कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा: मप्र के 25 अस्पतालों ने ज्यादा मरीज दिखा आयुष्मान योजना का पैसा लिया
प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना में मप्र के 25 ऐसे अस्पतालों के नाम हैं, जिन्होंने क्षमता से अधिक बेड आक्यूपेंसी (मरीजों की भर्ती) दिखाकर क्लेम लिया है। एक दिन पहले जारी हुई नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। 30 मार्च 2021 में गुरु आशीष हॉस्पिटल ने 30 बेड की क्षमता के मुकाबले 43 बेड की ऑक्यूपेंसी दिखाई। 31 मार्च 2021 को सरकारी कैंसर हॉस्पिटल ने 108 बेड की क्षमता के मुकाबले 129 की ऑक्यूपेंसी दिखाई।
आयुष्मान योजना में देश के 31 राज्यों में सिर्फ मप्र ही ऐसा है, जहां 2.47 करोड़ कार्ड धारक हैं। दूसरे नंबर पर उप्र (1.40 करोड़), तीसरे पर छत्तीसगढ़ (1.28 करोड़) है। जबकि मप्र में 4.47 लाख लोगों ने ही इलाज कराया है। यूपी में आंकड़ा 1.34 करोड़ है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में देशभर के 190 हॉस्पिटलों की सूची जारी की है, जिन्होंने मरीजों की संख्या को लेकर भारी फर्जीवाड़ा किया है।
प्रदेश में जवाहर लाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में ही 100 बेड क्षमता है, जबकि यहां 20 मार्च 2021 काे आक्यूपेंसी 233 बताई गई है। इधर, आयुष्मान योजना का लाभ मिलने में औसतन 116 दिन लग रहे हैं। इसमें मप्र की स्थिति कुछ दूसरे राज्यों से बेहतर है।
ढाई हजार करोड़ से अधिक के 16.49 क्लेम पूरे :
नवंबर 2022 तक मप्र ने 16.49 लाख क्लेम पूरे किए हैं, जो 2455 करोड़ रुपए रुपए के थे। ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया कि इसी तिथि तक 638 करोड़ के साढ़े तीन लाख क्लेम प्रक्रिया में थे।
447 क्लेम उन मरीजों के भी लिए जो इलाज मिलने से पहले मर गए
रिपोर्ट में सामने आया है कि मप्र में 447 मरीज ऐसे थे, जो इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने से पहले ही काल के गाल में समा गए थे। क्लेम की यह राशि 1.12 करोड़ बनती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मप्र में आयुष्मान के लिए जिला स्तर पर शिकायत निराकरण समितियों (डीजीआरसी) का गठन नहीं किया। आयुष्मान योजना की आईईसी (सूचना, शिक्षा और संवाद) का प्लान तो बनाया, लेकिन उसे लागू नहीं किया। जम्मू और कश्मीर के बाद सर्वाधिक केस मप्र में रिजेक्ट हुए, जिनकी संख्या 1 लाख 98 हजार 555 है।