पं. प्रदीप मिश्रा के कुबरेश्वरधाम में आज से रुद्राक्ष महोत्सव: इतनी भीड़…कि एक दिन पहले ही बांटे डेढ़ लाख रुद्राक्ष, 5 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे
न्यूज़ डेस्क :
मध्यप्रदेश के सीहोर में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबरेश्वर धाम में गुरुवार से रुद्राक्ष महोत्सव शुरू हो रहा है। इस आयोजन के लिए बुधवार शाम तक यहां करीब 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए है। महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उप्र, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कुबरेश्वरधाम आ रहे हैं। महोत्सव 22 फरवरी तक चलेगा। यहां 40 काउंटर से 7 दिन तक 24 घंटे श्रद्धालुओं को रुद्राक्ष बांटे जाएंगे।
श्रद्धालुओं के लिए खाने की भी खास व्यवस्था की गई है। गुजरात-राजस्थान के महाराज भोजन बनाएंगे। 5 किलो आटे की एक-एक पूड़ी बनेगी।
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का कहना है कि कुबरेश्वरधाम के रुद्राक्ष भोपाल विज्ञान केंद्र और इंदौर विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक जांच के लिए गए थे। रिपोर्ट आई तो पता चला कि रुद्राक्ष में गंडकी नदी का पानी मिला हुआ है। रुद्राक्ष को पानी में डालकर रखा जाए और उस पानी को लोगों को पिला दें तो रोगी की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
पंडित मिश्रा ने बताया कि भारत में लगभग 33 तरह के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। जिनमें से अधिकतर नेपाल से आते हैं। लेकिन हमारे धाम का रुद्राक्ष गंडकी से आता है। पुराणों में बताया गया है कि रुद्राक्ष भगवान शिव ने ही उत्पन्न किए थे। इस वजह से उसे भगवान शंकर का पुत्र भी कहा जाता है। इसलिए जबतक रुद्राक्ष साथ होता है तो ऐसा लगता है कि स्वयं महादेव ही साथ हैं।
लकड़ी और फाइबर के रुद्राक्ष भी मिलते हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हिंदू धर्म को मानने वालों में रुद्राक्ष का विशेष महत्व होता है। रुद्राक्ष को भगवान शिव से जोड़ कर देखा जाता है। जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष पहनता है, उसके खराब ग्रह सुधर जाते हैं और शुभ फल देने लगते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से दिल संबंधित बीमारियां, तनाव, चिंता, ब्लड प्रेशर आदि को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
रुद्राक्ष की भारत में कुल 33 प्रजातियां हैं। बाजार में इस समय प्लास्टिक और फाइबर के रुद्राक्ष भी बिक रहे हैं। अध्ययन में पाया गया है कि लकड़ी को रुद्राक्ष को आकार देकर या फिर टूटे रुद्राक्षों को जोड़कर भी नया रुद्राक्ष बनाने का धंधा चल रहा है। लेकिन धाम से मिलने वाला रुद्राक्ष गंडकी का होता है। जिसका काफी महत्व है, इस अभिमंत्रित रुद्राक्ष से लोगों की समस्याओं और बीमारियों का समाधान हो रहा है।
कुछ दिनों पहले चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने लिया जायजा
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग कुछ दिनों पहले कुबरेश्वरधाम आए थे। उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया था। उन्होंने पंडाल, लाइट और पार्किंग व्यवस्था को भी देखा था। लोगों को आने-जाने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े इसका इंतजाम किया गया है। आयोजन में देश और विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
राजस्थान और गुजरात के रसोइयों को बुलाया
महोत्सव में राजस्थान और गुजरात से सांवलिया सेठ मंदिर के महाराज को बुलाया गया है। इस बार यहां भोजन में छोटी-छोटी पूड़ियां नहीं बनाई जाएंगी। बल्कि सांवलिया सेठ मंदिर में जिस तरह 5 किलो की एक पूड़ी बनती है ,वैसे ही इस बार यहां भी 5 किलो आटे की एक पूड़ियां बनाई जाएगी। 5 किलो आटे की एक बड़ी सी पूड़ी बनाएंगे, इसके बाद उसके टुकड़े जाएंगे। जिसे भक्तों में बांटा जाएगा। करीब 10 एकड़ भूमि में भोजशाला का निर्माण किया गया है। महोत्सव के दौरान करीब 1.5 से 2 लाख श्रद्धालुओं के लिए भोजन बनाया जाएगा।
950 शौचालयों की व्यवस्था
पंडित मिश्रा का कहना है कि परिसर और परिसर के आसपास 200 नए स्थाई शौचालय बनाए जा रहे हैं। जो महोत्सव के बाद बंद कराया जाएगा। जिसे किसी कार्यक्रम के दौरान खोल दिए जाएंगे। इसके अलावा 100 स्थाई शौचालय समिति ने पहले से बनवा रखे थे। 150 शौचालय हमने टेंट वालों को ऑर्डर देकर बनवाए हैं। चलित शौचालय की व्यवस्थाएं भी की गई हैं। इस तरह 900 से 950 शौचालयों की व्यवस्था विठ्ठलेश सेवा समिति ने कर रखी है। भक्तों की सभी जरुरतों का ध्यान रखा जाएगा।
10 एकड़ जमीन रुद्राक्ष बांटने के लिए निर्धारित
रुद्राक्ष वितरण के सवाल पर पंडित मिश्रा ने कहा कि कितने रुद्राक्षों का वितरण होगा इसकी संख्या नहीं बता सकते। क्योंकि, इससे श्रद्धालु परेशान होंगे। उन्हें लगेगा कि खत्म न हो जाए, खत्म न हो जाए। पंडित मिश्रा ने बताया कि रुद्राक्ष वितरण के लिए 10 एकड़ जगह निर्धारित किया गया है। जहां 40 काउंटर लगाए गए हैं। श्रद्धालुओं को लाइन में लगकर रुद्राक्ष दिया जाएगा। सबको आसानी से रुद्राक्ष मिलेगा।
मेडिकल की व्यवस्थाएं भी दुरुस्त
महोत्सव के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से दुरुस्त किए गए हैं। आश्रम में ही एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई है। केंद्र में दूर-दूर से कुबेरेश्वरधाम आए व्यक्तियों की सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। आश्रम में आए व्यक्तियों को कोई छोटी मोटी समस्या जैसे उल्टी, दस्त, बुखार, बीपी, शुगर आदि होता है तो प्राथमिक चिकित्सा या तात्कालिक इलाज देने की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य सुविधाएं भक्तों के लिए नि:शुल्क रहेंगी। अगर कोई गंभीर होता है तो उसके लिए एंबुलेंस की व्यवस्था 24 घंटे रहेगी। उसे प्राथमिक इलाज देकर सीधे जिला अस्पताल भिजवाया जाएगा।
100 एकड़ में रहेगी वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था
ट्रैफिक की व्यवस्थाएं भी पूरी हैं। प्रशासन ने महोत्सव के लिए 3 रोडों का निर्माण करावाया है। जितने भी वाहन आएंगे, वे भटोली रो़ड से आएंगे। कथा प्रांगण के सामने से कोई वाहन नहीं निकलेगा, फिर चाहे वह बाइक हों या फिर कार। पार्किंग के लिए 250 एकड़ भूमि प्रशासन ने निर्धारित किया है। जिसे प्रशासन और समिति ने देखा है। इसके अलावा शहर के समाजसेवियों ने भी पार्किंग की व्यवस्थाएं की है। महोत्सव को लेकर प्रशासन और क्षेत्रवासियों का पूरा सहयोग मिल रहा है।
पंडित मिश्रा ने कहा कि एक बार महादेव के भक्त ही एक साथ आवाज उठा दें, तो कौन सी ट्रेन है जो सीहोर नहीं रुकेगी। सभी ट्रेनें यहां रुक सकती है, ये कोई विशेष मुद्दा नहीं है। हम तो चाहते हैं कि एक बार सीहोर के लोग जागरुक होकर मांग करें। इसके बाद अगर मांग पूरी नहीं होगी तो मंच पीठ है। हम उससे अपनी बात रखेंगे।
विठ्ठलेश सेवा समिति ने दी जानकारी
- बाबा के धाम में कथा का समय दोपहर 1 से 4 बजे तक है।
- बाबा के धाम में भोजन का समय सुबह 10 से शाम 7 बजे तक है।
- बाबा के धाम में रुद्राक्ष वितरण का समय 16 फरवरी से 22 फरवरी तक 24 घंटे है।
- बाबा के धाम में 1 नंबर गेट बाबा के दर्शन, पूजन के लिए है।
- बाबा के धाम में 2 नंबर गेट भोजन भंडारे के लिए है।
- बाबा के धाम में 3 नंबर गेट कथा स्थल के लिए निर्धारित है।
- बाबा के धाम में 4 नंबर गेट रुद्राक्ष वितरण के लिए है।
कथा पंडाल में ये न करें
- भक्त कीमती सामान लेकर नहीं आएं।
- आने वाले भक्त भोजन करने के बाद अपने बर्तन स्वयं साफ करें।
- भक्त किसी के हाथ में अपनी दान की राशि हर किसी को भी कार्यकर्ता समझ कर नही दें। दान केवल जो समिति के कार्यालय लगे उसी में दें या दान पेटी में ही डालें।
- भक्तों के लिए स्टेशन से धाम आने के लिए नि:शुल्क बस सेवा भी है।
- समिति रुद्राक्ष नि:शुल्क बांट रही है। इसके लिए पैसे नहीं लगेंगे।