भोपाल

रुक जाना नहीं योजना में इस बार 12वीं का परीक्षा परिणाम 50.33 फीसदी.. अब दिसंबर में मिलेगा एक और मौका

भोपाल डेस्क :

मप्र स्टेट ओपन स्कूल एजुकेशन बोर्ड की रुक जाना नहीं योजना में इस बार 12वीं का परीक्षा परिणाम 50.33 फीसदी रहा। इसमें 61 हजार परीक्षार्थी पास हुए और लगभग इतने ही फेल हो गए। यह स्थिति तब है, जब पिछले साल के मुकाबले जून में हुई परीक्षा के रिजल्ट में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

रुक जाना नहीं योजना 2016 में शुरू की गई थी। इसका मकसद यह था कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद कई बार फेल छात्र आत्मघाती कदम उठा लेते थे। लेकिन, रुक जाना नहीं के तहत उन्हें एक और मौका मिलता है। जिन विषयों में वे फेल होते हैं, वे उस विषय की परीक्षा फिर दे सकते हैं। अगर जून में हुई परीक्षा में भी वे फेल जाते हैं, तो उन्हें दिसंबर में एक और मौका मिलता है। यह ऐसी योजना है, जिसमें छात्र को दो मौके दिए जाते हैं, ताकि उसका साल बर्बाद न हो। इस बार 10 हजा 414 छात्र फर्स्ट डिवीजन पास हुए, जबकि सेकंड 45 हजार 656 आए।

माशिमं का सप्लीमेंट्री रिजल्ट अब तक घोषित नहीं हुआ है…
हायर सेकंडरी में एक विषय में पूरक की पात्रता होती है। मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) का अब तक सप्लीमेंट्री का रिजल्ट घोषित नहीं हुआ है, जबकि ओपन बोर्ड ने पूरी परीक्षा लेकर रिजल्ट घोषित कर दिया है। अब ये छात्र स्नातक प्रथम वर्ष में एडमिशन ले सकेंगे। गौरतलब है कि अभी यूजी में 2.12 लाख एडमिशन हुए हैं। रुक जाना नहीं योजना में पास हुए छात्रों के दाखिला लेने क बाद यह संख्या बढ़ जाएगी।

10वीं में 73061 परीक्षार्थी शामिल हुए

रुक जाना नहीं में इस बार 1.21 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे। हालांकि यह संख्या पिछले साल जून में हुई परीक्षा की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। पिछले साल करीब 57 हजार परीक्षार्थी इस परीक्षा में शामिल हुए थे। 10वीं में 73,061 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसका परीक्षा परिणाम 38.80 प्रतिशत रहा। इसमें 28,345 परीक्षार्थी पास हुए।

क्यों कम रहता है परिणाम पास होने का एक और मौका मिलने के बाद भी ओपन बोर्ड का परीक्षा परिणाम कम ही रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके कई कारण होते हैं। पहला तो पारिवारिक स्थिति, उचित गाइडेंस का अभाव भी इसमें शामिल हैं। बहुत से छात्र होनहार भी होते हैं, जो फर्स्ट डिवीजन से पास भी होते हैं।

अब तक का सर्वाधिक प्रतिशत 2016 में…
रुक जाना नहीं योजना में अब तक का सबसे बेहतर परिणाम 52.09 प्रतिशत 2016 में रहा है। यह 10वीं और 12वीं का दोनों को मिलाकर उत्तीर्ण प्रतिशत है। इसके बाद 2022 में यह 51.98 प्रतिशत रहा था। जब से यह योजना शुरू हुई है तब से लेकर अब तक 10वीं-12वीं का कुल पास प्रतिशत 36.86 रहा है और इसमें इन दोनों कक्षाओं के 13.39 लाख छात्र-छात्राएं शामिल हुए हैं।

दो बार ​मौका मिलने से साल बर्बाद होने से बच जाता है
“रुक जाना नहीं योजना के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में शामिल हाेने के साल में दो बार मौके मिलते हैं। इससे उनका साल बर्बाद होने से बच जाता है। वे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। जून में परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के बाद दाखिला लेने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है।”
-पीआर तिवारी, संचालक, राज्य ओपन बोर्ड

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