुक्त में शिकायतें की गई थीं। कुछ अफसरों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले चल रहे थे। उससे जुड़ी फाइलें जलने की आशंका है। ऐसे में आशंका है कि इन मामलों की जांच में जुटाए गए सबूत और दस्तावेज नष्ट हो गए हैं।
पढ़िए, नेताओं की बयानबाजी
सरकार ने खुद साजिशन आग लगवाई- नेता प्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा कि सीएम शिवराज सिंह की सरकार ने अपनी लंका खुद जला ली है, ताकि उनके कारनामे उजागर न हो सकें। अनुसूचित जनजाति विभाग और स्वास्थ्य विभाग के दस्तावेज जला दिए हैं। दोनों विभागों में करोड़ों का बजट, कोरोना के समय जो फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपए डकारा गया। नर्सिंग घोटाले में ग्वालियर उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई जांच कर रही है। इसके राज खुलने वाले थे, इसलिए साजिश के तहत सरकार ने स्वयं आग लगवाई गई है, ताकि दस्तावेज न मिलें और घोटाले दब जाएं। लगातार 2005 से अब तक 15-16 बार आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। मंत्रालय, विंध्याचल, सतपुड़ा भवन, कलेक्टर, कमिश्नर के दफ्तरों में जहां खजाना और महत्वपूर्ण दस्तावेज रहते हैं। वहीं, आग क्यों लगाई जा रही है? ये आग लगी नहीं, सरकार ने षड्यंत्र के तहत खुद आग लगाई है।
कांग्रेस की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान जज से मामले की जांच कराई जाए, तभी दूध का दूध और पानी का पानी होगा।
18 साल में अग्निकांड की घटनाएं
- 11 मार्च 2005 शुक्रवार- सतपुड़ा भवन स्थित वन विभाग के ऑफिस में आग लगी। इसमें दस्तावेज खाक हो गए।
- 21 जून 2012, गुरुवार- सतपुड़ा भवन के तकनीकी शिक्षा विभाग में भीषण आग लगी।
- 01 नवम्बर 2012, गुरुवार- वल्लभ भवन में तकनीकी विभाग में आग लगी।
- 25 नवम्बर 2013, सोमवार- मंत्रालय के भीमनगर स्थित गोदाम में आग लगी, जिससे मंत्रालय का दस्तावेज जल गए।
- 28 नवम्बर 2013, गुरुवार- विंध्याचल भवन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास के स्थापना व बजट सेक्शन में आग लगी, जिससे मनरेगा संबंधी फाइलें स्वाहा हो गईं।
- 23 नवम्बर 2014, रविवार- भोपाल कलेक्टोरेट कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में आग लगी, जिससे 10 गांवों का रिकॉर्ड जल गया।
- 04 अक्टूबर 2015, रविवार- विंध्याचल भवन स्थित पांचवीं मंजिल पर कृषि विभाग में आग लग गई। विधानसभा संबंधी एवं बीज घोटाले संबंधित फाइलें जलीं।
- 07 नवम्बर 2015, खाद्य विभाग के दफ्तर में भीषण आग।
- 10 जनवरी 2016, पीएचई व पीडब्ल्यूडी की पांच हजार फाइलें जल गईं।
- 23 मार्च 2016, वल्लभ भवन की पांचवीं मंजिल पर मुख्यमंत्री सचिवालय के एक कक्ष में आग लगी।
- 24 मार्च 2016, सीएम ऑफिस के रिकार्ड रूम में 5 साल पुरानी फाइले जलीं।
- 24 मार्च 2016, सचिवालय में आग लगने से रिकॉर्ड जल गए।
- 27 मार्च 2016, सीएम ऑफिस में आग लगी। इसमें कई फाइलें जल गईं।
- 14 दिसम्बर 2018, सतपुड़ा भवन में आग लगी थी।
- 12 जून 2023, सतपुड़ा भवन में आग लगी। 6वीं मंजिल तक आग फैल गई। इसमें नर्सिंग घोटाले समेत महत्वपूर्ण दस्तावेज खाक हो गए।