इंदौर डेस्क :
नई आईटी पॉलिसी पर एक्सपर्ट व कंपनी सीईओ ने 20 से ज्यादा सुझावों में जमीन की बाध्यता कम करने, बिजली छूट बढ़ाने की बात कही है। उद्यमियों का कहना है नई नीति से आईटी सेक्टर को विस्तार मिलेगा, लेकिन निजी आईटी पार्क, इन्वेस्टमेंट एरिया और डाटा सेंटर के प्रावधानों में संशोधन जरूरी हैं। आईटी इन्वेस्टमेंट एरिया के लिए 5 एकड़ जमीन की सीमा रखी है, इसे 1 एकड़ करना चाहिए। वर्क फ्रॉम होम व बिजली की छूट सभी आईटी सेक्टर को देना चाहिए।
लैंड यूज जीरो करने से नुकसान, क्योंकि डाटा सेंटर के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर भी जरूरी
- आईटी विशेषज्ञ नरेंद्र सेन- एज डाटा सेंटर को अलग करना होगा। इसके लिए 150 करोड़ की सीमा तय करना होगी। वर्तमान में 500 करोड़ तक 15 व इससे ज्यादा पर 25 फीसदी छूट है। इसी तरह लैंड यूज जीरो करने से भी नुकसान होगा, क्योंकि डाटा सेंटर के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर भी जरूरी होता है। पॉवर टैरिफ में निवेशकों को खरीदने या खुद को बनाने की स्वतंत्रता देना होगी।
- इंदौर सॉफ्टवेयर एसोसिएशन के अखिलेश गांधी- किराया अनुदान के लिए न्यूनतम 3 हजार वर्गफीट की शर्त को घटाकर 1 हजार करना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर 50 से कम कर्मचारी वाली कंपनियों को लाभ नहीं मिलेगा। लगभग 60 प्रतिशत कंपनियां इसी दायरे में आती हैं।
- डाटा प्योर के आदित्य शास्त्री- एक्सपांशन प्रावधान में सुधार हो। जिस लोकेशन पर कंपनी काम कर रही है, वहां यदि विस्तार करेगी तो उसे भी नियमानुसार छूट की पात्रता होना चाहिए।
- अपोलो क्रिएशन के कुशाग्र अग्रवाल- आईटी पार्क बनाने पर पुणे, बेंगलुरू व हैदराबाद की तरह 2.5 से 3 एफएआर के प्रावधान हों। लैंड यूज 60-40 के अनुपात में रखा जाना चाहिए, जिससे ईको सिस्टम बन सके। इनके अलावा मास्ट्रिक्स कंसल्टिंग के स्वप्निल बंसल, अपाल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स के अनिल खासगीवाला व एमपीईडीसी के जीएम द्वारकेश सराफ ने भी सुझाव दिए।