राजस्थान

ये हैं दुनिया की पहली लैब: वीआर टेक्नोलॉजी के जरिए चंद्रयान, वैक्सीन से लेकर खुद के एआई टूल तक डिजाइन कर रहे बच्चे

जयपुर डेस्क :

दिल्ली, गुजरात, मप्र, महाराष्ट्र और बिहार के कुछ शहरों के एक दर्जन स्कूलों में एक खास लैब शुरू की गई है। यहां पर बच्चे इसमें वीआर टूल के जरिए चंद्रयान बनाकर लॉन्च करना, वैक्सीन तैयार करना और खुद के एआई टूल बनाना सीख रहे हैं। यहां सर्न फिजिक्स लैब भी है जो बड़ी और गहन रिसर्च के बारे में समझाएगी।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम के एडवाइजर रहे सृजन पाल सिंह ने ‘होमी लैब’ के रूप में अगले 30 साल का यह ‘फ्यूचर लर्निंग स्पेस मॉडल’ तैयार किया है। सिंह कहते हैं कि यह दुनिया की पहली लैब है, जहां बच्चे पढ़ने के साथ वर्चुअल रियलिटी और गेमिफिकेशन टेक्नोलॉजी के जरिए इनोवेशन करना सीख रहे हैं।

आईआईएम अहमदाबाद से गोल्ड मेडलिस्ट सिंह ने दुनियाभर के इंडस्ट्री एक्सपर्ट के साथ हार्वर्ड, एमआईटी, यूसीएल, बीजिंग यूनिवर्सिटी, केंटकी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, शोधकर्ताओं व वैज्ञानिकों से उनकी रिसर्च पर चर्चा की, कई शीर्ष लैब में दौरे भी किए।

‘नैनो रोबोट’ व ऑर्गन प्रिंटर्स के बारे जानेंगे

सिंह बताते हैं लैब के जरिए छात्र अगले 10 साल में हेल्थकेयर टेक के महत्वपूर्ण बदलाव समझेंगे। इनमें ‘डीएनए इंक से चलने वाले ऑर्गन प्रिंटर्स और नैनो रोबोट प्रमुख हैं। इससे इंसान के डीएनए से ऑर्गन बन पाएंगे। जिससे ऑर्गन ट्रांसप्लांट आसान हो सकेगा और डोनर पर निर्भरता घटेगी। इसके साथ ही रोबोटक सर्जरी में नए ट्रेंड आएंगे। जिसमें बैक्टीरिया के आकार के ‘नैनो रोबोट’ को ब्लड सेल में ट्रांसफर करके कोई भी बीमारी ठीक कर सकेंगे। ‘मार्स पर जीवन की संभावना, हाइड्रोजन फ्यूल से गाड़ी चलाना और रोबोट व स्पेस से जुड़े 60 कोर्स स्टूडेंट्स इस लैब में पढ़ेंगे।

18 देशों के 40 हजार से ज्यादा स्टूडेंट

सिंह के मुताबिक ‘होमी लैब’ की शुरुआत 2019 में ऑनलाइन हुई थी। अब इसे स्कूलों में ऑफलाइन मोड में शुरू कर रहे हैं। ऑनलाइन लैब में 18 देशों के 40 हजार से ज्यादा स्टूडेंट जुड़े हैं। डॉ. कलाम के साथ सिंह ने 2012 में कलाम सेंटर की शुरुआत की। स्पेस, हेल्थकेयर सेक्टर के भविष्य पर लेखन करने के अलावा तीन किताबें डॉ. कलाम के सह लेखक के तौर पर भी लिखीं।

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