भोपाल

राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल में मूकबधिरों के लिए नई सुविधा शुरू

भोपाल डेस्क :

जय प्रकाश अस्पताल मध्य प्रदेश का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है जहां पहली बार मूक बधिरों (Deaf) के लिए सांकेतिक भाषा में स्वास्थ्य सेवा जैसी सुविधाओं में मदद देना शुरू कर रहा है। भोपाल स्थित डेफ कैन फाउंडेशन ने बेंगलुरू स्थित साइनएबल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की है।

जिससे साइनएबल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड ने भारत में पहली बार वीडियो रिले सर्विसेज (वीआरएस) की शुरुआत कर रहा है। इससे मूक बधिर सीधे बार कोड स्कैन कर संवाद कर सकेंगे, दूसरी और बैठा युवक उस संवाद को यहां मौजूद डॉक्टर्स को समझाएगा। जिससे की बधिरों को इलाज में मदद मिलेगी।

अस्पताल में लगे 10 बार कोड
प्रीति सोनी ने बताया कि जेपी अस्पताल में मंगलवार को 10 बार कोड लगा दिए गए हैं। जल्द ही 4 और लगाए जाएंगे। यह सभी बार कोड ओपीडी, वॉर्ड, दवाईयां, मेडीकल बोर्ड आदि जैसी सुविधाओं में बधिरों की मदद करेंगे। इससे वह एंट्री गेट पर पर्चा बनवाने से लेकर दवाई लेने तक की सुविधा मिल पाएगी। जानकारी के अनुसार जेपी अस्पताल सप्ताह भर में करीब 40 से अधिक मूक बधिर मरीज पहुंचते हैं।

डॉक्टरों को अपनी बातें समझाने में आती थी परेशानी
डेफ कैन फाउंडेशन की संस्थापक और महासचिव प्रीति सोनी जो की खुद एक डेफ फैमली से आती है, उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्कूल हो या अस्पताल लोग उन्हें समझ नहीं पाते।

वे बताती हैं कि जब वह 7 साल की उम्र में अस्पताल गई तो उनकी स्वास्थ्य समस्या को समझने वाला वहां एक भी डॉक्टर नहीं था और उन्होंने गलती से दवाई की जगह लोशन पी लिया, ये उनके लिए जानलेवा भी हो सकता था। मैंने अपने जैसे हर बधिरों को अस्पतालों या क्लीनिकों में संचार चुनौतियों को देखा है। इसलिए इस कम्युनिकेशन बैरियर को खत्म करने के लिए भारत के मध्यप्रदेश, भोपाल में पहली बार वीआरएस की सुविधा जयप्रकाश अस्पताल में बधिरों (deaf) के लिए उपलब्ध होगा।

ऐसे काम करता है वीआरएस सर्विस सिस्टम

  • सबसे पहले फोन से क्यू आर कोड को स्कैन करना है।
  • क्यू आर कोड स्कैन होते ही अपना ऑडियो और कैमरा को एलाऊ करना है।
  • उसके बाद अपना नाम हिंदी या इंग्लिश किसी भी भाषा में लिखना है।
  • ज्वाइन ए मीटिंग पर क्लिक करते ही कॉल बैंगलोर में बैठे इंटरप्रेटर से कॉल कनेक्ट हो जाएगा।
  • फिर बाधिर अपनी समस्या इंटरप्रेटर को बताएगा और इंटरप्रेटर कॉल के माध्यम से डॉक्टर को उसकी समस्या के बारे में पता चलेगा।

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