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एमपी अजब हैं गजब हैं: रिटायरमेंट के 7 साल बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारी का हुआ डबल प्रमोशन

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योग्यता और सीनियरटी के आधार पर होने वाली विभागीय पदोन्नति का एक राेचक मामला सामने आया है। अशोकनगर के भर्राेली निवासी नरेंद्र सिंह रघुवंशी को रिटायरमेंट के 7 साल बाद एक साथ डबल प्रमोशन देना पड़ी। वह भी पीडब्ल्यूडी में प्रदेश के सबसे बड़े पद प्रमुख अभियंता (इंजीनियर इन चीफ) पर। संभवत: रिटायरमेंट के इतने साल बाद एक साथ डबल पदोन्नति करने का यह पहला मामला है।

इसे लेकर हाल ही में पीडब्ल्यूडी विभाग के अपर सचिव दिलीप कुमार ने आदेश जारी किया है। प्रमोशन का यह आदेश नो वर्क, नो पे के आधार पर दिया गया है, यानी रघुवंशी को विभागीय रिकॉर्ड में सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता (विभाग का प्रदेश में सबसे बड़ा पद) लोक निर्माण विभाग माना जाएगा। उस समय के वेतन व एरियर का लाभ तो उन्हें नहीं मिलेगा, लेकिन हाल ही में मिल रही 30 हजार रुपए की पेंशन अब नए सिरे से प्रमुख अभियंता की ग्रेड के आधार पर तय होगी, जो वर्तमान पेंशन से करीब तीन गुना हो जाएगी। प्रमोशन का यह आदेश जारी करने में भी विभाग को तीन साल लग गए।

रघुवंशी ने कहा- अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़ना पड़ी
नरेंद्र सिंह रघुवंशी ने बताया कि एक अधिकारी की जरा-सी चूक को आधार मानकर विभाग के कुछ अफसरों ने मुझे जान बूझकर प्रमोशन से वंचित रखा। अधिकारियों की मनमानी के कारण शासकीय सेवा में रहते हुए भी मैंने 4 साल तक विभागीय स्तर पर लड़ाई लड़ी। अधिकारियों का मनमानी देख साल 2012 में कोर्ट पहुंचा। आखिरकार मुझे अब विभागीय स्तर पर पदोन्नति का आदेश मिल गया, लेकिन अफसोस रहेगा कि सेवा काल के दौरान मैं उक्त पदों पर पदस्थ रहते हुए काम नहीं कर सका।

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